रेलवे स्टेशन पर घूम रही नाबालिग का मामला उलझा, पिता बुला रहे, बेटी जाने को तैयार नहीं

आरपीएफ को मिर्जापुर की नाबालिग के साथ घूमती मिली थी, फिलहाल बाल विकास समिति के संरक्षण में है

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उज्जैन। आरपीएफ को पिछले दिनों रेलवे स्टेशन पर मिली दो नाबालिग किशोरियों में एक का मामला उलझ रहा है वह अभी तक अपने परिजन तक नहीं पहुंच सकी है।

गौरतलब है कि आरपीएफ को दो नाबालिग किशोरी स्टेशन पर मिली थीं। एक मिर्जापुर की थी और दूसरी ग्वालियर की रहने वाली थी। मिर्जापुर वाली मंदबुद्धि थी और वह भूलवश टे्रन में बैठकर उज्जैन आ गई थी। उसे परिजन ले गए। लेकिन ग्वालियर की नाबालिग का मामला उलझ गया है। वह उज्जैन की बाल कल्याण समिति के पास है। पिता बेटी को लेकर परेशान है। वह एक बार बात करना चाहते हैं। समिति बात कराने को तैयार नहीं है। उसका अपना कानूनी पक्ष है। दूसरी बात यह है लडक़ी भी बात करने को तैयार नहीं है। पिता का कहना है यह झूठ है। ग्वालियर से लापता हुई नाबालिग के पिता ने बताया कि उसकी दो बेटी हैं। एक करीब 14 साल की है और दूसरी 7 साल की। छोटी बेटी का रो-रो कर बुरा हाल है। वह दीदी को याद कर रही है।बाल कल्याण समिति वाले बेटी से बात नहीं करवा रहे हैं। मैं परेशान हूं।

सीसीटीवी बंद किए और चल दी
पिता ने बताया कि उसकी पत्नी छोटी बेटी को लेने स्कूल गई थी। बड़ी घर में बैठी टीवी देख रही थी। 23 जुलाई की दोपहर करीब पौने बारह बजे उसने सीसीटीवी बंद किया। मां के कान के बाले, पायल और कुछ नकदी उठाई और घर छोड़ कर चली गई। उसके पास अपनी बाली और अंगूठी थी। हम घर आए तो देखा वह गायब थी। तलाशा तो पता चला कि वह रात आठ बजे तक ग्वालियर में थी। उसने सुनार के यहां 4200 रुपए में बाली बेची। हमने राशि देकर बाली छुड़वाई। एक लडक़े पर शंका थी उसे पकड़ लिया।

फोन आया तब भाई को भेजा: पिता ने बताया कि उनके पास २४ जुलाई की दोपहर आरपीएफ उज्जैन से फोन आया कि आपकी बेटी हमारे पास है ले जाइए। हमने भाई को भेजा लेकिन बच्ची उसके हवाले नहीं की गई। तर्क दिया गया कि आपके पास क्या सबूत है कि वह आपकी भतीजी है। इस तरह उसे लौटा दिया गया। ग्वालियर आकर उसने बताया कि भतीजी सकुशल है उसे बाल कल्याण समिति के हवाले किया जा रहा है। अब बालिका वहीं से मिल सकती है। इसलिए हमने समिति से संपर्क किया।

आधार कार्ड तो भेजना ही पड़ेगा
बाल कल्याण समिति के प्रभारी मंजीत सिंह ने कहा कि हम कैसे मान लें कि जो व्यक्ति फोन पर बात कर रहा है वह वाकई में लडक़ी का पिता है। उन्हें आधार कार्ड भेजना होंगे। हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। काका से भी यही कहा था।

हम उसे ग्वालियर भेज देंगे
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष लोकेंद्र बडग़ोत्रा का कहना है कि हमने लडक़ी से बात की है। वह पिता से बात करने को तैयार नहीं है। कारण नहीं बता रही है। हम उसे महिला बाल विकास ग्वालियर भेज देंगे। वहीं पर काउंसलिंग होगी। पिता हमारी बात समझने को तैयार नहीं है।

समिति वाले बात नहीं करवा रहे हैं
पिता का आरोप है कि समिति के लोग हमारी बेटी से बात नहीं करवा रहे हैं। मैं जानना चाहता हूं कि मेरी बेटी जिंदा है या नहीं। मुझसे कह रहे हैं कि आपका और बेटी का आधार कार्ड भेजो। मैं भेजने को तैयार हूं, लेकिन मेरी बात तो करवाई जाए। मैं बेटी से पहले बात करना चाहता हूूं। उन्होंने कहा कि यह बात बिल्कुल गलत है कि वह हमसे बात करने को तैयार नहीं है। यह सब झूठ है। हमने उस पर कोई अत्याचार नहीं किए। हमारी बेटी है। नाज से पाला है। हम खुद नहीं समझ पा रहे हैं कि वह क्यों चली गई। जिस लडक़े पर शंका थी उसे पकड़ा, वह भी कुछ नहीं बता रहा है।

उज्जैन ही क्यों आई?
नाबालिग समझदार है। उसने बाली बेची, मोबाइल खरीदा, ट्रेन का टिकट लिया और बैठ गई। सवाल यह है कि वह उज्जैन ही क्यों आई? किसी अन्य शहर के लिए रवाना क्यों नहीं हुई? इसका जवाब उससे मांगा गया तो वह टाल गई। बोली, मैं घर छोडऩा चाहती थी। छोड़ दिया। उज्जैन महाकाल दर्शन करना चाहती थी। यदि पुलिस नहीं पकड़ती तो? उसके पास कोई जवाब नहीं था। यानी यह कहानी अभी पूरी तरह सुलझी नहीं है। पिता और बेटी दोनों खुल कर नहीं बता रहे हैं कि माजरा क्या है।

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