किस्सा कुर्सी का… कोर्ट से मिला स्टे, नहीं मिला पॉवर

शिक्षा विभाग में डीपीसी का पद फिर खाली, प्रभार से हो रहे काम
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अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। स्थानीय शिक्षा विभाग में डीपीसी की कुर्सी को लेकर अजीब किस्सा चल रहा है। सर्व शिक्षा अभियान में जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) की कुर्सी के लिए एक अफसर और प्रशासन के बीच अलग ही लड़ाई चल रही है। ट्रांसफर होने के बाद भी डीपीसी अपने पॉवर के लिए कानूनी जद्दोजहद कर रहे हैं।
दरअसल, डीपीसी अशोक त्रिपाठी का ट्रांसफर शासन के आदेश पर उज्जैन से कर दिया गया है, लेकिन डीपीसी की कुर्सी उन्हें इतनी रास आ गई है कि वे अब इसे छोडऩे के लिए तैयार नहीं हैं। त्रिपाठी को वापस शिवपुरी में मूल पद प्राचार्य उमावि पर ट्रांसफर किया गया है। 25 जून को आदेश जारी होने के दो दिन बाद 27 जून को ही कलेक्टर रौशन कुमार सिंह ने रिलीव कर दिया था। इस पर त्रिपाठी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और वे स्टे ऑर्डर ले आए।
इस स्टे के आधार पर त्रिपाठी 7 जुलाई को दफ्तर पहुंचे और स्वयं ही ज्वाइन कर लिया था। उन्होंने इसकी नोटशीट फाइल भी कलेक्टर के पास भेज दी, लेकिन प्रशासन ने ऐसा निर्देश जारी किया कि ज्वाइनिंग अधर में पड़ गई।
अब न त्रिपाठी दफ्तर जा रहे न ज्वाइनिंग हो पा रही। त्रिपाठी ने यह तो स्वीकार किया कि अभी उनकी ज्वाइनिंग नहीं हो सकी है लेकिन स्टे किस आधार पर मिला, इसको लेकर वे कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। चर्चा यह है कि त्रिपाठी को सख्त हिदायत दे दी गई है कि वे कलेक्टर के आदेश बिना कुर्सी पर न बैठें। हालांकि इस खबर की पुष्टि आधिकारिक तौर पर नहीं हो सकी है।
दो साल बाद मिले थे डीपीसी
त्रिपाठी की पदस्थापना सितंबर 2023 में शिवपुरी से उज्जैन हुई थी। इसके पहले डीपीसी की कुर्सी करीब दो साल तक खाली पड़ी रही। विभाग के काम चलाने के लिए प्रशासन को प्रशासनिक अधिकारियों को प्रभार सौंपना पड़े। पहले अपर कलेक्टर एकता जयसवाल को डीपीसी की जिम्मेदारी सौंपी गई फिर उप जिला निर्वाचन अधिकारी सत्यनारायण सोनी को इसका अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। एक बार फिर इसका प्रभार विभागीय अधिकारी को सौंपा गया है।
अभी ज्वाइनिंग नहीं हो सकी
ट्रांसफर के विरुद्ध कोर्ट से स्टे मिल चुका है, लेकिन अभी ज्वाइनिंग नहीं हो सकी है। यह आधिकारिक है, इसलिए ये नहीं बता सकता कि किस आधार पर स्टे मिला।-अशोक त्रिपाठी, पूर्व डीपीसी सर्व शिक्षा अभियान