मंदिर में मोबाइल पर प्रतिबंध का प्रभाव, काउंटर पर जमा करने वालों की लग रही है भीड़, कब तक रहेगा असर..?

रील बनाने का हुआ था विरोध
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कर्मचारी भी बरत रहे हैं सख्ती
पूर्ण प्रतिबंध लगाने की उठी मांग
कुछ ऐसे भी हैं जो जिद करते हैं
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। जो मूर्ख होते हैं वे भगवान के भक्त नहीं होते। भक्ति के लिए समर्पण और श्रद्धा जरूरी है। श्रद्धा आती है विचार से। जब विचार ही मैले हों तो श्रद्धा दिखावे में बदल जाती है। ऐसा विद्वान कहते हैं। फिर भी हम नहीं सुधरते। भगवान के मंदिर में जाकर वीडियो बनाते हैं और फिल्मी गीतों को जोड़ कर सोशल मीडिया पर अपलोड कर देते हैं। यह भक्ति नहीं मूर्खता है। खास बात यह है कि ऐसा सिर्फ मंदिर में आने वाले तथाकथित लोग ही करते हैं।
अन्य धार्मिक स्थलों पर जाने वाले ऐसा नहीं करते। महाकाल मंदिर को लेकर जो रील बनाई जा रही थी, उसका पंडे, पुजारियों और जागरुक लोगों ने विरोध किया। प्रशासन से मांग की कि मंदिर में मोबाइल पर प्रतिबंध लगाया जाए। कलेक्टर ने विषय की गंभीरता और कुछ लोगों की मूर्खता को ध्यान में रखते हुए मोबाइल पर प्रतिबंध लगा दिया। महाकाल मंदिर में इसका खासा असर देखा गया। कर्मचारियों ने सख्ती बरती और किसी को रील नहीं बनाने दी।
अन्य द्वारों पर भी चैकिंग की गई
कलेक्टर के निर्देश की महाकाल मंदिर में सख्ती देखी गई। महाकाल मंदिर समिति के कर्मचारियों के अलावा क्रिस्टल कंपनी के कर्मचारी भी मोबाइल को लेकर सक्रिय और सख्त नजर आए। कर्मचारियों की सख्ती का काउंटर पर प्रभाव देखा गया। कई दर्शनार्थिंयों को वीआईपी गेट से भी लौटाया गया। नियमित रूप से दर्शन करने वाले लोगों के लिए भी नियम प्रभावी रहा। उनसे भी कहा गया कि वे अपना मोबाइल घर रखें या काउंटर पर रख कर आएं।
मानसरोवर गेट पर सख्ती
महाकाल मंदिर के माससरोवर गेट पर ही काउंटर बनाया गया है। वहीं पर मोबाइल रखे जा रहे थे। अक्षर विश्व की टीम ने देखा कि बाहर से आने वाले कुछ दर्शनार्थी को मान गए लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो बहस करते हुए देखे गए। उनका तर्क था कि हम बहुत दूर से आए हैं, यहां की यादें कैमरे में कैद करना चाहते हैं। कर्मचारियों ने बड़े प्यार से समझाया कि तुम्हारी यादों के चक्कर में हम यहां यादों में खो जाएंगे। बकायदा पेंट की जेब और हैंड बैग में भी तलाशी ली गई।
कर्मचारी लगे हुए हैं
म हाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल का कहना है कि कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के निर्देश पर मोबाइल पर प्रतिबंध लगाया गया है। कर्मचारी इस निर्देश का सख्ती से पालन कर रहे हैं। हम भी कर्मचारियों की सक्रियता और उनकी कार्यशैली पर नजर रखे हुए हैं।
भस्मार्ती में ही क्यों…?
लोगों का कहना है कि मोबाइल पर प्रतिबंध सिर्फ भस्मार्ती में ही क्यों?. इस नियम को पूरे महाकाल मंदिर में प्रवेश से लेकर रात्रि तक यानी शयन आरती तक प्रतिबंधित होना चाहिए। प्रेम कुमार शर्मा पथिक का कहना है कि हम अपने ही मंदिर की गरिमा को ठेस पहुचा रहे हैं। रील बनाना ठीक नहीं है। मोबाइल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए। बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुभाष गौड़ ने कहा कि मोबाइल पर प्रतिबंध का निर्णय स्वागत योग्य है। सवाल यह है कि भस्मार्ती के लिए ही क्यों?
डॉ. अजय जैन कीर्ति ने कहा कि हम अपनी मर्यादा को न तोड़ें। भगवान मनोरंजन के साधन नहीं हैं। मोबाइल पर पूर्ण प्रतिबंध लगना चाहिए। प्रो. अप्रतुल शुक्ल का कहना है कि अभी सख्ती ठीक है। यह स्थायी होना चाहिए। कल ऐसा न हो किसी खबर या सोशल मीडिया पर खबर आए कि महाकाल मंदिर में रोक-टोक नहीं, अंदर जा रहे हैं मोबाइल। लोग बना रहे हैं रील। ऐसा नहीं होना चाहिए। समाजसेवी शेखर जैन ने कहा कि मोबाइल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए। रील बनाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई होना चाहिए।