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GST के नियमों में बदलाव

अब व्यापारी टैक्स भरने के दो साल बाद तक क्लेम कर सकेंगे जीएसटी रिफंड…

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उज्जैन।जीएसटी विभाग ने नियमों में बदलाव किया हैं। इसमें यापारी अब टैक्स भरने के 2 साल बाद तक क्लेम रिफंड कर सकेंगे। नए नियम 1 अक्टूबर से लागू होंगे।

व्यापारियों को अब टैक्स भरने के बाद दो साल तक पुराने रिफंड लेने की सुविधा मिलेगी। अभी इसकी सीमा दो साल थी। यह तय नहीं था कि यह कब से प्रारंभ मानी जाएगी। जीएसटी विभाग ने रिफंड और टैक्स क्रेडिट से जुड़े कई नियमों में बदलाव किया है। व्यापारी हर माह दो रिटर्न फाइल करते हैं।

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जीएसटीआर-1 इनवाइस का रिटर्न होता है। इसके जरिए व्यापारी बताता है कि पूरे माह उसने कितना माल भेजा और मंगाया। जीएसटीआर-3बी के जरिए वह देय टैक्स चुकाता है। अगर व्यापारी ने अगस्त में कोई माल मंगाया। देय टैक्स सितंबर में चुका दिया। उस पर रिफंड बनता है तो सितंबर से अगले दो साल तक उसे रिफंड क्लेम की सुविधा मिलेगी। मप्र में करीब 9 लाख व्यापारियों को इससे फायदा होगा।

साथ ही उसे पूरे साल के रिटर्न में सुधार करने के लिए दो माह का अतिरिक्त समय मिलेगा। अब तक 31 मार्च को खत्म हुए साल के रिटर्न वह 30 सितंबर तक सुधार सकता था।

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अब यह सीमा 30 नवंबर कर दी है। छोटे व्यापारी, जिनका टर्नओवर 1.5 करोड़ है। उन्हें अपना सालाना रिटर्न 13 अप्रैल की तय सीमा के तीन माह के अंदर यानी 13 जुलाई तक हर हाल में भरना होगा। अन्यथा उनका जीएसटी पंजीयन निरस्त कर दिया जाएगा। शेष पेज-५

अब यह होगा

जीएसटी एक्ट 2017 का सेक्शन 16 (4)- व्यापारी पहले हर अगले वर्ष के 30 सितंबर तक इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) ले सकता था। अब उन्हें 30 नवंबर तक यह सुविधा मिलेगी।

सेक्शन 34(2)- अपने माल पर ज्यादा टैक्स क्रेडिट लेने पर व्यापारियों को अतिरिक्त राशि का क्रेडिट नोट जारी करना होता है। 31 मार्च को खत्म होने वाले साल के लिए 30 सितंबर तक क्रेडिट नोट जारी किया जा सकते थे। अब ये सीमा 30 नवंबर कर दी गई है।

सेक्शन 41- व्यापारी अब तक माल मंगाने के बाद प्रोविजनल आईटीसी ले लेता था। पक्का हिसाब-किताब बाद में होता था। 1 अक्टूबर से व्यापारी आंशिक आईटीसी नहीं ले सकता। वह सेल्फ असेसमेंट या स्व मूल्यांकन के आधार पर ही आईटीसी ले सकता है।

सेक्शन 50- व्यापारी ने गलत आईटीसी ले लिया पर टैक्स अदायगी में उसका उपयोग नहीं किया तो कोई ब्याज नहीं लगेगा। अभी गलत आईटीसी की राशि पर 24 प्रतिशत ब्याज देना पड़ता था। गलत आईटीसी पर 18 प्रतिशत ही ब्याज लगेगा।

10 करोड़ के बिल पर ई-इनवाइस जरुरी…

इन बदलाव के बीच ही १ अक्टूबर २०२२ से १० करोड़ के कारोबार पर ई-इनवाइस निकालना जरुरी कर दिया गया है। ऐसा नही करने पर प्रति बिल १० हजार रु. पेनल्टी लगेगी।

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