प्रोडक्ट डिजाइनिंग क्या है इसे जानें ,बनाएं इसमें अपना करियर

By AV NEWS

किसी भी उत्पाद को बाजार में उतारने से पहले उसकी डिजाइनिंग पर काफी रिसर्च और प्रयोग किए जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उत्पाद की लोकप्रियता इसमें भी है कि वह न सिर्फ दर्शनीय हो, बल्कि उपयोग में भी आसान हो। इसीलिए प्रोडक्ट डिजाइनिंग का करियर रचनात्मकता के साथ ही गहन शोधपरक भी है। इस करियर में क्या हैं संभावनाएं

जो दिखता है, वह बिकता है, बाजार का यह मूल मंत्र बन चुका है। वस्त्र व ज्वेलरी ही नहीं, मोबाइल, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, एप्लाइंसेस और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री आदि तमाम क्षेत्रों में उत्पाद के उपयोगी और टिकाऊ होने के साथ उसका सुंदर होना जरूरी हो गया है। आज की यही सोच है। खासकर किसी उत्पाद को खरीदने में युवाओं के लिए आकर्षक डिजाइनिंग जरूरी पहलू होता जा रहा है।

यही वजह है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां प्रोडक्ट की डिजाइनिंग पर खास ध्यान देने लगी हैं।किसी भी प्रोडक्ट की क्वालिटी और उसकी टेस्टिंग के साथ प्रोडक्ट के डिजाइन का भी बहुत महत्व होता है। प्रोडक्ट डिजाइनिंग, तेजी से अपनी जगह बनाता हुआ करियर है। अगर आपको उत्पादों की डिजाइनिंग में रुचि है तो इस क्षेत्र में अपनी क्रिएटिविटी के हुनर को चार चांद लगा कर चमका सकते हैं। आइए जानते हैं कि इस क्षेत्र में आप कैसे अपना अच्छा मुकाम बना सकते हैं।

प्रोडक्ट डिजाइनिंग को जानें
प्रोडक्ट डिजाइनिंग, डिजाइनिंग का एक अलग फील्ड है। जिसके तहत प्रोडक्ट डिजाइनर, व्यावसायिक निर्माण के लिए छोटे-बड़े तमाम तरह के उत्पाद डिजाइन करते हैं। सरल भाषा में कहें तो रोजाना इस्तेमाल में आने वाले छोटे बड़े सभी प्रोडक्ट यानी गिलास से लेकर कार तक सभी को एक बाहरी लुक देने के लिए प्रोडक्ट डिजाइनर काम करते हैं। कोई भी कंपनी अपने नए उत्पाद तो बाजार में लाती ही है, साथ ही पुराने उत्पादों को बाजार में बनाए रखने के लिए उनके डिजाइन में अपडेट करके बाजार में उतारती रहती है। मेडिकल इक्विपमेंट्स, ऑफिस या रिक्रिएशन इक्विपमेंट, कार, होम एप्लाइंसेस, कम्प्यूटर, खिलौने, जूते, फर्नीचर आदि कुछ भी डिजाइन करने का काम प्रोडक्ट डिजाइनर का ही होता है

क्या है जिम्मेदारी
प्रोडक्ट डिजाइनर सबसे पहले प्रोडक्ट में इस्तेमाल होने वाली सामग्री का चयन करते हैं और शुरुआती डिजाइनों को ड्रॉ करते हैं। किसी भी चीज को डिजाइन करते समय उसकी बनावट और उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जाता है। प्रोडक्ट डिजाइनर इस बात पर भी विचार करते हैं कि बाजार में उस उत्पाद की कितने समय तक मांग बनी रहेगी । साथ ही उन्हें संस्थान के दूसरे विभागों की जरूरत के साथ तालमेल बनाकर ही अपना काम करना होता है।

योग्यता
अगर छात्र-छात्राएं 12 वीं के बाद प्रोडक्ट डिजाइनिंग में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो उन्हें तमाम संस्थानों में मौजूद प्रोडक्ट डिजाइनिंग के किसी कोर्स में प्रवेश लेना होगा। इसमें प्रमुख बैचलर्स इन डिजाइनिंग/ पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा / सर्टिफिकेट/ मास्टर्स इन डिजाइनिंग के कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि छात्र ने डिजाइनिंग की पढ़ाई किस संस्थान से की है। अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर संस्थानों में दाखिले के लिए कई प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन भी किया जाता है। अंडरग्रेजुएट कॉमन एंट्रेंस एग्जामिनेशन ऑफ डिजाइन

