स्कूली बच्चें की निगरानी से मजाक, बसों में नहीं CCTV कैमरे, GPS सिस्टम…

शहर की शिक्षण संस्थानों के 90 प्रतिशत वाहन अनुबंध पर
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स्कूली बच्चें की निगरानी से मजाक, बसों में नहीं सीसीटीवी कैमरे, जीपीएस सिस्टम…
बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा जारी स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) के पालन पर उठने लगे सवाल…
उज्जैन।भोपाल में साढ़े तीन साल की बच्ची के साथ बस में दुष्कर्म के बाद स्कूली बसों के लिए मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा जारी स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) के पालन पर सवाल उठने लगे हैं। शहर के 90 प्रतिशत शिक्षण संस्थानों के वाहन अनुबंध पर चल रहे है।
बसों में नौनिहाल की निगरानी से स्कूल संचालक मजाक कर रहे है। आयोग की एसओपी को परखने के लिए बुधवार सुबह शहर के अलग-अलग चौराहे पर आने वाली बसों के चालक-परिचाल से सीसीटीवी कैमरे,जीपीएस सिस्टम की पड़ताल करने पर यह तथ्य सामने आया की अधिकांश स्कूली बसें सीसीटीवी कैमरे,जीपीएस सिस्टम के बगैर संचालित की जा रही है।
सीसीटीवी कैमरे,जीपीएस सिस्टम के लिए 8 से अधिक स्कूली बस के चालक-परिचाल से बात की,तो पता चला की किसी भी बस में कैमरे,जीपीएस सिस्टम नहीं था।
कुछ समय पहले नागदा के पास स्कूली वाहन दुर्घटना में चार बच्चों की मौत के बाद मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस संबंध में आयोग ने डीसीपी (यातायात), सभी जिले के परिवहन अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारियों को व्यवस्थाओं को लेकर पुन: एसओपी जारी कर कहा था कि स्कूल वाहन बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखें, नहीं तो कार्रवाई होगी।
सप्ताह में दो बार स्कूल बस, प्रायवेट वैन, मैजिक एवं अन्य वाहन, जो बच्चों का स्कूल आवागमन में उपयोग होते हैं, उनकी जांच सुनिश्चित होनी चाहिए। इन सभी सुझावों पर संबंधितों को आवश्यक दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन कराना सुनिचित कराकर आयोग को अवगत कराएं।
पुन: एसओपी जारी हुए एक माह से अधिक का समय हो चुका है,लेकिन एसओपी पालन तो दूर इसका पालन कराने वाले भी नजर नहीं आ रहे है। बहरहाल भोपाल की घटना ने फिर से अभिभावकों को अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित कर दिया है।
एसओपी में शामिल बिन्दु
सीसीटीवी कैमरे, दो दरवाजे, स्पीड गवर्नर, मेडिकल किट, अग्निशमन यंत्र एवं फिटनेस सर्टिफिकेट अनिवार्य।
सभी वाहनों को आवश्यक रूप से पीले रंग में होना चाहिए।
वाहनों पर स्कूल का नाम, दूरभाष नंबर एवं चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर होना चाहिए।
दस्तावेजों की कमी होने पर या लगातार यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर यातायात नियमों के अंतर्गत दंडात्मक कार्यवाही की जाए।
अन्य वाहन जैसे वैन, मैजिक आदि वाहनों में स्पीड गर्वनर व फिटनेस सर्टिफिकेट आवश्यक रूप से हो।
वाहनों में महिला अटेंडेंट उपस्थित होना चाहिए।
सभी स्कूली वाहनों, बस, वैन, मैजिक एवं आटो के ड्रायवरों/ अटेंडेंटों का भी पुलिस वैरिफिकेशन कराकर उनके रिकार्ड रखना स्कूल की जिम्मेदारी होगी।









