विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष : उज्जैन शहर और कॉलोनियों में भू-जल स्तर में हो रही लगातार कमी

अक्षरविश्व न्यूज.उज्जैन। शहर में भू-जल स्तर तेजी से नीचे आ रहा है। इसके पीछे नगर निगम की अनदेखी और नागरिकों को जागरुकता का अभाव कहा जा सकता है, लेकिन पर्दे के पीछे की कहानी कुछ ओर बयां करती है, हालांकि इस कहानी का मुख्य किरदार नगर निगम की भवन निर्माण अनुज्ञप्ति देने वाली इकाई है। जिसके पास इतना समय नहीं है कि मकान बनने के बाद उसका मौका निरीक्षण करके देख लिया जाए कि छत का पानी जमीन में योजना के तहत मकान मालिक ने काम किया या नहीं ? नगर निगम के शिल्पज्ञ विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर में और समीपस्थ कॉलोनियों में बनने वाले मकानों, जोकि नगर निगम सीमा में आते हैं, उनके लिए नियम है कि आकार के अनुसार 10 एवं 15 हजार रुपए जमा कराए जाते हैं। इस बात के लिए कि मकान मालिक मकान बनाने के बाद छत का पानी जमीन में योजना को लागू करेगा और उसके चित्र आदि विभाग को बताने पर उसकी जमा राशि वापस कर दी जाएगी, जोकि वह भवन बनाने की अनुमति लेते वक्त जमा करवाता है। हालांकि इस योजना का न तो पालन हो रहा है ओर न ही लोग रूपये वापस लेने जाते हैं।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

मुख्य कारण

बारिश में छत का पानी नहीं जा रहा जमीन में…क्योंकि नगर निगम ने कभी इसे अभियान के रूप में नहीं लिया

यह है परदे के पीछे की कहानी

शिल्पज्ञ विभाग के सूत्रों के अनुसार योजना पर अमल नहीं होने का मुख्य कारण यह है कि विभाग द्वारा इस बात का फालोअप नहीं लिया जाता है कि मकान बनाने की अनुमति लेनेवाले व्यक्ति ने अपना मकान बनाने के बाद छत का पानी जमीन में योजना के तहत कार्य करवाया या नहीं? वहीं मकान बनानेवाले लोगों के लिए यह आम धारणा है कि वे तय नक्शे से हटकर कुछ न कुछ अतिरिक्त निर्माण करवाते ही है। उन्हे भय रहता है कि 10 से 15 हजार रूपये वापस लेने गए तो नगर निगम के अधिकारी मकान देखने आएंगे कि छत का पानी जमीन में योजना अनुसार काम हुआ या नहीं? नक्शे से मिलान हो गया तो अतिरिक्त निर्माण टूटेगा भी और जुर्माना भी देना होगा? इस दो तरफा कमी की वजह से भू जल स्तर बढऩे की बजाय घटता जा रहा है।

इनका कहना है

इस संंबंध में अपर आयुक्त मनोज कुमार पाठक ने बताया कि इसे अभियान के रूप में लेना होगा,ताकि लोग आवश्यक रूप से छत का पानी जमीन में योजना का पालन करे ताकि बारिश का पानी जमीन में जा सके। वहीं शिल्पज्ञ विभाग जिन्हे मकान बनाने की अनुमति प्रदान करे,उन मकानों का निर्माण पूरा होने के दौरान नक्शे अनुसार मिलान करें। बगैर मानीटरिंग कुछ नहीं होगा। इसे अभियान के रूप में लिया जाना चाहिए। वे निगमायुक्त से चर्चा करेंगे। वहीं शिल्पज्ञ विभाग के प्रमुख पियूष भार्गव से चर्चा करना चाही तो उन्होने कॉल रिसिव्ह नहीं की।

Related Articles