सबसे पहले महाकाल मंदिर में मनी Diwali

बाबा को लगाए गए 56 भोग, भक्तों ने किए दर्शन

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

भगवान महाकाल को लगा उबटन,

भस्मआरती के दौरान पुजारियों ने फुलझड़ी जलाकर की पर्व की शुरुआत

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में परंपरा के मुताबिक सबसे पहले दिवाली मनाई गई. सोमवार की सुबह चार बजे पहले बाबा की भस्म आरती हुई, 56 भोग लगे और फिर फुलझड़ियों के साथ बाबा की महाआरती करते हुए दिवाली मनाई गई. मतांतर के चलते चूंकि आज सुबह चतुर्दशी व शाम को अमावस्या की तिथि बन रही है, इसलिए राजा और प्रजा एक ही दिन दीपावली मनाएंगे. इसलिए बाबा महाकाल ने अपने आंगन में दिवाली मनाकर त्यौहार का शुभारंभ कर दिया है.

बता दें कि पुरानी मान्यता और परंपरा के मुताबिक सभी त्योहार सबसे पहले महाकाल के आंगन में मनाए जाते हैं. यही वजह है कि रोशनी का सबसे बड़ा पर्व दिवाली भी बाबा महाकाल के आंगन में सोमवार की सुबह भस्मआरती के साथ मनाया गया.

इससे पहले बाबा महाकाल को चंदन का उबटन लगाया गया, उन्हें चमेली का तेल लगाकर श्रृंगार किया गया. फिर भस्म आरती में बाबा का विशेष पंचामृत से अभिषेक पूजन किया गया. इसके बाद गर्भ गृह में शिवलिंग के पास पंडित पुजारी ने फुलझड़ियां जलाकर भगवान शिव के साथ दीपावली पर्व मनाया. इस मौके पर पुजारी/पुरोहित परिवार की महिलाओं ने विशेष दिव्य आरती की और बाबा को 56 भोग अर्पित कर उनका आशीर्वाद लिया.

परंपरा के मुताबिक बाबा महाकाल के लिए 56 भोग पुजारी को नगर से मिलने वाली अन्न सामग्री से ही तैयार किया जाता है. इसके लिए नगर वासियों ने दिल खोल कर अन्न जमा किया था. दिवाली के मौके पर महाकाल मंदिर में आकर्षक लाइटें और रंगोली सज्जा भी की गई है. कार्तिकेय मंडपम, गणेश मंडपम और गर्भगृह को भी दिवाली के मौके पर शानदार तरीके से सजाया गया है.

मंदिर के पुजारी पंडित प्रदीप गुरु ने बताया कि मंदिर में पुजारी देवेंद्र शर्मा, कमल पुजारी के मार्गदर्शन में अन्नकूट का भोग लगाया गया था. वहीं फुलझड़ियों से आरती की गई. वैसे मंदिर में अन्नकूट 56 भोग की परंपरा वर्षो पुरानी है, वह भी इस मौके पर निभाई गई. साथ ही विभिन्न प्रकार की औषधि, रस और सुगंधित द्रव्य भगवान को अर्पित किए गए. इसके बाद भगवान का भांग से श्रृंगार किया गया. देर रात महाकाल मंदिर में पण्डे-पुजारियों ने मंदिर परिसर में पटाखे फोड़े और आतिशबाजी की. सुबह फुलझड़ी जलाकर बाबा के साथ पर्व की शुरूआत की गई.

Related Articles