हर माता-पिता अपनाएं ये नियम बच्चा बनेगा समझदार और सफल

बच्चे बहुत सी आदतें अपने माता-पिता और घर के अन्य सदस्यों को देखकर ही सीखते हैं। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि बड़ों का व्यवहार, बोलचाल का तरीका, एक-दूसरे के प्रति आदरपूवर्क हो। हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा समझदार बने और जिंदगी में कामयाबी हासिल करे। इसके लिए वे अपने बच्चों को अच्छे संस्कार और आदतें सिखाने की पूरी कोशिश करते हैं। लेकिन सिर्फ औलादा को सिखाना ही काफी नहीं हैं, क्योंकि बच्चे वही सीखते हैं, जो वे अपने माता-पिता को करते हुए देखते हैं। इसलिए जरूरी है कि पैरेंट्स खुद उन बातों को अपनी जिंदगी में अपनाएं, जो वे अपने बच्चों को सिखाना चाहते हैं।
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इसीलिए आज हम आपको ऐसे नियमों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिनको सीखने से न केवल बच्चा न केवल सिर्फ समझदार और खुशहाल बन सकता है बल्कि जिंदगी में एक कामयाब इंसान भी बन सकता है। आइए जनते हैं इन नियमों को विस्तार से।
हमेशा सच बोलें
चाहे हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, घर में हमेशा सभी को सच बोलना चाहिए। साथ ही बच्चा या फिर कोई भी सदस्य जब सच बोले, तो उसे डांट या सजा न दी जाए। ऐसा माहौल बच्चे के भीतर ईमानदारी, आत्मविश्वास और नैतिकता को मजबूत करता है, जो उसे जीवन में कामयाब बनाता है।
सिर्फ उम्मीदें ही न रखें
रिश्तों में सिर्फ उम्मीदें न रखें, बल्कि जब भी मौका मिले, एक-दूसरे की दिल से तारीफ भी करें। क्योंकि इससे रिश्तों को और भी गहरा करने में मदद मिलती है। वहीं बच्चा भी रिश्तों की अहमियत को समझता है।
सम्मान के साथ करें बातचीत
घर के सभी सदस्य एक-दूसरे से सम्मानपूर्वक बात करे, फिर भले ही विचारों में मतभेद क्यों न हो। हमेशा सहमति जरूरी नहीं है, लेकिन जो अहम है वह सम्मान। बड़ों को एक-दूसरे का सम्मान करता देख बच्चों के भीतर भी यह आदत धीरे-धीरे विकसित होगी।
खाने के वक्त फोन का न करें यूज
डिनर टेबल पर कभी भी मोबाइल फोन का यूज न करें। क्योंकि इस समय सिर्फ और सिर्फ रियल टॉक सबसे ज्यादा मायने रखती है। इसलिए हमेशा घर में यह नियम बनाएं कि बच्चों के सामने कभी भी खाने के वक्त फोन का यूज न करें। इस बिहेवियर से बच्चों को फैमिली टाइम की वैल्यू पता चलती है।
जीत को सेलिब्रेट करें
जीत चाहे छोटी हो या बड़ी, उसका जश्न जरूर मनाना चाहिए। इसलिए घर के सभी सदस्यों को चाहिए कि वे एक-दूसरे की कामयाबी को अलग अंदाज में सेलिब्रेट जरूर करें। इस प्रैक्टिस से बच्चे को आगे बढऩे की प्रेरणा मिलती है।