बच्चों को अकेले सोने देना क्यों जरूरी है? कब और कैसे अलग सुलाने के लिए करें तैयार जानिए

जब बच्चा बहुत छोटा होता है, तो वो अपने माता-पिता के बहुत करीब होता है। ऐसे में उसका आपके पास सोना गलत नहीं है। लेकिन जैसे-जैसे वो बड़ा होने लगता है, उसे कभी न कभी अकेले सोने की आदत डालनी पड़ती है। इसके पीछे कुछ कारण हैं जिनसे बच्चे का अकेले सोना फायदेमंद हो सकता है। आइए जानते हैं:
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छोटे बच्चे अक्सर रात में सोते वक्त कभी-कभी जाग जाते हैं, तो माता-पिता हमेशा उसके पास होते हैं। उसे गोद में लेकर दुबारा सुला देते हैं। लेकिन जब बच्चा बड़ा हो जाएगा, तो आप हर बार ऐसा नहीं कर पाएंगे। इसलिए, उसे ये सीखना जरूरी है कि वो बिना आपकी मदद के खुद को शांत करके फिर से सो सके।
अगर माता-पिता हर समय, यहां तक कि सोते वक्त भी, बच्चे के साथ रहते हैं, तो बच्चे को ऐसा लग सकता है कि उनके बिना कुछ भी नहीं हो सकता और माता-पिता हमेशा उसकी सेवा में उपलब्ध रहेंगे। लेकिन ये स्थिति न तो सही है और न ही संभव है। इससे माता-पिता के लिए भी मुश्किलें बढ़ जाती हैं और बच्चे को भी आगे चलकर समस्या होती है।
अकेले सोने की आदत से बच्चे में आत्म-विश्वास बढ़ता है। जब बच्चा खुद की देखभाल करना सीखने लगता है, तो उसमें आत्म-निर्भरता की भावना पैदा होती है, जो की उसे भविष्य में बहुत काम आएगी।
बच्चा जब बड़ा होगा,तो उसे स्कूल ट्रिप,दोस्तों के साथ स्लीपओवर जैसी जगहों में अकेले रहना होगा। ये सब बच्चे के विकास के लिए जरूरी है। ऐसे में यदि बच्चा माता-पिता पर ज्यादा निर्भर रहेगा,तो उसके लिए ये सभी काम बहुत मुश्किल हो जाएगा।
माता-पिता दिन भर की थकान के बाद अपने बच्चों के साथ समय बिताने के लिए उनके साथ सोना पसंद करते हैं, लेकिन इससे बेहतर है कि आप डिनर या किसी और एक्टिविटी के दौरान एक साथ समय बिताएं और सोने का समय अलग-अलग रखें।
बच्चों को अंधेरे का डर, काल्पनिक राक्षसों या चोरों का डर लगना आम बात है, इसलिए वो माता-पिता के पास सोना चाहते हैं ताकि वह सुरक्षित महसूस कर सकें। हालांकि, समय के साथ बच्चों के मन से इन सब बातों का डर खत्म होना भी जरूरी है।
बच्चे को किस उम्र से अकेले सोने की आदत डालनी चाहिए?
