आज पापमोचनी एकादशी व्रत रखा जाएगा। शास्त्रों के अनुसार, चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि यह व्रत पापों से मुक्ति दिलाता है। इस दिन भगवान विष्णु जी की विशेष प्रकार से पूजा की जाती है और विधि से विधान से व्रत रखा जाता है। इसके साथ ही एकादशी तिथि पर कुछ विशेष उपाय करने से जातकों को धन लाभ की प्राप्ति होती है।
पापमोचनी एकादशी व्रत पारण मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ- 07 अप्रैल 2021 रात्रि 02 बजकर 09 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 08 अप्रैल 2021 रात्रि 02 बजकर 28 मिनट पर
हरिवासर समाप्ति समय- 08 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 40 मिनट पर
एकादशी व्रत पारण समय- 08 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 39 मिनट से शाम 04 बजकर 11 मिनट तक
पापमोचनी एकादशी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि पापमोचनी एकादशी व्रत करने से व्रती के समस्त प्रकार के पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं। इस व्रत को करने से भक्तों को बड़े से बड़े यज्ञों के समान फल की प्राप्ति होती है। पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से सहस्त्र अर्थात् हजार गायों के दान का फल मिलता है। ब्रह्म ह्त्या, सुवर्ण चोरी, सुरापान और गुरुपत्नी गमन जैसे महापाप भी इस व्रत को करने से दूर हो जाते हैं। इस एकादशी तिथि का बड़ा ही धार्मिक महत्व है और पौराणिक शास्त्रों में इसका वर्णन मिलता है।
पाप एकादशी व्रत विधि
- पापमोचिनी व्रत में भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा की जाती है।
- व्रती को एक बार दशमी तिथि को सात्विक भोजन करना चाहिए।
- मन से भोग-विलास की भावना त्यागकर भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए।
- एकादशी के दिन सूर्योदय काल में स्नान करके व्रत का संकल्प करना चाहिए।
- संकल्प के उपरांत षोडषोपचार सहित श्री विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
- भगवान के समक्ष बैठकर भगवद् कथा का पाठ अथवा श्रवण करना चाहिए।
- झूठ या अप्रिय वचन न बोलें और प्रभु का स्मरण करें।
पापमोचनी एकादशी व्रत की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु युधिष्ठिर से कहते है ‘‘राजा मान्धाता ने एक समय में लोमश ऋषि से जब पूछा कि प्रभु यह बताएं कि मनुष्य जो जाने-अनजाने में पाप कर्म करता है उससे कैसे मुक्त हो सकता है। राजा मान्धाता के इस प्रश्न के जवाब में लोमश ऋषि ने राजा को एक कहानी सुनाई कि चैत्ररथ नामक सुन्दर वन में च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी ऋषि तपस्या में लीन थे।
इस वन में एक दिन मंजुघोषा नामक अप्सरा की नजर ऋषि पर पड़ी तो वह उन पर मोहित हो गयी और उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने हेतु यत्न करने लगी। कामदेव भी उसी समय उधर से गुजर रहे थे कि उनकी नजर अप्सरा पर गई और वह उसकी मनोभावना को समझते हुए उसकी मदद करने लगे। इस तरह अप्सरा अपने यत्न में सफल हुई और ऋषि कामपीड़ित हो गये।
काम के वश में होकर ऋषि शिव की तपस्या का व्रत भूल गये और अप्सरा के साथ रमण करने लगे। कई वर्षों के बाद जब उनकी चेतना जगी तो उन्हें एहसास हुआ कि वह शिव की तपस्या से वह विरत हो चुके हैं, उन्हें तब उस अप्सरा पर बहुत क्रोध आया और उन्होंने अप्सरा को पिशाचनी होने का श्राप दे दिया।
श्राप से दुःखी होकर वह ऋषि के पैरों पर गिर पड़ी और श्राप से मुक्ति के लिये अनुनय करने लगी। अप्सरा की याचना से द्रवित हो मेधावी ऋषि ने उसे विधि सहित चैत्र कृष्ण एकादशी का व्रत करने के लिये कहा। भोग में निमग्न रहने के कारण ऋषि का तेज भी लोप हो गया था, अतः ऋषि ने भी इस एकादशी का व्रत किया, जिससे उनका पाप नष्ट हो गया। उधर अप्सरा भी इस व्रत के प्रभाव से पिशाच योनि से मुक्त हो गई। पाप से मुक्त होने के पश्चात अप्सरा को सुन्दर रूप प्राप्त हुआ और वह स्वर्ग के लिये प्रस्थान कर गई।
ये उपाय इस प्रकार हैं-
घर परिवार में सुख-शांति के लिए
एकादशी के दिन संध्याकाल में तुलसी के पौधे में गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं और तुलसी माता का पूजन करें इसके बाद तुलसी की 11 परिक्रमा करें। तुलसी की परिक्रमा करते समय ”ऊँ वासुदेवाय नम:” मंत्र का उच्चारण करें। इससे आपके परिवार में समृद्धि बनी रहती है। परिवार के सदस्यों में आपसी प्रेम की भावना बढ़ती है घर का वातावरण शांत और सकारात्मक होता है।
सुख-समृद्धि के लिए करें यह काम
एकादशी तिथि के दिन प्रातः उठकर स्नानादि करने के पश्चात भगवान विष्णु का पूजन करें और उसके बाद तुलसी की माला से “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का कम का एक माला या इससे अधिक जाप करें। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह उपाय करने से आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
धन प्राप्ति के लिए
एकादशी के दिन प्रातः भगवान विष्णु का पूजन करें और उसके बाद रात्रि में विष्णु जी की प्रतिमा के सामने नौ बत्तियों का दीपक जलाएं। इसके अलावा एक और दीपक ऐसा प्रज्वलित करें, इस बात का ध्यान रखें कि वह दीपक पूर्ण रात्रि में जलता रहना चाहिए। मान्यता है कि इससे भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाती हैं और जातकों को धन प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं।
कर्ज मुक्ति के लिए करें यह उपाय
यदि आप कर्ज से परेशान हैं और प्रयास करने के बाद भी कर्ज बढ़ता जा रहा है तो एकादशी तिथि को एक लोटा जल में थोड़ी सी चीनी मिश्रित करके उस जल को पीपल के वृक्ष में अर्पित करें और संध्या समय पीपल की जड़ में घी का दीपक जलाएं। पीपल में भगवान विष्णु का वास माना गया है। विष्णु जी की कृपा से आपके घर में धन संचय होने लगता है। कर्ज मुक्ति के योग भी बनने लगते हैं साथ ही आपको कार्य में सफलता प्राप्त होती है।