सबसे पहले ‘महाकाल’ की दीपावली

बाबा को लगाया केसर चंदन का उबटन, भस्मारती में 56 भोग

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होली पर हुए हादसे से सबक ले एक फुलझड़ी जलाकर परंपरा का किया पालन

उज्जैन। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में गुरुवार को सबसे पहले दीपावली मनाई गई। तड़के भस्मारती में पुजारी परिवार की महिलाओं ने बाबा महाकाल को चंदन का उबटन लगाया।

इसके बाद अभ्यंग स्नान करवाया। भगवान को गर्म जल से स्नान करवाने की शुरुआत भी हो गई। भस्मारती में अन्नकूट भी लगाया गया। होली के हादसे को देखते हुए गर्भगृह में एक फुलझड़ी जलाकर परंपरा निभाई गई। भक्तों ने ‘जय महाकाल’ का उद्घोष किया जिसके साथ ही दीपावली का अद्भुत उत्साह छा गया।

केसर-चंदन का उबटन, फिर गर्म जल से स्नान

जय महाकाल के उद्घोष से गूंजा मंदिर, भगवान की एक झलक पाकर भक्त निहाल

अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर में सभी त्यौहार सबसे पहले मनाए जाने की परंपरा है। तड़के भगवान का पंचामृत अभिषेक, पूजन किया गया। इसके बाद पुजारी परिवार की महिलाओं ने बाबा महाकाल को केसर-चंदन का उबटन लगाया। इसे ही अभ्यंग स्नान कहा जाता है। इसके बाद गर्म जल से बाबा महाकाल को स्नान करवाया गया।

परंपरा अनुसार गर्म जल से स्नान का यह क्रम फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक चलेगा। इसके पश्चात भगवान महाकाल को आभूषण एवं नवीन वस्त्र धारण करवाकर अद्भुत शृंगार किया गया। वहीं 56 पकवानों का महाभोग भी लगाया गया। इस दौरान बाबा की एक झलक पाकर श्रद्धालु भी भावविभोर हो गए।

हरसिद्धि में शाम को जलेंगी दीपमालिकाएं

52 शक्तिपीठों में से एक श्री हरसिद्धि मंदिर में दीपोत्सव की अपनी ही परंपरा है। मां भक्तों के हर कार्य को सिद्ध करती हैं इसलिए इन्हें हरसिद्धि कहा जाता है। दीपावली पर गुरुवार सुबह से श्रद्धालुओं ने सुख-समृद्धि की कामना से मां हरसिद्धि के दर्शन कर पूजा की। शाम को दीपमालिकाएं प्रज्वलित की जाएंगी। इसी तरह भगवान महाकाल के सेनापति कालभैरव मंदिर में हर कोने में दीप प्रज्वलित किए जाएंगे। भैरव सहस्त्र नामावली से बाबा कालभैरव का
पूजन किया जाएगा।

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