सिंहस्थ में स्थायी कुंभ नगरी के लिए भाजपा ने संभाला मैदान

किसान होंगे मालामाल, भ्रम करेंगे दूर, बन रहा ले आउट
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2378 हेक्टेयर जमीन पर स्थाई कुंभ नगरी होगी विकसित
अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। सिंहस्थ 2028 से पहले इस बार स्थायी कुंभ नगरी विकसित करने के लिए प्रशासन ले आउट तैयार करने जुटा हुआ है। मामले में अब नगर भाजपा ने भी मोर्चा संभाल लिया है। पार्टी किसानों का भ्रम दूर कर इस योजना को धरातल पर उतारने की कवायद में जुट गई है। किसानों को बताया जाएगा कि विकसित जमीन से किसान मालामाल होंगे।
देश में पहली बार उज्जैन में सिंहस्थ 2028 के लिए स्थायी कुंभ नगरी बनाई जा रही है। 2378 हेक्टेयर जमीन पर यह स्थायी नगरी बसाने के लिए उज्जैन विकास प्राधिकरण ले आउट तैयार कर रहा है। इसके अनुसार बडऩगर रोड और मुरलीपुरा रोड पर लोक निर्माण विभाग ने काम भी शुरू कर दिए हैं।
योजना के तहत पूरी नगरी में 60 फीट से ज्यादा चौड़े रोड होंगे और सीवरेज लाइन भी डाली जाएगी। प्राधिकरण इस क्षेत्र में इंफा स्ट्रक्चर डेवलप करेगा और साधु संतों और धार्मिक संस्थाओं को स्थाई रूप से जमीनें उपलब्ध कराएगा। स्थायी विकास से किसान मालामाल होंगे। जमीनों के दाम तेजी से बढ़ेंगे और किसान इनका बेहतर उपयोग कर सकेंगे। प्राधिकरण इसके लिए किसानों की जमीन लेकर उनको विकसित करेगा। इस योजना को लेकर किसान भ्रमित हो रहे हैं कि उनकी जमीन सरकार ले रही। इस भ्रम को दूर करने के लिए बुधवार को लोकशक्ति स्थित भाजपा कार्यालय में मीटिंग हुई|
स्थाई कुंभ नगरी योजना
2 हजार करोड़ रुपए इस पर खर्च होने की संभावना।
1800 से ज्यादा किसानों की जमीन योजना के दायरे में।
हर रोड में अंडर ग्राउंड सीवर सिस्टम, वाटर सप्लाई सिस्टम, स्टॉर्म वाटर लाइन और अंडर ग्राउंड इलेक्ट्रिकल लाइन डालने की योजना।
यूडीए तैयार कर रहा ले आउट
उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) इसका ले आउट तैयार कर रहा। इसमें सभी सर्वे नंबरों का मिलान कर यह देखा जा रहा कि अखाड़ों और साधु संतों को किस जगह शिविर के लिए जगह आवंटित की जाती है। इसी आधार पर लेआउट तैयार किया जा रहा।
कांग्रेस किसानों को कर रही भ्रमित
भाजपा के नगर अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस किसानों को भ्रमित कर इस योजना में अवरोध डाल रही, जबकि यह योजना किसानों के लिए लाभप्रद है। उन्होंने कहा योजना के दायरे में आ रहे किसानों की आधी जमीन पर सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करेगी। इससे सडक़, बिजली और पानी जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। शेष आधी जमीन किसान को लौटाई जाएगी।