मुख्यमंत्री ने उज्जैन को दी मेडिकल कॉलेज की सौगात

अब एक ही सवाल : कैसे जल्द से जल्द शुरू हो कॉलेज ?
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25 लाख से अधिक लोगों को मिलेगा इसका फायदा
यूनिवर्सिटी कैंपस की कक्षाओं में लग सकती है क्लास और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के लिए चरक भवन-जिला चिकित्सालय-माधवनगर अस्पताल का कर सकते हैं उपयोग
श्रेय जैन। उज्जैन वर्षों से चुनावी घोषणा पत्र का अहम मुद्दा रहे सरकारी मेडिकल कॉलेज का रास्ता कल साफ हो गया जब उज्जैन दौरे पर आए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने उज्जैन शहर के जनप्रतिनिधियों की साझा मांग को स्वीकार करते हुए उज्जैन जिले में सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा कर दी। सीएम ने कहा की उज्जैन संभागीय मुख्यालय है। हमने फैसला किया है की यहां मेडिकल कॉलेज खोला जाए। बुधवार को सीएम कोरोना नियंत्रण की संभागीय समीक्षा करने उज्जैन आए थे। इस घोषणा के बाद उज्जैन शहर में वर्षों से चली आ रही मांग की पूर्ति होगी और 25 लाख से अधिक आबादी के उज्जैन जिले के साथ साथ यहाँ से नजदीक के अन्य जिलों के लोगों को इसका लाभ मिलेगा। पिछले एक वर्ष के कोरोना समय में हर दिन उज्जैन ने एक सरकारी मेडिकल कॉलेज की ज़रूरत महसूस की जिससे की लोगों को बेहतर इलाज कम से कम दरों पर उपलब्ध हो सके।
अगले वर्ष से ऐसे शुरू कर सकते हैं कॉलेज…
यदि सरकार चाहे तो विक्रम यूनिवर्सिटी कैंपस की किसी भी विभाग की बिल्डिंग में क्लासेस शुरू हो सकती है और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के लिए चरक भवन, जिला चिकित्सालय, माधवनगर अस्पताल या कैंसर यूनिट का उपयोग किया जा सकता है। इससे कॉलेज शुरू होने के लिए पुरे कैंपस के निर्माण होने का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा और अगले वर्ष से ही सीमित संसाधनों में कॉलेज शुरू किया जा सकता है। ऐसा ही प्रयोग एम्स, आईआईटी, आईआईएम जैसे बड़े शैक्षणिक संस्थानों को शुरू करने के लिए देश भर में होता आया है।
अक्षरविश्व वर्षों से उठा रहा है मेडिकल कॉलेज का मुद्दा
अक्षरविश्व द्वारा शहर में सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने का मुद्दा वर्षों से उठाया जा रहा है। कोरोना काल में सभी ने सरकारी मेडिकल कॉलेज की ज़रूरत को बड़े करीब से महसूस किया है। हम लगातार इस विषय की ओर जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकर्षित करते आए हैं। मार्च 2020 में पुन: मुख्यमंत्री बनने के बाद 17 जुलाई 2020 को पहली बार जब शिवराज सिंह चौहान उज्जैन आए थे तब भी हमने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था।
कॉलेज खुलने के लिए इन चुनौतियों से निपटना होगा
मेडिकल कॉलेज के जानकार बताते हैं की एक कॉलेज को शुरू करने के लिए आज 500 करोड़ रूपए के बजट की ज़रूरत पड़ती है। कोरोना के समय में जहाँ प्रदेश सरकार पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रही है ऐसे में यह देखना होगा की इतने बजट का इंतजाम कैसे हो पाता है। बजट के बाद दूसरा सबसे बड़ा चेलेंज है शिक्षकों की कमी। जानकार बताते हैं की आज भी अधिकांश मेडिकल कॉलेज जरुरत के अनुपात में केवल 60 से 70 प्रतिशत टीचर्स से ही कॉलेज का संचालन कर रहे हैं। एमबीबीएस की पढाई के बाद अधिकांश डॉक्टर की रुचि टीचिंग की अपेक्षा प्रेक्टिस करने में होती है।
आगे भी जनप्रतिनिधियों की भूमिका होगी अहम…
शहर के सभी के साझा प्रयासों से हुई इस घोषणा को मूर्त रूप देने के लिए आगे भी सभी जनप्रतिनिधियों को घोषणा का श्रेय लेने की होड़ और आपसी मतभेद भूल कर शहर की जनता के लिए इसी तरह साझा प्रयास करने चाहिए। जानकारों का कहना है की भले ही बजट या शिक्षकों की कमी जैसी चुनौतियाँ कॉलेज खुलने के रास्ते में आएंगी लेकिन सभी जनप्रतिनिधि यदि साथ मिलकर इस काम पर निरंतर फॉलो अप लेंगे तो सीएम द्वारा की गई घोषणा के परिणाम शीघ्र ही शहर की जनता को मिलने लगेंगे।