आयतित नेताओं के होर्डिंग्स में दिखी कांग्रेस की परछाई

इनके लिए सत्ता-संगठन से ऊपर अपने आका
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खरी-खरी :
भाजपा अनुशासनप्रिय दल है। मंच, भाषण, पोस्टर एवं होर्डिंग्स की एक आचार संहिता है और इसका पालन भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता दिल से करते हैं। नेतृत्व की गरिमा और पद की मर्यादा के अनुसार सम्मान देना भाजपा संस्कृति है और यही बात उसे अन्य दलों से अलग भी करती है।
लेकिन अन्य पार्टियों से भाजपा में आए नेताओं में यह संस्कृति नहीं दिखती। भगवान महाकाल की राजसी सवारी में सिंधिया समर्थक उमेशसिंह सेंगर के होर्डिंग्स में यह स्पष्ट दिख रहा है। कांग्रेस से आयातित सेंगर ने (कांग्रेस के समय से) अपने ‘नेता’ को बड़ा दिखाने के चक्कर में होर्डिंग्स पर सीएम डॉ. मोहन यादव का फोटो ही छोटा कर दिया। शीर्ष नेतृत्व पीछे और सेंगर के ‘नेता’ सबसे आगे। दरअसल यह होर्डिंग्स कांग्रेस से आए नेताओं की पुरानी मानसिकता का आईना है। जो संकेत दे रही है कि वे अभी भी भाजपा संस्कृति से दूर है। सेंगर जैसे नेता यह भूल जाते हैं भाजपा में आका संस्कृति नहीं चलती। यहां कोई भी नियमों को तोड़ नहीं सकता, यहां विचारधारा बड़ी है और व्यक्ति छोटा।
यह पहला मौका नहीं है। इसके पहले भी कई बार कांग्रेस से आए नेता भाजपा कार्यक्रमों में मर्यादा तोड़ते दिखे हैं। बिना बुलाए मंच पर जाना, आकाओं के नाम से जिंदाबाद के नारे लगाना, आंदोलनों में अपने फोटो वाले पोस्टर लेकर शामिल होना जैसे कई मामले पहले भी चर्चा में आ चुके हैं। अब प्रश्न यह है कि आयतित नेताओं के आचरण में बदलाव के लिए भाजपा क्या कदम उठाती है? उन्हेें पार्टी के संस्कारों में ढालने के लिए कार्यशाला लगाएगी या कार्रवाई का डंडा घुमाएगी?









