कान्ह का दूषित जल डायवर्ट करने के लिए बनेगी 12 किमी की सुरंग

सिंहस्थ से पहले शिप्रा नदी होगी निर्मल, कल कल बहेगा जल

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900 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट, तीस फीसदी काम पूरा

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। सिंहस्थ 2028 से पहले उज्जैन की शिप्रा नदी को निर्मल बनाने के लिए बनाई जा रही दुनिया की पहली अंडरग्राउंड टनल का 30 फीसदी काम पूरा हो गया है, लेकिन बारिश के मौसम में प्रोजक्ट के तहत नहर बनाने का काम रोका जाएगा। इस कारण बारिश से पहले काम ज्यादा से ज्यादा पूरा करने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है, लेकिन बारिश के कारण इसका काम रोका जाएगा। करीब 900 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट से खान नदी का प्रदूषित पानी शिप्रा में मिलने से रोका जाएगा। पानी शिप्रा में न मिले, इसके लिए जमीन के 100 फीट अंदर 12 किलोमीटर लंबी टनल (सुरंग) बनाई जा रही है।

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  • 30.15 किमी कान्ह डक्ट परियोजना की कुल लंबाई।
  • 100 फीट जमीन के नीचे 12 किलोमीटर की टनल।
  • 18.15 किमी की लंबाई में कट एंड कवर (जमीन में नहर बनाकर फिर उसे सीमेंट ब्लॉक से ढका जाएगा) किया जाएगा।
  • 15 गांवों से होती हुई यह गंभीर नदी से जुड़ेगी।

क्या और कैसे होगा प्रोजेक्ट
प्रोजेक्ट के लिए इंदौर के जमालपुर गांव से कान्हा नदी तक डायवर्जन बनाया जाएगा। करीब 30 किलोमीटर लंबा यह डायवर्जन प्रोजेक्ट 12 से ज्यादा गांवों से होकर गुजरेगा। गंदा पानी अंडर ग्राउंड टनल के जरिए गंभीर डेम में छोड़ा जाएगा। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद सिंहस्थ 2028 में आने वाले लोगों को स्नान करने के लिए साफ पानी मिलेगा। कई गांव को लोगों को वाटर सप्लाई भी होगा।

जमीन के अंदर टनल बनाने का काम चल रहा

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जल संसाधन विभाग का दावा है कि यह दुनिया की पहली ऐसी सुरंग है जो किसी नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए इतनी लंबी बनाई जा रही है। जवासिया के पास तालोद में एक गहरा कुंआ खोदा गया है, जहां से जमीन के अंदर टनल बनाने का काम चल रहा है। बारिश का मौसम शुरू होने से पहले टनल के साथ नहर बनाने का काम किया जा रहा है ताकि बारिश के कारण प्रोजेक्ट में रुकावट न आए। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि बारिश के मौसम में भी जमीन के अंदर टनल बनाने का काम जारी रहेगा। केवल नहर बनाने का काम रोकना पड़ेगा।

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टनल बनने से खान नदी का प्रदूषित पानी शिप्रा में मिलने से रोका जाएगा और कालियादेह पैलेस के आगे वापस नदी में छोड़ा जाएगा। इससे सिंहस्थ में शिप्रा नदी के साफ और निर्मल पानी में साधु संत और श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे। टनल की विशेषता यह है कि इसके ऊपर किसान कृषि कार्य भी जारी रख सकेंगे। दूषित पानी को ट्रीट करके गंभीर नदी के निचले हिस्से में छोड़ा जाएगा जो खेती के लिए सिंचाई के उपयोग में आएगा। विश्व की पहली इस तरह की योजना है, जिसमें जमीन के भीतर दूषित पानी को डायवर्ट कर उसका उपयोग भी किया जाएगा।

नहर का काम रोकेंगे… प्रोजेक्ट का तीस फीसदी काम हो चुका है। बारिश में नहर का काम रोकना पड़ेगा लेकिन जमीन के अंदर टनल का काम करने की पूरी कोशिश रहेगी।
मयंकसिंह, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग

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