किसी ने मां तो किसी ने पिता की अस्थियां सहेज रखी थीं…
जनता कफ्र्यू के तहत लगाए थे प्रतिबंध…
उज्जैन।कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कारण शहर में लागू कोरोना कफ्र्यू में शिप्रा नदी के घाटों पर होने वाले मृतात्माओं के उत्तरकार्य पर प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाया गया था। इस दौरान जिन परिवारों में गर्मी हुई उनके परिजन अस्थी विसर्जन व अन्य कार्य नहीं करा पा रहे थे। पिछले दिनों श्री क्षेत्र पंडा समिति और ब्राम्हण समाज द्वारा प्रशासन से उत्तरकार्य सम्पन्न कराने की अनुमति मांगी थी।
रविवार को क्राइसिस कमेटी की बैठक में कोरोना नियमों के अनुसार उत्तर कार्य कराने और आप्टिकल्स दुकानें खोलने की अनुमति प्रशासन द्वारा दी गई जिसके बाद सुबह रामघाट पर लोग उत्तर कार्य कराने पहुंचने लगे। कीर्ति नगर से आये गिरीश ने रामघाट पहुंचकर मां की मृत्यु के बाद उनका उत्तर कार्य सम्पन्न कराया। गिरीश ने बताया कि 6 मई को मां का देहांत हुआ था। अस्थी संचय के बाद उत्तर कार्य बाकि रह गया था कि लेकिन कोरोना कफ्र्यू में इसकी अनुमति नहीं थी।
अखबार और सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली कि प्रशासन द्वारा उत्तरकार्य की अनुमति दे दी है इस कारण एक अन्य परिजन के साथ रामघाट पहुंचकर पिण्डदान आदि कार्य सम्पन्न किया। इसी प्रकार भीमाखेड़ा पानबिहार से पिता का उत्तर कार्य कराने आये सतीश शर्मा ने बताया कि पिता की मृत्यु 8 मई को हुई थी, मृत्यु पश्चात होने वाला उत्तर कार्य रह गया था। लोगों से पता चला कि उत्तर कार्य की अनुमति मिल गई है तो एक अन्य परिजन के साथ आये हैं।
पंडों और पुजारियों की घाट पर मीटिंग
प्रशासन द्वारा कोरोना कफ्र्यू नियम में बदलाव करते हुए घाट पर यजमानों के उत्तरकार्य कराने की अनुमति जारी की गई जिसके बाद महाकाल थाने के पुलिस अफसरों और पण्डों की मीटिंग घाट पर हुई जिसमें पुलिस ने श्री क्षेत्र पंडा समिति अध्यक्ष मोहन राजगुरू डंडावाला सहित अन्य पण्डों को नियमों की जानकारी दी साथ ही कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग और नियमों का पालन आवश्यक रूप से यजमानों से कराया जावे।
चश्मा ठीक करवाने और नया खरीदने के लिये रोज आते थे लोगों के फोन
कोरोना कफ्र्यू में चश्मे की दुकानें भी बंद थीं। इस दौरान नजर के चश्मों का उपयोग करने वाले लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। चश्मा टूटने या नया बनवाने के लिये लोगों ने आप्टीकल दुकान संचालकों से फोन पर संपर्क भी किया लेकिन उन्हें करीब डेढ़ माह तक इंतजार करना पड़ा। अब प्रशासन द्वारा आप्टीकल दुकान संचालकों को सुबह 8 से 12 बजे तक दुकानें खोलने की अनुमति दी है जिसके बाद अब शहर की आप्टीकल दुकानें सुबह खुलीं।
कोरोना कफ्र्यू लागू होने के बाद दुकान बंद कर दी थी। नंबर का चश्मा बनवाने या खरीदने के लिये रोज 10-15 लोगों के फोन आते थे। आज से अनुमति मिलने के बाद दुकान खोली तो सुबह से 5 लोग चश्मा बनवाने आये।
मलिक, संचालक मलिक आप्टीकल्स
डेढ़ माह से मोबाइल पर लोग संपर्क कर रहे थे, लेकिन कोरोना कफ्र्यू के कारण दुकान नहीं खोली। अब प्रशासन ने अनुमति दी है तो सुबह से 10 लोगों को चश्मा बनाकर दे चुके हैं।
विभोर भार्गव, संचालक भार्गव आप्टीकल्स