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बच्चे के रहना है करीब तो पिता को ध्यान रखनी चाहिए ये बातें

बच्चे की परवरिश में माता और पिता दोनों का रोल अलग-अलग होता है, लेकिन दोनों का ही योगदान जरूरी होता है. वैसे तो समय के साथ ही पेरेंटिंग का तरीका भी काफी बदल गया है. हालांकि आज के वक्त में भी देखने में आता है कि बच्चे अपने पिता से ज्यादा मां के करीब होते हैं. दरअसल पिता को हमारे समाज में हमेशा से ही एक सख्त पर्सनैलिटी के रूप में देखा जाता है. फिलहाल अगर पिता कुछ बातों को ध्यान में रखें तो इससे वह भी अपने बच्चे के साथ एक मजबूत और दोस्ती वाला बॉन्ड बना सकते हैं.

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बच्चे के साथ समय बिताना है बेहद जरूरी
पिता अपने बच्चों के साथ काम के चलते कई बार कम समय बिता पाते हैं और इस वजह से उनके बीच कम्यूनिकेशन गैप बढ़ जाता है, इसलिए जरूरी है कि अपने बच्चे के साथ थोड़ा क्वालिटी टाइम स्पेंड जरूर करें. काम से आने के बाद बच्चे के साथ कुछ देर खेलना, हफ्ते में एक या दो बार बच्चे को साथ में कहीं आसपास लाइब्रेरी, पार्क, म्यूजियम जैसी जगहों पर घुमाना आपके रिश्ते को मजबूत बनाती हैं और बच्चे की मेंटल ग्रोथ के लिए भी ये अच्छा रहता है.

बच्चे के छोटे-मोटे काम मां की बजाय पिता करें
जब बच्चे का जन्म होता है तो माता और पिता दोनों को ही बराबर खुशी होती है और दोनों ही अपने बच्चे को खुद से बढ़कर प्यार करते हैं, लेकिन बच्चे से जुड़े कामों को ज्यादातर मां ही करती है. फिलहाल अगर बच्चे से बॉन्ड अच्छा बनाना हो तो पिता को भी बच्चे के छोटे-मोटे काम जैसे बैग पैक करना, स्कूल के लिए ड्रेसअप करना जैसी चीजें करना चाहिए. खासतौर पर जब मां घर के किसी काम में बिजी हो तो उस वक्त पिता को बच्चे से जुड़े कामों को करना चाहिए. इससे न सिर्फ बच्चे के साथ रिश्ता मजबूत बनेगा, बल्कि आपकी शादीशुदा लाइफ भी बेहतरीन तरीके से चलेगी.

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सख्त पिता की बजाय दोस्ती वाला रवैया अपनाएं
अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो पापा से शिकायत कर दी जाएगी. ज्यादातर घरों में आज भी पिता की छवि इसी तरह की है कि बच्चे को प्यार से ज्यादा अपने पिता का डर होता है. गलत बात पर बच्चे को डांटना जरूरी होता है, लेकिन सख्त पिता की बजाय दोस्ती वाला रवैया अपनाएंगे तो आपका और बच्चे के रिश्ता ज्यादा मजबूत बनेगा. किसी भी बात पर सीधे डांटने की बजाय बच्चे से डिटेल में पूछे और उसके बाद उसे समझाएं.

बच्चों की बातें सुनने की आदत डालें
ज्यादातर बच्चे बहुत ही जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं और अपने माता-पिता से सवाल पूछने के साथ ही खुद से जुड़ी बातें शेयर करना चाहते हैं. इसलिए जब भी बच्चा कोई बात कहे तो उसे गौर से सुनें, भले ही आप उस वक्त बिजी हो तब भी उस पर गलती से भी न खीझै. बच्चे की बातों का उसी के अंदाज में बखूबी जवाब दें. इससे आप दोनों के बीच कम्यूनिकेशन बेहतर बनेगा.

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बच्चे के सामने मां को गलती से भी बुरा-भला न कहें
इसमें कोई दो राय नहीं है कि किसी भी बच्चे को अपनी मां से बेहद प्यार होता है. अपनी पत्नी को अगर आप बच्चे के सामने किसी भी बात पर बुरा भला कहते हैं तो इससे बच्चा आपसे दूर हो सकता है, साथ ही उसका व्यवहार भी दूसरों के प्रति खराब हो सकता है.

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