Lumpy Virus : CM शिवराज ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग,दिए निर्देश

मध्य प्रदेश के 26 से अधिक जिलों में मवेशियों में लम्पी वायरस फैल गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 8 हजार से ज्यादा मवेशी संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 5432 मवेशी ठीक हो चुके हैं।

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केवल लगभग 100 की मौत हुई है। हालांकि जानकारों का दावा है कि राज्य में लम्पी वायरस से अब तक 3 हजार से ज्यादा मवेशियों की मौत हो चुकी है. अधिकारियों के मुताबिक प्रभावित जिलों में 2 लाख से ज्यादा मवेशियों का टीकाकरण किया जा चुका है. उन्हें चेचक का टीका दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को लम्पी वायरस की रोकथाम के कार्यों की समीक्षा के लिए बैठक बुलायी है. बैठक में मुख्य सचिव, एसीएस पशुपालन, पीएस मुख्यमंत्री और संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहेंगे.

बैठक में सीएम ने कहा कि पशुपालकों को उपायों की जानकारी दें। ग्राम सभा बुलाककर सूचित करें। उन्होंने गौ शालााओं में टीकाकरण तेज करने के निर्देश भी दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि लंपी वायरस संक्रमण की बीमारी को गंभीरता से लें। इसे छिपाए नहीं। इससे पशुपालकों को जागरू करें। उनहोंने संक्रमित पशुओं का आवागमन प्रतिबंधित करने को भी कहा।

मुख्यमंत्री ने पशुओं में लंपी वायरस रोग के लक्षण दिखाई देने पर पशुपालकों को निकटतम पशु औषधालय, पशु चिकित्सालय में संपर्क करने को कहा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर भोपाल में राज्य स्तरीय रोग नियंत्रण कक्ष के दूरभाष क्रमांक जारी किए गए। इसमें 0755-2767583 और टोल फ्री नंबर 1962 नंबर है।

यह है लक्षण-

लम्पी वायरस से संक्रमित जानवरों के शरीर में गांठ बन जाती है। पशुओं के नाक से बुखार के साथ पानी आता है। यह बीमारी मच्छरों और मक्खियों से दूसरे जानवरों में फैलती है।

इन जिलों की पुष्टि-

लैब में सैंपल टेस्ट में रतलाम, उज्जैन, नीमच, मंदसौर, इंदौर, खंडवा और बैतूल जिलों में लम्पी वायरस की पुष्टि हुई है. इसके अलावा भिंड, मुरैना, श्योपुर, अलीराजपुर, खरगोन, बड़वानी, हरदा, धार, बुरहानपुर, आगर मालवा और झाबुआ में मवेशियों में लम्पी वायरस के लक्षण देखने को मिले हैं.

लक्षण दिखे तो करें ये उपाय-

यदि मवेशियों में ढेलेदार वायरस के लक्षण दिखाई देते हैं, तो उन्हें तुरंत अन्य मवेशियों से अलग कर दें। जिस स्थान पर आप मवेशी रख रहे हैं, वहां अच्छी साफ-सफाई रखें। मवेशियों को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में न ले जाएं। गाय के दूध को उबालने के बाद ही प्रयोग करें।

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