महाकाल आग हादसा:भस्मआरती में आग से प्रधानमंत्री मोदी चिंतित

मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट पर निगाहें, अब लग सकते कई प्रतिबंध
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:महाकाल मंदिर में होली पर गुलाल उडऩे से लगी आग से पुजारी सहित 14 लोगों के झुलसने की दुर्घटना से पीएम नरेंद्र मोदी भी चिंतित हो उठे हैं। उन्होंने सीएम डॉ. मोहन यादव से घटना की जानकारी लेकर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर समुचित उपाय करने की बात कही है। घटना की मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं कि इसमें क्या खुलासा होगा और चूक मानी जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर नंदीहॉल और गर्भगृह के लिए कुछ प्रतिबंधात्मक कदम उठाए जा सकते हैं। होली और दीपावली जैसे पर्व प्रतिकात्मक मनाए जाने की व्यवस्था की जा सकती है।
सोमवार सुबह भस्मारती के समय महाकाल मंदिर के गर्भगृह में गुलाल उड़ाने के दौरान यह हादसा हुआ, जिसमें पुजारी सहित 14 लोग घायल हो गए थे। सीएम डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर कलेक्टर नीरज कुमार सिंह हादसे की जांच करा रहे हैं। एडीएम अनुकूल जैन और सीईओ जिला पंचायत मृणाल मीणा की दो सदस्यीय कमेटी पूरे मामले की जांच विभिन्न पहलुओं पर कर रही है। सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका के बारे में भी पड़ताल की जा रही है। कलेक्टर ने समिति को रिपोर्ट में इस तरह की दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए प्रावधान प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए हैं। सूत्रों के अनुसार मंदिर प्रशासन अब जरूरी प्रतिबंधात्मक आदेश भी जारी कर सकता है।
विशेष पर्वों के लिए गर्भगृह की व्यवस्था निर्धारित की जा सकती है। जांच का मुख्य फोकस इस बात पर है कि रासायनिक गुलाल गर्भगृह तक कैसे पहुंच गया और इसके लिए कौन जिम्मेदार है। जांच रिपोर्ट इसी मुख्य पॉइंट पर की जा रही है। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट आज शाम तक ही कलेक्टर को प्रस्तुत करने की तैयारी चल रही है। कोई अड़चन आई तो बुधवार को यह रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी जाएगी।
8 सेवक क्यों थे गर्भगृह में?-प्रशासन की जांच इस बात पर भी की जा रही है कि मंदिर में निरीक्षक कमल जोशी और सफाई कर्मचारी मंगल बिसवा था तो 8 सेवक क्या कर रहे थे। इतनी बड़ी संख्या में सेवकों की भूमिका क्या थी? इनकी जिम्मेदारी क्या थी?
परंपरा जरूरी, लेकिन खुली छूट और मनमानी पर लगे रोक-अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के पूर्व सदस्य, पुजारी महेश शर्मा ने कहा मंदिर में परंपरा का निर्वाह जरूरी है लेकिन भक्तों को खुली छूट नहीं देना चाहिए। देश के सभी मंदिरों में व्यवस्था समुचित होना चाहिए। वीआईपी लोगों की मनमानी से भी कई बार परेशानियां आती हैं। मंदिर में होली और दीपावली पर पटाखे छोडऩे पर खुली छूट नहीं देना चाहिए। पर्व प्रतिकात्मक रूप से ही मनाए जाएं।
28 साल पहले हो चुका हादसा…
महाकाल मंदिर में 28 साल पहले भी बड़ा हादसा हो चुका है, जिसमें 30 से अधिक दर्शनार्थियों आदि की जान चली गई थी। यह हादसा एक बार फिर सोमवार को लोगों को याद आ गया।
मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने किया ट्विट
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर ट्विट कर बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे फोन पर बात की और हादसे की जानकारी ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दुर्घटना को पीड़ादायक बताया। सूत्रों की मानें तो पीएम ने मंदिर की सुरक्षा और व्यवस्था के लिए खास दिशा- निर्देश भी दिए हैं।
गर्भगृह में कब क्या हुआ…
22 जुलाई 2023: तेज बारिश के कारण महाकाल मंदिर के गर्भगृह में पानी भर गया था। नंदी हॉल में भी पानी ही पानी हो गया था। ऊपर से पानी गिरने के कारण झरने जैसा दृश्य दिखाई दे रहा था।
18 अगस्त 2018: गर्भगृह से पानी निकालने वाली मोटर बंद हो जाने के कारण महाकाल ज्योतिर्लिंग की जलाधारी के पास गंदा पानी जमा हो गया था। करीब एक घंटे तक ये जल भराव रहा और इसी पानी में श्रद्धालुओं को खड़े होकर पूजन अभिषेक करना पड़ा था। प जलाभिषेक का पानी चेंबर से होकर बाहर निकालने के लिए गर्भगृह के बाहर चेंबर में मोटर भी लगी थी।
22 जुलाई 2015: रुद्रसागर का जल महाकाल मंदिर के गर्भगृह तक पहुंच गया था। इस कारण श्रद्धालुओं को इसी स्थिति में भस्मारती करनी पड़ी थी। शिप्रा नदी का जल रुद्रसागर से होकर महाकाल मंदिर की ओर आता था।
15 जुलाई 1996: मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ में 35 लोग उस समय मर गये थे, जब कुछ वीआइपी की पूजा के लिए सारे दरवाजे बंद कर दिये गये थे। कुछ श्रद्धालु फिसल गये, जिस कारण भगदड़ मच गयी और बड़ा हादसा हो गया था।