इंदौर:स्टूडेंट का ID कार्ड बना मौत का फंदा

पिता उज्जैन के ईओडब्ल्यू ऑफिस में कॉन्स्टेबल हैं 

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इंदौर: इंदौर में चलती एक्टिवा पर फंदा कसने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसे जानकर पुलिस और डॉक्टर भी हैरत में पड़ गए हैं। दरअसल 19 वर्षीय शैजल गुरुवार सुबह होलकर कॉलेज अपनी एक्टिवा से जा रही थी, फिर कुछ ऐसा हुआ कि बीच रास्ते में उसकी मौत हो गई। मामले की जानकारी मिलने पर पुलिस पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। बता दें कि लड़की उमंग पार्क कॉलोनी के रहने वाली थी।

पुलिस ने इस मामले की जानकारी दी।पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, शैजल बीते दिन अपने कॉलेज अपनी एक्टिवा पर सवार होकर जा रही थी कि छोटा बांगड़दा में करीब 10.30 बजे सामने से आए ई-रिक्शा से उसकी टक्कर हो गई। इसके बाद छात्रा के गले में टंगा आईडी कार्ड उसी की एक्टिवा के हैंडल में फंस गया, जिससे उसकी दम घुटने से उसकी मौत हो गई। एरोड्रम थाना पुलिस ने बताया कि हादसा शीतला माता मंदिर के सामने हुआ है।

शैजल कॉलेज के फर्स्ट ईयर में थी और डॉक्टर बनने के लिए नीट की तैयारी कर रही है। साथ ही प्राइवेट नौकरी भी करती थी। उसके परिवार में माता-पिता के अलावा दो बहन और एक भाई है। पिता राकेश जटिया उज्जैन ईओडब्ल्यू ऑफिस में हेड कॉन्स्टेबल हैं।

प्रत्यक्षदर्शी गिरीश देवड़ा ने बताया कि सेजल हमारे पीछे एक्टिवा पर सवार थी। उसने गले में आई कार्ड लटका रखा था। मैं अपनी बेटी को कॉलेज छोड़ने जा रहा था. सेजल को सामने से आ रहे ई-रिक्शा ने टक्कर मार दी। टक्कर के बाद रिक्शा पलट गया और एक्टिवा पलट गई। इसी दौरान सेजल का आईडी कार्ड एक्टिवा के हैंडल में फंस गया। वह कुछ दूर गई और फंदा कसने के बाद दोबारा गिर गई। इसके बाद उसका सिर एक्टिवा के मास्क से टकरा गया। वह गिर गया और उसके सिर से खून बहने लगा। मैंने कार रोकी तो उसके गले में आईकार्ड फंसा हुआ था। मैं दौड़ कर उसे उठाने लगा. तभी उधर से बाइक सवार सावरिया नगर निवासी हेमेंद्र लोधी जा रहा था। हम दोनों ने उसे उठाया.

घटना के वक्त कई राहगीर सिर्फ वीडियो बना रहे थे. चूँकि मैं उठ नहीं पा रहा था, तभी एक तीसरा राहगीर मोहन कौशल हमारी मदद के लिए आया। हम तीनों सेजल को रिक्शे से जिला अस्पताल ले गए। हमने पूरे रास्ते उसे हिलाया और उसकी नब्ज देखी लेकिन जैसे ही हम अस्पताल पहुंचे तो उसकी सांसें थम गईं।

दुर्घटनावश गला घोंटने का मामला फोरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. भरत वाजपेयी ने बताया कि शुरुआत में मामला एक्सीडेंटल था, लेकिन जब पीएम बने तो पता चला कि उनकी मौत चोट लगने से नहीं हुई है। शरीर पर सामान्य चोटों के निशान थे लेकिन मौत दम घुटने से हुई। यह मेरे जीवन का एक दुर्लभ मामला है। मैंने आज से पहले कभी भी इस तरह का कुछ नहीं देखा है। इसे आकस्मिक गला घोंटना कहा जाता है।

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