एजेंसी नईदिल्ली। केंद्र सरकार आम आदमी पर करों का बोझ करने की दिशा में काम कर रही है। इसके लिए जीएसटी दरों को पहले से कम किया जाएगा। सरकार ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। इससे आम आदमी की जेब पर भार कम होगा और बाजार में खपत बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। सूत्र बताते हैं कि जीएसटी काउंसिल के विशेष दर स्लैब के प्रस्ताव के पक्ष में सरकार नहीं है क्योंकि इससे जहां जीएसटी की दरें बढऩे से वस्तुओं की कीमतें महंगी होगी तो वहीं इससे जीएसटी अदा करने की प्रक्रिया भी जटिल होगी। काउंसिल ने महंगी घडिय़ों, ब्रांडेड कपड़े, हैंडबैग पर 35 प्रतिशत का नया स्लैब बनाने का सुझाव दिया था। सरकार का मानना है कि इससे राजस्व संग्रह बढ़ाने की जगह कम हो सकता है क्योंकि उससे खरीदारी पर असर पड़ेगा और बाजार में मांग भी प्रभावित होगी। जीएसटी दरों से जुड़े अहम फैसले जीएसटी काउंसिल की बैठक में होने है। संभावना जताई जा रही है कि काउंसिल की बैठक अप्रैल के अंत में या फिर मई की शुरूआत में हो सकती है।
चरणबद्ध तरीके से हो सकती है कटौती
जानकार मानते हैं कि जीएसटी में चरणबद्ध तरीके से कटौती होगी, जिससे संग्रह में बड़ी कमी न आए। सरकार खाने-पीने की वस्तुओं को 12 से घटाकर पांच फीसदी के स्लैब में लाने का ऐलान कर सकती है। इसी तरह से 18 फीसदी के स्लैब में शामिल वस्तुओं को 12 फीसदी के स्लैब में ला सकती है लेकिन इस पर एक साथ फैसला नहीं होगा। उसकी जगह पर दो-चार महीने के अंतराल पर कटौती किए जाने की संभावना है।
राज्यों का भी रखा जाएगा ख्याल
प्रस्तावित कटौती में यह ध्यान रखा जाएगा कि राज्यों की वित्तीय स्थिति पर भी ज्यादा असर न पड़े। कुछ श्रेणी में राज्य भी कटौती के पक्ष में है। जैसे स्वास्थ्य व जीवन बीमा प्रीमियम पर 18 फीसदी जीएसटी है। पश्चिमी बंगाल समेत कई राज्य चाहते हैं कि इसे हटा दिया जाए। मामला जीएसटी काउंसिल मे विचाराधीन है। संभावना है सरकार इसे पांच या 12 प्रतिशत के स्लैब में शामिल कर सकती है। हालांकि बीमा कंपनियां 12 फीसदी की दर चाहती हैं।