उज्जैन। विवाह की शहनाई अब केवल तीन दिन 13 से 15 दिसंबर तक बजेंगी। इसके बाद 16 दिसंबर से खरमास शुरू हो जाएगा, जो 14 जनवरी तक रहेगा। इस एक माह की अवधि में विवाह, मुंडन, नवीन गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत समेत मांगलिक कार्य नहीं होंगे, परंतु धार्मिक अनुष्ठान पूजन, कथा प्रवचन आदि होते रहेंगे।
ज्योतिष के अनुसार 16 दिसंबर को सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन धनु संक्रांति होगी। इसी दिन से खरमास ( मलमास ) की शुरुआत होगी। 15 जनवरी को जब सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे, तब खरमास समाप्त होगा। खरमास में इस अवधि में सूर्य की गति धीमी होती है, वहीं गुरु ग्रह भी कम प्रभावी होता है। इस कारण से मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
खरमास से लेकर 15 जनवरी को मकर संक्रांति और उसके बाद सूर्य के कुंभ राशि में पहुंचने तक सूर्यदेव की विशेष आराधना करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है। पौष माह में श्रीकृष्ण व विष्णु की भी विशेष पूजा का विधान है। देवगुरु बृहस्पति के विशेष मंत्रों का भी जाप किया जाना श्रेष्ठ होगा। खरमास में सत्संग, भजन, पूजन व दान आदि करने से कुंडली में विद्यमान दोषों का दुष्प्रभाव कम होता है। हालांकि 26 दिसंबर को पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान व जरूरतमंदों को दान करने का भी श्रेष्ठ मिलेगा।
खरमास आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए काफी अच्छा माह है। इसमें विवाह आदि सांसारिक की गतिविधियां बंद रहती हैं, तो मन को भगवत स्मरण में आसानी से लगाया जा सकता है।