Sunday, December 10, 2023
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500 के चल रहे नकली नोट आम लोगों पर पड़ रही चोट

बैंकों में लगती है फेक नोट की सील, रिकॉर्ड मेंटेन भी जरूरी, नकली नोट गिरोह पकड़े जाने के बाद बढ़ी चिंता….

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:प्रदेश सहित उज्जैन जिले में नकली नोट चलाने वाला कोई गिरोह सक्रिय है, जिसके चलते नोटों की गड्डियों के बीच से नकली नोट निकल रहे। बड़ी लापरवाही यह कि बैंकों में इसका कोई रिकॉर्ड ही नहीं रखा जा रहा। इससे यह पता नहीं चल पा रहा कि शहर में नकली नोट कितने चल रहे। वेबसीरीज ‘फर्जी’ ने नकली नोटों के मुद्दे को गरमाया लेकिन आज भी इन पर रोकथाम नहीं लग सकी है।

नकली नोट बनाना कोई बच्चों का खेल नहीं है लेकिन इस खेल में काफी बड़े खिलाड़ी लगे हुए हैं, जो नई-नई तकनीकों से हुबहू नोट बनाने की कोशिश करते हैं। इसमें कई बार वे सफल होते हैं तो कई बार पकड़े जाते हैं। ये फर्जी नोट इतने सलीके से बनाए गए होते हैं कि लोगों को जब तक पता चलता है कि नकली है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। शहर में 500 और 200 रुपए के नकली नोट चलन में आ गए हैं।

बैंक सूत्रों की मानें तो आए दिन रुपए जमा कराने आने वाले लोगों की नोटों की गड्डियों से 200 और 500 के नकली नोट निकल रहे। 500 के नोटों की संख्या ज्यादा है। अगर किसी ग्राहक के पास नोट निकलता है तो अधिकतर मामलों में कैशियर ‘फेक नोट’ की सील लगाकर ग्राहक को वापस लौटा देते हैं। इससे वह नोट तो चलन से बाहर हो जाता है, लेकिन नकली नोट का कारोबार करने वाले गिरोह तक पहुंचने का काम नहीं हो पाता है।

इसलिए भी चल रहे नकली नोट…

दरअसल, बैंक शाखा में नकली नोट पकड़ में आने पर सील लगाकर चलन से बाहर कर दिया जाता है। इससे ग्राहक को फटका लग जाता है। बैंक या आरबीआई ऐसे नोट के बदले ग्राहक को भरपाई नहीं करता। इस नुकसान से बचने के लिए लोग नकली नोट हाथ में आने के बाद उसे गड्डी में किसी ओर को टिका देते हैं। इस तरह यह नोट चलन में बना रहता है। एटीएम से ही नकली नोट मिलने पर बैंक बदलकर दूसरा नोट देता है, लेकिन इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता है। एटीएम में लगे कैमरे पर नोट का अगला व पिछला दोनों हिस्सा दिखाना पड़ता है। सिक्योरिटी गार्ड हो तो उसे भी इसकी जानकारी देना चाहिए।

रिकॉर्ड क्यों नहीं रखा जाता?

नकली नोटों के मामले में गंभीर लापरवाही यह भी है कि इनका रिकॉर्ड जिम्मेदारी से मेंटेन नहीं किया जा रहा। बैंक कैशियर अधिकतर मामलों में सील लगाकर नोट को चलन से बाहर कर देते हैं। जबकि इसका रिकॉर्ड मेंटेन कर आरबीआई और सरकार को भेजना चाहिए।

ताकि यह पता चल सके कि शहर में कितने नकली नोट चलन में हैं। आरबीआई की गाइडलाइन के अनुसार बैंक को जाली नोट प्रस्तुत करने वाले की उपस्थिति में नोट को जब्त करना चाहिए। नोट देनेवाले व्यक्ति को बैंक द्वारा प्राप्ति सूचना भी जारी करना चाहिए। रसीद खजांची और नोट देनेवाले द्वारा प्रमाणीकृत की जाना चाहिए। उन मामलों में भी प्राप्ति सूचना जारी की जाती है, जहां नोट प्रस्तुतकर्ता प्राप्ति सूचना पर हस्ताक्षर करने के लिए राजी न हो। बैंक को जब्त नोट स्थानीय पुलिस को जांच के लिए भेजना चाहिए।

