बुद्ध पूर्णिमा, ये है इसका इतिहास और महत्व

By AV NEWS 1

हर साल वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा या पीपल पूर्णिमा कहा जाता है। इस बार यह पूर्णिमा 23 मई को मनाई जाएगी। इस दिन गंगा स्नान और दान धर्म के कार्य का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान बुद्ध  का जन्म हुआ था।

इसीलिए इस दिन को बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा का दिन बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन होता है। भगवान बुद्ध ने दुनिया को करुणा और सहिष्णुता के मार्ग पर चलना सिखाया।धार्मिक मान्यता के अनुसार वैशाख पूर्णिमा भगवान बुद्ध के जीवन की तीन अहम बातें -बुद्ध का जन्म, बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति और बुद्ध का निर्वाण के कारण भी विशेष तिथि मानी जाती है। इसी दिन भगवान बुद्ध को ज्ञान की भी प्राप्ति हुई थी।

बुद्ध पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि इस बार 22 मई, बुधवार को शाम 6.47 बजे शुरू हो जाएगी। इसका समापन 23 मई, गुरुवार को रात 7.22 बजे होगा। हालांकि, उदयातिथि के अनुसार, बुद्ध पूर्णिमा इस बार 23 मई, गुरुवार को ही मनाई जाएगी। इस दिन स्नान दान का समय सुबह 4:04 बजे से लेकर सुबह 5:26 मिनट तक रहेगा।

बुद्ध पूर्णिमा पूजा विधि

बुद्ध पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। सूर्य देव देव को अर्घ्य देकर दिन की शुरुआत करें। साथ ही इस दिन नदी में तिल भी प्रवाहित करें। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पीपल के पेड़ पर जल जरुर चढ़ाएं। इस दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है।

बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास

गौतम बुद्ध का जन्म का नाम सिद्धार्थ  था। गौतम बुद्ध एक आध्यात्मिक गुरु थे। जिनकी शिक्षाओं से बौद्ध धर्म की स्थापना हुई थी। गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था। सरनाथ में गौतम बुद्ध भगवान ने शिक्षा ग्रहण की थी। बौद्ध लेखों के अनुसार, गौतम बुद्ध ने बिहार के बोधगया में एक बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान लगाया था और वहीं ज्ञान की प्राप्ति की थी। ऐसी मान्यता है कि गौतम बुद्ध को इसी दिन आत्मज्ञान की प्राप्ती हुई थी। वहीं कुशीनगर में भगवान बुद्ध को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। कई लोग गौतम बुद्ध भगवान को विष्णु जी का 9वां अवतार मानते हैं और कई लोग भगवान कृष्ण  का 8वां अवतार मानते हैं।

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