हरिद्वार में गंगा आरती का ऐसा क्रेज, सुरक्षा के लिए कमांडो अलर्ट

पहलगाम हमले को हरिद्वार में देश की आस्था दे रही करारा जवाब
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हरिद्वार से सुधीर नागर हरिद्वार। पहलगाम हमले को पूरा देश करारा जवाब दे रहा। हर की पौड़ी पर रोज शाम होने वाली गंगा आरती का बढ़ता क्रेज गजब का है। ऐसा लगता है मानो गंगा के तट पर आस्था का महाकुंभ लगा हो। आरती के दौरान सेना के कमांडों भी पहले से ज्यादा अलर्ट हो गए हैं।
सोमवार शाम को जब अक्षरविश्व संवाददाता हरिद्वार में हर की पौड़ी पर पहुंचे तो गजब की आस्था दिखाई दी। हर की पौड़ी के घाटों पर पैर रखने की जगह नहीं थी। करीब एक किलोमीटर के दायरे में लोग जमा थे। आरती के दौरान सुरक्षा के लिए सेना के कमांडो और अधिकारी भी तैनात रहते हैं, लेकिन पहलगाम हमले के बाद से उनकी चौकसी और अधिक बढ़ गई है। ब्रह्मकुंड के पास बने पुल को पूरी तरह रोक दिया जाता है और आरती होने तक कमांडों की निगाहें चौकस रहती हैं। पूरे देश से आने वाले लोग सूर्यास्त से पहले ही घाटों पर डेरा डाल देते हैं और एक साथ होने वाली आरती को एकटक देखते हैं। हरिद्वार के घंटाघर तक लोगों की बढ़ती भीड़ ने आरती का क्रेज बढ़ा दिया है।
कमाई का साधन भी बनी आरती
बढ़ती भीड़ ने हरिद्वार के लोगों को कमाई का एक माध्यम भी दे दिया है। अगर आप इस आरती के नजदीक बैठना चाहें तो एक हजार रुपए में ये काम आसान हो जाता है। लोग भी इसके लिए खुशी खुशी से ये रुपए दे देते हैं। गंगा दशहरा पर्व निकल जाने के बाद भी ये गंगा आरती अद्वितीय है और दुनिया के लिए एक आश्चर्य भी।
गंगा आरती और परंपरा
यह आरती दिन में दो बार की जाती है। पहली मंगला आरती सुबह सूर्योदय के समय होती है। दूसरी श्रृंगार आरती सूर्यास्त के समय होती है।
आरती करीब पांच मिनट तक चलती है।
प्रमुख गंगा आरती ब्रह्मकुंड घाट पर 11 पुरोहितों द्वारा संस्कृत मंत्रों के साथ की जाती हैं।
1916 में हर की पौड़ी में इसकी शुरुआत पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा की गई थी।
आरती की शुरुआत मां गंगा की मूर्ति को पालकी में घाट पर लाने से होती है।