कैसे होता है उपयोग

प्रॉपर्टी सौदे के दौरान बड़ा अमाउंट रजिस्ट्री ऑफिस में ही लेनदेन होता है।

ऐसे सौदे के समय नोटों के बंडल से सभी नोट चेक नहीं हो पाते।

बाद में नकली नोट का प्रमाण देना संभव नहीं हो पाता।

बैंक में मशीनों से चेक करने के बाद नोट लिए जाते हैं। इससे पकड़ में आ जाते।

कई प्रॉपर्टी कारोबारियों ने भी नोट काउंटिंग मशीनें लगा रखी हैं।

मशीन से चेक होने के दौरान नोट नकली मिल जाए तो उसे बैंक या पुलिस को देने की जगह दूसरे को टिका दिया जाता।

पुलिस की जांच का डर

नकली नोट जब्त होने के बाद लोगों को पुलिस की जांच का सामना करना पड़ता है।

नोट कहां से और कैसे आया यह पुलिस को बताना मुश्किल रहता है।

ऐसे में पुलिस की जांच से लोग बचने में ही भलाई समझते हैं।

आरबीआई को इस मामले में नकली नोट की सूचना देने वाले या बैंक में सामने आने वाले मामलों में सरलता लाना चाहिए।

लोगों की सूचना मिलने पर ही पुलिस को इसकी कार्रवाई अपने स्तर पर करना चाहिए।

बैंक और ग्राहक परेशानी और सवाल जवाब से बचेंगे तो रिकॉर्ड भी सही मेंटेन होगा और लोग भी डरने की जगह मदद के लिए आगे आएंगे।

नकली नोटों का चलन रोका जाना चाहिए, लेकिन कई व्यावहारिक अड़चनों के कारण लोग नकली नोट की जानकारी देने से बचते हैं। यह सही है कि लेनदेन के दौरान सभी के पास मशीनें नहीं होती और बंडल के एक एक नोट गिनना संभव नहीं। बैंकों में इस तरह की चूक मुश्किल से ही हो पाती है, क्योंकि नोट की काफी जांच की जाती है।-रविंद्र जेठवा, सेवानिवृत बैंक प्रबंधक

बैंकों में नकली नोटों का रिकार्ड रखना चाहिए, लेकिन दो से ज्यादा नोट पुलिस को देने पर जांच पड़ताल की जटिल प्रक्रिया से कैशियर और मैनेजर को जूझना पड़ता है। नकली नोट चलने से देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। इसलिए ऐसे देशद्रोहियों को कड़ी सजा देना जरूरी है।-आरएस चौहान सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर

इसी माह पकड़ा था गिरोह, इंदौर से लाते थे नोट…

उज्जैन पुलिस ने 23 अक्टूबर को नकली नोट चलाने वाले गिरोह को पकड़ा था। नीलगंगा पुलिस ने नकली नोट बाजार में चलाए जाने की सूचना पर तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर इनके पास से दो लाख पांच हजार रुपये के नकली नोट बरामद किए थे। इंदौर के अन्नपूर्णा थाने में पुलिस ने नकली नोट छापने वाले गिरोह को पकड़ा था। इस गिरोह ने उज्जैन में भी नेटवर्क को फैला रखा था। आरोपियों से 2000 और 500 के नोट बरामद किए गए थे।

उज्जैन के तीनों आरोपी नकली नोट इंदौर से लाकर उज्जैन के छोटे बाजारों में बेचा करते थे। इंदौर की अन्नपूर्णा नगर पुलिस ने आरोपी के फ्लैट पर छापामार कार्रवाई में प्रिंटर, स्कैनर और नोट छापने का काफी सामान भी बरामद किया था। पकड़े गए आरोपी बाजार में 20 लाख रुपये के नकली नोट चला चुके थे।

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