मंदिर प्रशासक भी बरत रहे लापरवाही श्रद्धालुओं की सुविधा का नहीं रख रहे ध्यान
उज्जैन। शहर से पांच किलोमीटर दूर स्थित श्री काल भैरव मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। लेकिन यहां की अव्यवस्थाएं उन्हें झेलना पड़ती हैं। जिम्मेदार भी लापरवाह बने हुए हैं। यहां हो रही श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच हो रही धक्कामुक्की से किसी भी दिन गंभीर हादसा हो सकता हैं। रविवार को भी एक महिला गिरकर चोंटिल हो गई थी।
काल भैरव मंदिर में निर्गम और प्रवेश द्वार एक ही होने से श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती हैं। वहीं यहां पर कतार भी लगाने के लिए सुरक्षा गार्ड तैनात नहीं रहते हैं जिससे धक्कामुक्की होती रहती हैं। रविवार को भी एक महिला गिरकर घायल हो गई थी। बताया जाता है जिनकी यहां पर ड्यूटी लगी है वे ही देर से पहुंचते हैं और व्यवस्था बनाने के बजाय इधर-उधर टहलते रहते हैं।
मंदिर समिति में एक प्रशासक, एक प्रबंधक और पांच कर्मचारी हैं। वहीं पांच गार्ड और सफाई कर्मचारी भी है। इसके बाद भी यहां पर व्यवस्था बिगड़ी हुई है। न तो पीने के पानी की समुचित व्यवस्था और न ही वॉशरूम के इंतजाम। पार्किंग भी निजी हाथों में है जिससे आए दिन विवाद होते रहते हैं।
जल्द ही मंदिर जाकर व्यवस्था देखूंगा-एसडीएम
एसडीएम संजय साहू से जब काल भैरव मंदिर में हो रही अव्यवस्था को लेकर चर्चा की तो उनका कहना था कि जल्द ही मंदिर जाकर देखता हूं। वहां पर श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
जगह-जगह लगे हैं कचरे के ढेर
मंदिर परिसर में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हुए हैं। ऐसा लगता है कि कई दिनों से सफाई ही नहीं हुई हो। वॉशरूम भी एक ही है जिसकी भी कभी सफाई नहीं की जाती है। महिला श्रद्धालुओं को यहां पर सबसे अधिक परेशानी झेलना पड़ती है। यहां पर प्रशासक की अनुपस्थिति में महिला प्रबंधक के पास चार्ज रहता है लेकिन वे भी जिम्मेदारी से काम नहीं कर पा रही हैं।
दो दिन में व्यवस्था ठीक कर देंगे: कलेक्टर
इस संबंध में जब कलेक्टर आशीषसिंह से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि मैंने अक्षर विश्व में मंदिर से संबंधित समाचार पढ़ा है। दो दिन में मंदिर की व्यवस्था ठीक कर दी जाएगी।
मंदिर प्रशासक की काममें कोई रुचि ही नहीं…
मंदिर में हो रही अव्यवस्था को लेकर जब प्रशासक केपी तिवारी से चर्चा की तो वे लापरवाहीपूर्वक अटपटे जवाब देते रहे हैं। उनसे पूछा गया कि मंदिर में भीड़ बढ़ रही है धक्कामुक्की होती है। क्या व्यवस्था कर रहे हैं तो उनका कहना था कि भीड़ तो रोज बढ़ेगी, इसे मैं कैसे रोक सकता हूं। कर्मचारी कम है जिससे व्यवस्था बनाने में परेशानी होती है। वरिष्ठ अधिकारियों को कहा है। देखते हैं क्या होता है, तब तक ऐसा ही चलेगा। निर्गम और प्रवेश द्वार एक ही होने पर उनका कहना था कि इसमें हम क्या कर सकते हैं। नए दरवाजे तो बनाने से रहे।