यूसीईईडी), ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम फॉर डिजाइन (एआईईईडी) और कॉमन एंट्रेस एग्जामिनेशन फॉर डिजाइन (सीईईडी) इनमें प्रमुख हैं। सीईईडी परीक्षा आईआईटी, मुंबई द्वारा की जाती है। ये सभी प्रवेश परीक्षाएं ऑनलाइन आयोजित की जाती हैं। परीक्षा के जरिये उम्मीदवार के जनरल एप्टीट्यूड टेस्ट और क्रिएटिव एप्टीट्यूड की परख भी की जाती है। बारहवीं के बाद छात्र यह परीक्षा दे सकते हैं। यदि आपके पास आर्किटेक्चर या इंजीनियरिंग में डिग्री है और आप प्रोडक्ट डिजाइनिंग में जाने के इच्छुक हैं तो भी आईआईटी आदि संस्थानों से प्रॉडक्ट डिजाइन/ इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में मास्टर की पढ़ाई करके इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। उच्च तकनीकी संस्थानों के विद्यार्थियों के लिए बेहतरीन मौके मौजूद हैं। कई प्राइवेट संस्थान अपनी अलग से प्रवेश परीक्षाएं भी आयोजित करते हैं। सेरामिक और फर्नीचर डिजाइनिंग जैसे क्षेत्रों में भी उम्मीदवार विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं।

जरूरी कौशल
इस क्षेत्र में काम करने वाले को टीम वर्क करने की अच्छी समझ होनी चाहिए, क्योंकि उन्हें ग्राफिक डिजाइनरों के साथ-साथ मार्केटिंग, एडवरटाइजिंग और प्रोडक्शन टीम के साथ काम करना होता है। उनके लिए वर्तमान में चल रहे ट्रेंड्स से अपडेट रहना भी जरूरी होता है। उपभोक्ताओं की पसंद -नापसंद की समझ भी जरूरी है। कलात्मकता, रचनात्मकता, तार्किक सोच के साथ-साथ संचार व दूरदर्शिता, किसी प्रोडक्ट डिजाइनर के लिए जरूरी कौशल हैं। उम्मीदार को ड्रॉइंग के जरिये अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का हुनर आना चाहिए। तकनीकी जानकारी, विभिन्न तरह के मैटीरियल्स की जानकारी और तुलनात्मक ढंग से सोचने-समझने का कौशल होना भी जरूरी है।

करियर की संभावनाएं
प्रोडक्ट डिजाइनिंग एक उभरता हुआ करियर है। लगातार बढ़ रही प्रतिस्पर्धा को देख कंपनियां हर आय वर्ग के लोगों को आकर्षित करने के लिए प्रोडक्ट डिजाइनिंग पर पैसा खर्च कर रही हैं। दस वर्ष पहले तक जहां कंपनियां अनुसंधान और उत्पाद विकास पर सिर्फ 8 प्रतिशत ही खर्च किया करती थीं, अब यह हिस्सा 40 प्रतिशत तक हो गया है। कंपनियां प्रोडक्ट के डिजाइन से लेकर उसकी पैकेजिंग पर अच्छा खर्च कर रही हैं। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगे चलकर इस क्षेत्र में संभावनाओं के व्यापक मौके हैं।

एक प्रॉडक्ट डिजाइनर टेक्सटाइल इंडस्ट्री से लेकर डिजिटल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री, सेरामिक, फर्नीचर, फूड एंड पैकेजिंग इंडस्ट्री, कंस्ट्रक्शन, हार्डवेयर/ सॉफ्टवेयर आदि तमाम कंपनियों में अपने लिए मौके तलाश कर सकते हैं।

वेतन भी है शानदार
तकनीकी और रचनात्मकता को जोडऩे वाला यह करियर काफी चुनौतियों से भरा है। पेशेवरों का शुरुआती सैलरी पैकेज तकरीबन साढ़े चार लाख रुपये सालाना तक हो सकता है। यह इस पर भी निर्भर करता है कि उम्मीदवार ने पढ़ाई कहां से की है, उसकी दक्षता कैसी है और किस कंपनी में नौकरी मिली है। अनुभव के साथ मौके और वेतन दोनों बढ़ते जाते हैं।

भारत में प्रमुख संस्थान

  •  नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद, गुजरात
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट्स एंड डिजाइन, नई दिल्ली
  •  सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, पुणे
  •  श्याम यूनिवर्सिटी, दौसा, राजस्थान
  •  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु
  • एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा
  • जीडी गोयनका यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम
  • आईडीसी, स्कूल ऑफ डिजाइन, पोवई, मुंबई
  • आईआईएलएम स्कूल ऑफ डिजाइन, गुरुग्राम
  •  डीएसके इंटरनेशनल स्कूल ऑफ डिजाइन, पुणे

क्या कहते हैं विशेषज्ञ..

किसी उम्मीदवार को दीर्घकालिक लक्ष्यों और अपनी रुचि को देखते हुए ही इस क्षेत्र से जुडऩा चाहिए। डिजाइनिंग के क्षेत्र में ग्लैमर है, पर यह एक मुकाम के बाद ही हासिल होता है। अगर उम्मीदवार में रचनात्मकता या कड़ी मेहनत करने का जज्बा नहीं है तो यहां टिकना मुश्किल हो जाता है। कामयाबी के लिए खुद को अपडेट करना और अपने विचार को ढंग से प्रस्तुत करने का हुनर भी होना जरूरी है। मार्केट में हुनरमंद डिजाइनरों की कमी को देखते हुए, इस फील्ड में विकास के अच्छे मौके हैं। नौकरी के साथ अपना काम शुरू करने के मौके भी पर्याप्त हैं।

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