बच्चे को सही उम्र में अकेले सोने की आदत सिखाना बहुत जरूरी है। अगर आप उसे बहुत जल्दी अकेले सुलाने की कोशिश करेंगी, तो उसे आपसे अलग होने का डर या तनाव होने लगेगा। वहीं, अगर बहुत देर से करेंगी, तो उसकी आदत बदलना बहुत मुश्किल हो जाएगा। इसलिए इसे सही समय पर करना जरूरी है। जब आपका बच्चा करीब 2 से 3 साल का हो जाए, तो ये सही समय होता है कि आप उसे अकेले सोने की कोशिश करवाएं। इसमें कुछ महीनों से लेकर एक साल तक का समय लग सकता है, जब तक कि बच्चा खुद से सोने और पूरी रात सोते रहने की आदत नहीं डाल लेता।
बच्चे को अकेले सोने की आदत डालने के कुछ आसान तरीके
बच्चे को धीरे-धीरे अकेले सोने की आदत डालने के लिए ये यहां कुछ सरल तरीके दिए गए हैं, जो उसे धीरे-धीरे इस नई आदत को अपनाने में मदद कर सकते हैं।
1. धीरे-धीरे शुरुआत करें
बच्चे को एकदम से अकेले सोने के लिए मजबूर न करें। पहले हफ्ते में एक-दो दिन उसे अकेले सुलाने की कोशिश करें और देखें कि उसका बर्ताव कैसा है। धीरे-धीरे अकेले सोने के दिनों को बढ़ाते रहें। कुछ समय बाद, वो खुद से सोने की आदत को पसंद करने लगेगा और अकेले सोने लगेगा।
2. एक रूटीन बनाएं
अक्सर बच्चों को सोने में दिक्कत होती है, लेकिन एक बार सो जाने के बाद वो ठीक से सोते रहते हैं। सोने से पहले एक रूटीन सेट करें, जैसे दांतों को ब्रश करना, पजामा पहनना, लाइट्स कम करना, गुडनाइट प्रेयर बोलना या कहानी पढ़ना। इससे बच्चा जल्दी ही इस प्रक्रिया का आदी हो जाएगा और आराम से सोने लगेगा।
3. अपनी मौजूदगी का एहसास दिलाएं
अगर बच्चा आपके बहुत करीब है, तो उसे अनदेखा न करें। कई बार बच्चे सिर्फ माता-पिता की आवाज या उनके किसी खास कपड़े, जैसे शर्ट या कंबल से सुरक्षित महसूस करते हैं। आप उसे अपना तकिया, कंबल या पुरानी स्वेटर दे सकते हैं, ताकि उसे लगे कि आप उसके पास हैं।
4. अपने फैसले पर कायम रहें
जैसे ही लगे कि बच्चा अकेले सोने की आदत सीख रहा है, कभी-कभी वो रोते हुए आपके कमरे में आकर साथ सोने की जिद करेगा। उस समय उसे प्यार से वापस उसके कमरे में ले जाएं। कभी-कभी हो सकता है ये आसान न हो, लेकिन कोशिश करें कि आप उसके कमरे में न सोएं। अगर जरूरी हो, तो उसके कमरे के दरवाजे पर थोड़ी देर खड़े रहें, जब तक वो सो न जाए।
5. प्रोत्साहित करें और खुशी मनाएं
जब बच्चा पहली बार अच्छे तरीके से अकेले सो जाए, तो उसे बताएं कि आपको उस पर गर्व है। उसे उसकी पसंद का नाश्ता या ट्रीट दें। ये उसे बार-बार ऐसा करने के लिए प्रेरित करेगा और धीरे-धीरे ये उसकी आदत बन जाएगी। उसे ये भी बताएं कि वो बहुत बहादुर है और अगली बार भी अकेले सोने में उसे गर्व महसूस होगा।
6. ध्यान भटकाने वाली चीजें दूर रखें
इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, जैसे मोबाइल या टीवी, सोने में रुकावट डाल सकते हैं। बच्चे के सोने के समय से पहले इन चीजों का उपयोग सीमित करें और कोशिश करें कि उसके कमरे में कोई गैजेट्स न हों।
7. सोने को सजा के रूप में इस्तेमाल न करें
कभी-कभी माता-पिता बच्चे को सजा के रूप में अकेले सोने को कहते हैं, जब वो कुछ गलत करता है। इससे बच्चे के दिमाग में सोने के प्रति गलत धारणा बन सकती है और भविष्य में उसे नींद से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि अकेले नींद न आना।
8. एक ही कमरे में अलग सोएं
अगर शुरुआत में बच्चे को अकेले सोने में बहुत दिक्कत हो रही है, तो आप भी उसके कमरे में दूसरे बेड या अलग गद्दे पर सो सकती हैं। इससे थोड़ी शारीरिक दूरी बनी रहेगी और बच्चे को धीरे-धीरे अकेले सोने में मदद मिलेगी।
9. उन्हें आश्वस्त करें
बच्चों का भूतों और राक्षसों से डर लगता है आप उनके पास रहे उन्हें बताएं की आप उनके साथ है डरने की कोई बात नहीं हैं और इस प्रकार उन्हें धीरे-धीरे शांत करें और जब बच्चा सो जाए तो बीच बीच में जाकर देखें वो ठीक से सो रहा है या नहीं।
10. इनाम दें
अपने बच्चे को अपने आप सोने की इस अच्छी आदत को अपनाने के लिए उसे पुरस्कृत करें और उन्हें अपना पसंदीदा खिलौना या खाना दें।