मोहिनी एकादशी के दिन कैसे करें व्रत और पूजन?

वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार मोहिनी एकादशी 08 मई को पड़ रही है. इस दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत करने से व्यक्ति को सभी प्रकार की मोहमाया से मुक्ति मिलती है और जीवन में तरक्की मिलती है. शास्त्रों के अनुसार प्राचीन समय में देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था. इस मंथन में जब अमृत निकला तो उसे पाने के लिए देवताओं और दानवों में युद्ध छिड़ गया. तब भगवान विष्णु ने इसी तिथि पर मोहिनी रूप में अवतार लिया था. मोहिनी रूप में उन्होंने अमृत लेकर देवताओं को उसका सेवन करा दिया था.।
इस साल मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई 2025 को रखा जाएगा. अगर आप भी मोहिनी एकादशी का व्रत पहली बार रखने जा रहे हैं, तो चलिए जानते हैं कि मोहिनी एकादशी का व्रत कैसे करना चाहिए और मोहिनी एकादशी व्रत के क्या नियम हैं.
मोहिनी एकादशी 2025: तिथि और समय
एकादशी तिथि प्रारंभ: बुधवार, 7 मई, 2025 को सुबह 10:19 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: गुरुवार, 8 मई, 2025 को दोपहर 12:29 बजे
पारण तिथि : शुक्रवार, 9 मई, 2025
पारण समय: सुबह 05:34 बजे से सुबह 08:16 बजे तक
पारण के दिन द्वादशी समाप्ति: दोपहर 02:56 बजे
पारण द्वादशी तिथि (बारहवें चंद्र दिवस) के दौरान किया जाना चाहिए. मान्यता है कि द्वादशी समाप्त होने के बाद पारण करना शुभ नहीं होता है.
मोहिनी एकादशी व्रत कैसे रखा जाता है?
मोहिनी एकादशी का व्रत रखने के लिए कुछ क्रम का पालन करना जरूरी है. अगर आप इन क्रमों को ध्यान में रखकर व्रत रखते हैं, तो आपको एकादशी व्रत का पूरा फल मिल सकता है. मोहिनी एकादशी का व्रत कैसे करें, इसकी विधि नीचे बताई गई है:-
मोहिनी एकादशी करने से क्या होता है?
धार्मिक मान्यता है कि मोहिनी एकादशी के पावन दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से समस्त पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है. मोहिनी एकादशी के दिन जो व्यक्ति व्रत रखता है, उसे अक्षय पुण्य की भी प्राप्ति होती है. साथ ही, वह व्यक्ति जन्म और मृत्यु के निरंतर चक्र से मुक्ति पा लेता है. इसके अलावा, मोहिनी एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं.
मोहिनी एकादशी क्यों मनाते हैं?
मोहिनी एकादशी के दिन का भक्तों के लिए बहुत महत्व है, क्योंकि भगवान विष्णु इस दिन अप्सरा के रूप में प्रकट हुए थे. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मोहिनी अवतार धारण किया था. भक्त इस दिन कठोर उपवास रखकर इस एकादशी को मनाते हैं और श्रीहरि विष्णु की पूजा करते हैं.
मोहिनी एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए?
मोहिनी एकादशी पर तामसिक भोजन और नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से पाप लग सकता है और मां लक्ष्मी आपसे अप्रसन्न जा सकती हैं. मोहिनी एकादशी के दिन मांस, शराब, लहसुन, प्याज आदि का सेवन करने से बचना चाहिए. मोहिनी एकादशी के दिन किसी से भी झगड़ा और विवाद न करें.
मोहिनी एकादशी का महत्व
मोहिनी एकादशी का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भक्त जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं. जानबूझकर या अनजाने में किए गए सभी पापों का नाश हो सकता है. समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशी के लिए भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. भक्तगण के इच्छाओं की पूर्ति हो सकती है और सांसारिक मोहों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं. कूर्म पुराण के अनुसार भगवान कृष्ण ने पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर को बताया कि इस एकादशी का पालन करने से हज़ारों यज्ञ और बलिदान करने के बराबर पुण्य मिलता है.
मोहिनी एकादशी व्रत और पूजन विधि
हर हिंदू व्रत की तरह मोहिनी एकादशी के दिन भी आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए। इसके बाद पूजा स्थल पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित आपको करनी चाहिए। इसके बाद गंगाजल से विष्णु भगवान की प्रतिमा को स्नान कराना चाहिए। इसके उपरांत पुष्प, मिठाई, पीले वस्त्र, तुलसी आदि आपको भगवान विष्णु को अर्पित करनी चाहिए।
पूजा सामग्री और भोग
घूप, दीप, नैवद्य, चंदन, घंटी, कलावा, शंख, पीला वस्त्र, एक चौकी, रुई, घी, गंगाजल, पुष्प, शंख आदि आपको मोहिनी एकादशी के व्रत में शामिल करने चाहिए। इन चीजों का इंतजाम एक दिन पहले ही कर दें तो ज्यादा बेहतर रहेगा। मोहिनी एकादशी के व्रत में आपको पंचामृत, फल और मिठाई का भोग विष्णु भगवान को लगाना चाहिए। इसके साथ ही भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करना भी शुभ फलदायक माना जाता है। इसके साथ ही मोहिनी एकादशी के व्रत में व्रत कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए।
व्रत और पूजन में जरूर करें ये काम
हर हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के बाद आरती करना बेहद आवश्यक होता है, इसलिए मोहिनी एकादशी के दिन भी आपको पूजा के बाद आरती करनी चाहिए।
भगवान विष्णु के साथ ही इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा अथवा आरती आपको अवश्य करनी चाहिए।
मोहिनी एकादशी के व्रत में आपको दिन के समय सोने से बचना चाहिए, दिन में प्रभु का ध्यान और धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करें।
व्रत का पारण एकादशी तिथि की रात्रि में न करें बल्कि द्वादशी तिथि की सुबह करें। मोहिनी एकादशी के व्रत का पारण आपको 9 मई को करना चाहिए।
इस दिन गलत विचारों को खुद पर हावी न होने दें और वासना युक्त विचारों से भी बचें।