सूचना के बाद भी समिति ने नहीं की प्रवेश की उचित व्यवस्था
उज्जैन। महाकाल मंदिर में भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या के आगमन पर हंगामा के मामले में युवा मोर्चा के प्रदेश संगठन ने नगर एवं ग्रामीण जिलाध्यक्षों सहित 18 कार्यकारिणी सदस्य और कार्यकर्ताओं को युवा मोर्चा की जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया। इस प्रकरण में महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की लापवाही सामने आ रही है। भाजयुमो के पूर्व नगर अध्यक्ष अमय शर्मा का कहना है कि सूचना के बाद भी मंदिर प्रबंध समिति ने प्रवेश की उचित व्यवस्था नहीं की।
महाकाल मंदिर में बुधवार को हुए घटनाक्रम के मामले में भाजयुमो के प्रदेश सह कार्यपालन मंत्री उमाशंकर राजपूत ने प्रदेशाध्यक्ष वैभव पवार के निर्देशानुसार नगर जिलाध्यक्ष अमय शर्मा और ग्रामीण जिलाध्यक्ष नरेंद्र सिंह जलवा सहित 18 कार्यकारिणी सदस्य और कार्यकर्ताओं को युवा मोर्चा की जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया। इसके बाद अब सवाल यह है कि आखिर मंदिर में हुई अव्यवस्था के लिए असली दोषी कौन है? भाजयुमो के कार्यकर्ता या फिर मंदिर प्रबंध समिति प्रशासक,जिन्होंने सूचना को गंभीरता से नहीं लिया। मंदिर में प्रवेश के लिए माकूल इंतजाम होते तो शायद अव्यवस्था से बचा जा सकता था।
हमने पहले से दी सूचना
भाजयुमो के पूर्व नगर अध्यक्ष अमय शर्मा का कहना है कि भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या के साथ तीन अन्य पदाधिकारियों के गर्भगृह और 20 पदाधिकारी/कार्यकर्ताओं के नंदीहॉल में प्रवेश के लिए कलेक्टर से अनुमति प्राप्त कर इसकी सूचना मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ को एसएमएस पर की। आप बताएं, क्या करें, कहां से ले जाएं। पाइंट क्लियर कराएं।
मंदिर प्रशासक ने जवाब दिया कि…लोकेश की ड्यूटी लगा दी गई हैं। नंदीहॉल की अनुमति प्राप्त कार्यकर्ता और पदाधिकारियों का प्रवेश कैसे होगा यह स्पष्ट नहीं किया गया। सभी को इस द्वार से उस द्वार भटकाया गया। परिसर में प्रवेश के बाद भी नंदीहॉल तक जाने के प्रबंध नहीं हुए। इस पर प्रशासक गणेश धाकड़ को मोबाइल लगाया, तो मोबाइल बंद था। उन्होंने कोई गंभीरता नहीं दिखाई। भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आगमन को मंदिर प्रशासक ने गंभीरता से क्यों नहीं लिया? उनके साथ भी समूह का होना स्वाभाविक है। मंदिर प्रबंधन उनके आगमन को गंभीरता से लेता तो यह नौबत ही नहीं आती।
प्रशासक बोले.. केवल तीन लोगों की अनुमति, सूचना थी
मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ का इस संबंध में कहना है कि प्रशासन की प्रोटोकाल शाखा से गर्भगृह में 3 लोगों के प्रवेश की सूचना थी। इसके आधार पर नायब तहसीलदार लोकेश की ड्यूटी लगाई गई थी। अन्य लोगों के प्रवेश के संबंध में कोई जानकारी समिति को नहीं थी। इसे लेकर उनकी अमय शर्मा या अन्य किसी से कोई बात नहीं हुई। कोई संदेश भी नहीं मिला था।