जब बच्चे पेरेंट्स की बात नहीं सुनते हैं या उसे इग्नोर करते हैं तो पेरेंट्स अक्सर उनके साथ बहुत सख्ती से पेश आते हैं जिसकी वजह से उनकी यह आदत और बढ़ जाती है। बच्चे द्वारा माता-पिता की बात न सुनना या उन्हें इग्नोर करना अच्छी बात नहीं है और पेरेंट्स का इसपर गुस्सा होना स्वाभाविक है। लेकिन गुस्सा होने से कई बार स्थितियां बिगड़ जाती हैं। इसकी वजह से उनका व्यवहार हमेशा के लिए बदल सकता है। बच्चा अगर आपकी बात नहीं सुनता है बहुत ज्यादा जिद्दी है तो उसे सुधारने के लिए ये टिप्स अपनाएं।
बच्चे को दें पर्याप्त समय
बच्चे की इग्नोर करने और जिद्दीपन की आदत को सुधारने के लिए पेरेंट्स को उन्हें पहले पूरी तरह से समझना चाहिए। अगर आप बच्चे की यह आदत सुधारना चाहते हैं तो आप अपनी बॉन्डिंग बच्चे के साथ जरूर बढ़ाएं। इसके लिए बच्चे को रोजाना पर्याप्त समय दें और उन्हें अच्छी तरह से समझने की कोशिश करें।
बच्चों के साथ बहुत सख्ती से पेश आएं
बच्चे की आदत सुधारने के लिए कई बार उसे सजा देना जरूरी होता है लेकिन ऐसे में पेरेंट्स को बहुत सख्त सजा नहीं देनी चाहिए। बच्चों की गलतियों पर कड़ी सजा देने और उन्हें बार-बार डांटने से उनकी आदत और खराब हो सकती है। बहुत कड़ी सजा देने से आपका बच्चा मानसिक तनाव का शिकार हो सकता है और इसकी वजह से उनकी आदत जिद्दी हो सकती है। इसलिए बच्चे के साथ नर्मी से पेश आकर स्थिति को संभालना चाहिए।
बच्चे की गलती उसे जरूर समझाएं
बच्चे द्वारा गलती करने पर उसे उसके बारे में समझाने से बच्चे के दिमाग पर सही असर पड़ता है। बच्चों को सजा देने से उन्हें अपनी गलती का अहसास नहीं होता है और हो सकता है कि वे अपनी गलती को फिर से दोहराएं। लेकिन जब आप बच्चे की गलतियों पर उन्हें समझाते हैं और उनकी गलतियों से अवगत कराते हैं तो इससे उन्हें अपनी गलती का अहसास होता है।
बच्चे को जिद्दी न बनने दें
पेरेंट्स कई बार यह सोचकर बच्चे को डांटते या सजा नहीं देते हैं कि इससे बच्चा और अधिक गुस्सा होगा या बिगड़ जायेगा। लेकिन ऐसा करना कुछ मामलों में गलत हो सकता है। इसलिए बच्चे को बहुत अधिक जिद्दी बनने की छूट पेरेंट्स को नहीं देनी चाहिए। इसलिए आप बच्चे को समय-समय पर डांट लगाएं या उन्हें सुधारने के लिए सख्ती से पेश आएं।
बच्चे के साथ दोस्ती करें
जरूरत से ज्यादा बिजी रहने वाले और बच्चों के साथ अच्छी बॉन्डिंग न रखने वाले पेरेंट्स के बच्चे आदत बिगड़ने का खतरा रहता है। बच्चे के दोस्त बनकर अगर आप उसके साथ दोस्त जैसा व्यवहार करेंगे तो इससे उसे अकेलापन महसूस नहीं होगा औरआपके बच्चे का व्यवहार खराब नहीं होगा।