गंदे पानी को रोकने के लिए त्रिवेणी पर अब तक नहीं बना अस्थायी पुल, मिट्टी डालकर छोड़ा
अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। शनिश्चरी अमावस्या पर्व के स्नान के लिए शिप्रा में पिछले 48 घंटे से नर्मदा का पानी छोड़ा जा रहा है लेकिन कान्ह का गंदा पानी भी इसका पीछा नहीं छोड़ रहा है। इससे श्रद्धालुओं को साफ पानी मिलने के प्रयास त्रिवेणी पर दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। मिट्टी का अस्थायी पुल नहीं बनने से कान्ह का काला पानी लगातार नर्मदा के पानी में मिलकर उसे भी प्रदूषित कर रहा है, वहीं पीएचई इसे सहेज तक नहीं पा रहा है।
दरअसल, त्रिवेणी के पीछे स्थित नागफनी पाइप लाइन से नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना के तहत बुधवार से नर्मदा का साफ पानी छोड़ने की शुरुआत हुई। इसके लिए प्रशासन ने 27 नवंबर को एनवीडीए को पत्र भी भेजा था। करीब 1.5 एमएलडी (मिलियन लीटर पर-डे) लिया जा रहा है।
यह साफ पानी त्रिवेणी घाट से होते हुए रामघाट की ओर जा रहा है ताकि शनिश्चरी अमावस्या पर श्रद्धालु साफ जल से स्नान करें जिससे उनकी आस्था आहत ना हो लेकिन त्रिवेणी घाट पर नर्मदा के पानी में कान्ह का गंदा पानी मिल रहा है। हालांकि, जिस जगह पानी मिल रहा है वह त्रिवेणी घाट से थोड़ा आगे है लेकिन यहां दिक्कत यह है कि नर्मदा का पानी लगातार आने से कान्ह के साथ मिलते हुए आगे की ओर जा रहा है और पानी के प्रेशर के चलते कान्ह के गंदे पानी का कुछ हिस्सा टर्न लेकर त्रिवेणी घाट की ओर भी जा रहा है। इसी जल से श्रद्धालु रविवार को स्नान करेंगे।
अब तक नहीं बन सका मिट्टी का बांध
नर्मदा के साफ पानी को गंदा होने से बचाने के लिए हर बार त्रिवेणी पर मिट्टी डालकर अस्थायी पुल बनाया जाता है। इस बार शुक्रवार सुबह तक यह नहीं बन सका है। केवल मिट्टी डालकर छोड़ दिया गया है जिससे गंदा पानी धड़ल्ले से नर्मदा के साफ पानी में मिल रहा है। यदि नर्मदा का पानी छोड़ने से पहले अस्थायी पुल बना दिया जाता तो कान्ह के गंदे पानी को मिलने से रोका जा सकता था।
रामघाट पर शिप्रा का जलस्तर बढ़ा
नर्मदा का पानी छोड़े जाने से शुक्रवार सुबह रामघाट पर शिप्रा का जलस्तर बढ़ गया। पानी छोटी रपट के ऊपर आ गया। जिसमें से होकर श्रद्धालु रामघाट से दत्त अखाड़ा घाट की ओर आते-जाते रहे। सुरक्षा के मद्देनजर पानी बढ़ने का अनाउसमेंट भी किया जाता रहा। साथ ही स्नान के लिए आए श्रद्धालुओं को गहरे पानी में नहीं जाने की चेतावनी भी दी गई।
नवग्रह शनि मंदिर पर साफ-सफाई का काम जारी फव्वारों के लिए पाइप लगाए, घाट भी पानी से धोए हर बार केवल दावे
पर्व व त्यौहारों पर प्रशासन श्रद्धालुओं को साफ जल में स्नान करवाने के दावे करता है। इसके लिए नर्मदा का पानी भी लिया जाता है लेकिन कान्ह के दूषित पानी को मिलने से रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते। इसी का परिणाम है आज भी नर्मदा का पानी भले ही लिया जा रहा है लेकिन कान्ह का पानी मिलने से पीएचई रोक नहीं पा रहा है। इस संबंध में पीएचई के ईई एनके भास्कर से चर्चा करनी चाही लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।
सफाई में जुटे 20 कर्मचारी
शनिश्चरी अमावस्या को लेकर नगर निगम के 20 कर्मचारी त्रिवेणी पर सफाई में जुटे हुए हैं। शुक्रवार सुबह घाटों को धोकर वहां फव्वारे के लिए पाइप लगा दिए गए। इसके अलावा मंदिर परिसर और आसपास भी सफाई होती रही और नदी से डोंगी के माध्मय से कचरा बाहर निकाला गया।
रविवार को स्नान-दान अमावस्या
तिथियों के लेकर चले आ रहे संशय के चलते इस बार शनिश्चरी अमावस्या को लेकर भ्रम की स्थिति है। ज्योतिषचार्यों का कहना है कि मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि पर शनिवार का योग आ रहा है। चूंकि चतुर्दशी तिथि सुबह 10:30 बजे तक रहेगी, इस दृष्टि से यह चतुर्दशी ही कहलाएगी। इस दिन शनिश्चरी अमावस्या नहीं है।
ज्योतिषाचार्य पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया वैदिक पंचांग के अनुसार अमावस्या की तिथि 30 नवंबर को सुबह 10.30 बजे से शुरू होगी और 1 दिसंबर को सुबह 11.51 बजे तक रहेगी इसलिए उद्यात तिथि में रविवार को स्नान-दान की अमावस्या रहेगी। इस दिन शिप्रा में डुबकी लगाकर स्नान-दान किया जा सकेगा। इधर, शुक्रवार सुबह त्रिवेणी स्थित नवगृह शनि मंदिर में भगवान का पंचामृत स्नान किया गया जिसके बाद शृंगार की शुरुआत हुई। पं. शैलेंद्र त्रिवेदी डिब्बेवाला ने बताया कि जब अमावस्या शनिवार को आती है तब शुक्रवार रात १२ बजे से ही स्नान शुरू हो जाता है और शनिवार रात तक चलता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं लेकिन इस बार स्नान-दान अमावस्या रविवार को होने से श्रद्धालुओं की संख्या उतनी नहीं रहेगी।