जिंदगी के अनमोल पलों को अक्षरविश्व से साझा किया और दीपावली पर कौन-सा संकल्प लें, यह भी बताया
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के जीवन में दीपावली का बड़ा महत्व है। कॉलेज लाइफ में दोस्तों के साथ दीपावली मनाते थे। पटाखे चलाते थे। तब भी ख्याल उन लोगों का रहता था जो अपने जीवन से संघर्ष कर रहे हैं। आज भी उन लोगों की चिंता है इसलिए उस वर्ग का ख्याल रखा जो आपकी दीपावली में आपका सहायक बनता है। खुशी जितनी बांटेंगे उतनी बढ़ेगी।
उनका कहना है कि हर घर में खुशियों के दीप जलें। सभी लोग मिल जुलकर दीपोत्सव का त्योहार मनाएं। हमें समाज में व्याप्त कुरीतियों को मिटाना है। पटाखे ऐसे चलाएं जिससे किसी को कष्ट न हो। मिट्टी के दीप आलोकित करें। उस गरीब को भी उसका हक मिले जिसके लिए वह सालभर इंतजार करता है। दीपावली पर उज्जैन में ही रहेंगे। हमारा शहर सुख, शांति, समृद्धि और विकास के मार्ग पर आगे बढ़े। हम सभी मिलकर विकास की नई इबारत लिखें।
जब बाऊजी ने दिलवाए थे 40 रुपए के कपड़े के जूते : महापौर
शहर के प्रथम नागरिक महापौर मुकेश टटवाल ने यादगार दीपावली का जिक्र करते हुए अपनी यादों को साझा किया। उन्होंने कहा यह उस समय की बात है जब मैं पांचवीं या छठी कक्षा में पड़ता था। उस समय जाल स्कूल में सुबह की शिफ्ट में माधवनगर स्कूल लगता था। मैं स्कूल स्लीपर पहनकर जाता था और वहां से आने-जाने के दौरान फ्रीगंज में एक शूज की दुकान पर बाहर कांच के शोकेस में रखे कपड़े के जूते को देखता था। उस साल बाऊजी को मिल से बोनस मिला तो उन्होंने मुझे वही जूते खरीदकर दिए। उस वक्त उनकी कीमत ४० रुपए थी जो बहुत बड़ी राशि थी। मैं बेहद खुश था। जब बाऊजी मुझे लेकर जा रहे थे तो रास्तेभर कहते रहे कि घर पर किसी को बताना मत। इसके अलावादीपावली पर जो पटाखे फूटते थे उनके बॉक्स देखकर खुश हो जाया करता था, इसीलिए हर साल गरीब बच्चों के साथ दीपावली मनाकर खुश होता हूं।
दीपावली पर हमें संकल्प लेना होगा : कालूहेड़ा
विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा का कहना है कि दीपावली ज्योत्सना का पर्व है। हम एक दीप इस शहर के विकास के लिए भी लगाएं। यह दीप हमारे शहर के विकास की गति को आलोकित करेगा। मुख्यमंत्री के सुदृढ़ नेतृत्व में प्रदेश विकास की गाथा लिख रहा है और उज्जैन विकास के आयाम स्थापित कर नए प्रतिमान गढ़ रहा है। हम अपनी खुशी दूसरों के साथ साझा करें। मुख्यमंत्री की पहल पर हमने दीपक बनाने वाले की बिटिया को गोद लिया है। एक साल तक उसकी स्कूली शिक्षा का भार वहन करेंगे। सभी की खुशियों में हमारी खुशी निहित है।
गांव में दीपावली का आनंद अलग ही था : कलेक्टर
कलेक्टर नीरज कुमार सिंह कहीं भी रहें, लेकिन गांव की दीपावली के वे दृश्य मानस पटल पर अंकित हो ही जाते हैं। माता-पिता, दादा-दादी के साथ मिट्टी के दीपक लगाना। बुजुर्ग कहते थे घर का कोई कोना अंधकार में न रहे। घूरे में, बोरिंग पर, छत की आखिरी मुंडेर पर, आंगन में, तुलसी के पास और कुएं पर दीपक लगाना आज भी याद है। गिन-गिन कर मिट्टी के दीपक लगाते थे। मित्रों को मिठाई खिलाते थे। इस बार बाजार में जाकर खरीददारी करना अच्छा लगा। मुख्यमंत्री की इस पहल ने नई दिशा दी है। जब हम लोग रेहड़ी और फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों से मिले तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। वे बेहद प्रफुल्लित थे। इस बार की दीपावली उज्जैन में ही मनाएंगे।
उज्जैन की यह दीपावली जीवन भर याद रहेगी :एसपी
पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा को दीपावली का त्योहार बेहद पसंद है। उनका कहना है कि जब पुलिस विभाग में नहीं आए थे, विद्यार्थी थे तब परिवार के साथ मिलकर दीपावली मनाते थे। माताजी और पिता जी हर साल गिफ्ट देते थे। उनका आशीर्वाद यहां तक लेकर आया है। अब जहां रहते हैं वहीं दीपावली मनाते हैं। इस बार दीपावली हमेशा याद रहेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शानदार पहल की है। अधिकारी बाजार में निकले और स्थानीय विक्रेताओं से दीपावली का सामान खरीदा। वह आनंद के पल थे। जिले का हर व्यक्ति दीपावली पर अपनी जवाबदारी निभाए। उल्लास और प्रेम से दीपावली मनाए। पटाखों से किसी को परेशानी न उठाना पड़े।