अब महाकाल की तर्ज पर चिंतामण गणेश मंदिर में मिलेगा लड्डू प्रसाद!

By AV NEWS

नई समिति की पहली बैठक 6 को, वेडिंग डेस्टिनेशन के प्रस्ताव पर भी होगा मंथन

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:महाकाल मंदिर की तर्ज पर चिंतामन गणेश मंदिर प्रबंध समिति अब स्वयं भक्तों को लड्डू प्रसाद उपलब्ध कराएगी। नवगठित समिति की पहली बैठक में इसके सहित कई प्रस्तावों पर मंथन होगा। मंदिर परिसर में वेडिंग डेस्टिनेशन का प्रस्ताव भी रखा जाएगा।

प्रशासन ने मंदिर समिति में दो नए सदस्यों यशवंत पटेल और रमेश वर्मा को नामांकित किया है। 6 फरवरी, मंगलवार को अपराह्न 3 बजे समिति की बैठक होगी। प्रबंधक अभिषेक शर्मा ने बताया इसमें मंदिर परिसर का विकास करने पर मंथन होगा। मंदिर परिसर में महाकाल मंदिर की तर्ज पर लड्डू प्रसाद मंदिर समिति खुद करेगी। इससे मंदिर की आय भी बढ़ेगी। मंदिर परिसर में अनेक लोग शादियां करने भी आते हैं।

यहां बिना कुंडली मिलाए शादी की तारीख तय की जाती है। इसके लिए पाती के लगन लिखे जाते हैं। इस कारण मंदिर परिसर में ही विवाह का क्रेज भी लोगों में बढ़ता जा रहा है। परिसर को मैरिज डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव भी पारित किया जा सकता है। चांदी के सिक्कों के विक्रय पर भी प्रस्ताव में विचार किया जा सकता है।

मोदक प्रसादी काउंटर बंद करना पड़ा

मंदिर प्रबंध समिति ने 2022 में भी लड्डू प्रसाद काउंटर शुरू किया था, लेकिन तब सांची दुग्ध संघ के माध्यम से मोदक प्रसादी के पैकेट उपलब्ध कराना शुरू किया था। इस योजना ने बाद में दम तोड़ दिया, क्योंकि समिति को मेवा से बने लड्डू प्रसाद सांची द्वारा उपलब्ध कराए जाते थे, जो कुछ समय में ही खराब हो जाते थे। इस कारण मोदक प्रसादी काउंटर बंद करना पड़ा। अब समिति स्वयं लड्डू प्रसाद बनवाकर काउंटर पर उपलब्ध कराएगी। चांदी के सिक्कों के विक्रय का प्रस्ताव भी बैठक में रखा जा सकता है।

चिंतामन गणेश मंदिर में शादियों का बढ़ रहा क्रेज

चिंतामन गणेश मंदिर में शादियों के प्रति लोगों का क्रेज बढ़ता जा रहा है। यहां शादी करने पर खर्च कम आता है और गणेश जी की साक्षी में विवाह होता है। मंदिर परिसर में केवल पांच हजार रुपए से कम में शादी हो जाती है। बिना ताम-झाम के यहां शादी होती है। दिन में ही शादी होती है। इसलिए केवल पूजन-पाठ व मंदिर तथा पंडित के शुल्क के अलावा कोई खर्च नहीं होता। यहां अब राजस्थान, गुजरात व आसपास के अन्य राज्यों के भी लोग आने लगे हैं। यहां गणेश जी की आज्ञा से बिना कुंडली मिलाए पाती के लगन लिखे जाते हैं। विवाह की तिथियों में से कोई एक जो अनुकूल लगती है उस दिन के लग्न लिखवा सकते हैं। कहते हैं पहली परिणय पाती भगवान कृष्ण के रुक्मणी विवाह के समय रुकमणी द्वारा लिखी गई थी। रुक्मणी का विवाह शिशुपाल से तय हो गया था किंतु उन्होंने पाती लिखकर कृष्ण भगवान को विवाह के लिए आमंत्रित किया था। उस समय कोई कुंडली मिलान नहीं किया गया, पाती की वही परंपरा मंदिर में आज भी जारी है।

शनि मंदिर की भी बनी समिति

कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने चिन्तामन गणेश मन्दिर तहसील उज्जैन एवं श्री शनि मंदिर तहसील कोठी महल की देवस्थान स्तरीय प्रबंध समिति में मप्र शासन आध्यात्म विभाग के पत्र में शासकीय देवस्थान प्रबंध समिति-2019 के अनुसार सदस्यों को नामांकित किया है। श्री चिन्तामन गणेश मंदिर प्रबंध समिति में यशवंत पटेल व रमेश वर्मा और श्री शनि मंदिर प्रबंध समिति में वीरेंद्र आंजना एवं कमलेश बैरवा को नामांकित किया है।

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