उज्जैन में नागपंचमी पर विश्व प्रसिद्ध नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट गुरुवार रात 12 बजे खोले गए। प्रथम पूजन श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी और मंदिर समिति के प्रशासक नरेंद्र सूर्यवंशी ने किया। श्री नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा के बाद अंदर गर्भगृह में श्री नागचंद्रेश्वर के शिवलिंग के पूजन किए। इसके बाद श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन दर्शन की शुरुआत की गई। कोरोना की वजह से मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित है।
लाइव दर्शन महाकाल मंदिर के मोबाइल एप और अधिकृत वेबसाइट के माध्यम से किए जा सकेंगे। दर्शन आज शुक्रवार रात 12 बजे तक ही होंगे। महाकाल मंदिर में नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए कई स्थानों पर LED भी लगाई गई है। मंदिर के पट साल में केवल एक बार ही श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं। यहां देशभर से हजारों की संख्या में दर्शन करने के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं।
नागपंचमी पर्व को भगवान नागचंद्रेश्वर के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। 11वीं शताब्दी के परमारकालीन महाकाल मंदिर के शिखर पर भगवान नागचंद्रेश्वर का मंदिर स्थित है। मंदिर में शेषनाग पर विराजित भगवान शिव और माता पार्वती की दुर्लभ प्रतिमा है। साल में केवल एक ही बार खुलने वाले इस मंदिर के दर्शन के लिए हर साल करीब 2 से 3 लाख श्रद्धालु आते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस बार श्रद्धालुओं को ऑनलाइन ही भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने पड़ेंगे। मान्यता है कि भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन मात्र से ही कालसर्प दोष का भी निवारण हो जाता है। ग्रह शांति, सुख-समृद्धि और उन्नति की कामना के लिए भी लाखों श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर मंदिर में मत्था टेकते हैं।