महाशिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित होता है। ये त्योहार माघ महीने के फाल्गुन महीने में मनाया जाता है। इस साल ये पर्व 8 मार्च को मनाया जाएगा। पौराणिक कथा के अनुसार महाशिवरात्रि उस महान रात को संदर्भित करती है जब भगवान शिव तांडव नृत्य करते हैं।
इस दिन मां पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। इसलिए हर साल महाशिवरात्रि के दिन बड़े धूमधाम से शिव-गौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन भगवान शिव के भक्त पूजा करते हैं और व्रत भी रखते हैं। वैसे तो महाशिवरात्रि का व्रत आसान है लेकिन कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है। व्रत के दौरान की जाने वाली गलतियां नुकसान पहुंचा सकती हैं। तो चलिए जानते हैं व्रत के दौरान किन गलतियों को करने से बचना चाहिए और कौन से नियमों का पालन करना चाहिए।
क्या है महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि की शुरुआत 8 मार्च शाम 6 बजकर 25 मिनट से रात में 9 बजकर 28 मिनट तक है। वही दूसरे प्रहर में पूजा का समय रात 9 बजकर 28 मिनट से 9 मार्च की मध्य रात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक है।
महाशिवरात्रि व्रत में न करें यह
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव की पूजा करते समय भूल कर भी शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं लगाएं। ग्रंथों में पूरी परिक्रमा को वर्जित माना गया है।
शिवरात्री के दिन भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं इसलिए ध्यान रखें कि बेलपत्र कहीं से कटे-फटे या पुराने न हों। बेलपत्र को हमेशा चिकनी साइड से ही चढ़ाएं। इा दौरान ओम नम: शिवाय का जाप करें।
पूजा के दौरान भगवान शिव पर रोली, हल्दी और कुमकुम चढ़ाने की भूल न करें। इन सभी चीजों को स्त्री रूप माना गया है। शास्त्रों में इसे वर्जित माना गया है। भगवान शिव पर आप चंदन का टीका लगा सकते हैं।
भोलेनाथ की मूर्ति या शिवलिंग पर भूलकर भी तुलसी पत्र न चढ़ाएं।
केतकी और कनेर का फूल भगवान शंभु पर अर्पित नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से आराध्य रुष्ट हो सकते हैं।
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महाशिवरात्रि व्रत में करें इन नियमों का पालन
व्रत के दिन ब्रह्चर्य को अनिवार्य माना गया है।
यदि शरीर में ताकत है तो आप निर्जला व्रत रख सकते हैं।
व्रत के दौरान साधारण नमक की जगह सेंधा नमक का सेवन करें।
व्रत के दिन दोपहर में सोना नहीं चाहिए।
इस दिन घर में मांस बनाना और खाना वर्जित माना गया है। इसलिए इससे दूरी बनाएं।
महाशिवरात्रि पर घर में भजन कीर्तन करना चाहिए।
पूजा के दौरान शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाने के बाद जल अवश्य चढ़ाएं।
शंभुनाथ को प्रसन्न करने के लिए रात्रि जागरण करें।