नाटक ‘ताक धिना धिन धम्चिक धम्चिक की’ प्रस्तुति ने गुदगुदाया

हास्य नाट्य समारोह के अंतिम दिन विशाल कुशवाह की शानदार प्रस्तुति

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। परिष्कृति और कला चौपाल उज्जैन के संयुक्त आयोजन में सतीश दवे लिखित और वरिष्ठ रंगकर्मी विशाल कुशवाह द्वारा निर्देशित नाटक ‘तक धिना धिन धम्चिक धम्चिक की’ प्रस्तुति हुई। तेज़ बारिश के बाद भी नाट्यगृह दर्शकों से भरा रहा।

नाटक में सुक्खु एक मस्त युवा है जो असम में पोस्टेड आर्मी में कार्यरत अपने चचा से झूठी बातों को लिखलिख कर पैसे मंगवाकर ऐश करता रहता है। इसी झोंक में वह चचा को अपनी शादी और बच्चे होने की झूठी बात लिख देता है। चचा उसके बच्चे को देखने के लिए उसके घर आने का कहते हैं। सुक्खु अपने दोस्तों और नौकर से मदद मांगता है। पहले सब मना कर देते हैं। लेकिन बाद में चार चार बहुएं इक_ी हो जाती हैं।

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इस अटपटी स्थिति से हास्य का माहौल बन जाता है और दर्शकों को ठहाका लगाने के लिए मजबूर कर देता है। हालांकि यह नाटक उस समय का है जब मोबाइल आया ही नहीं था और फोन भी कुछ लोगों के पास होते थे। आवश्यक समाचार तार द्वारा पहुंचाए जाते थे। लेकिन विशाल कुशवाह के निर्देशन में खेला गया यह नाटक आज भी हंसाने में सक्षम लगा। सुक्खु अनंत वर्मा और चचा वीरेन्द्र नाथनियाल इस नाटक की मुख्य धुरी थे, जिनका अभिनय बहुत ही प्रभावशाली रहा।

झमकु देवेंद्र दुबे और फूंदी अक्षिता राठौर की मालवी बोली और बंटी के सिंधी टोन ने नया रंग भर दिया। चंदा प्रतीका मसीह, बंटी नवतेजसिंह ठाकुर और रीता वैष्णवी सोलंकी का अभिनय पात्र के अनुकूल रहा। लगातार बदलते हालातों की मुसीबतों से हास्यास्पद वातावरण बन गया जिसका दर्शकों ने भरपूर आनंद लिया। हास्य नाट्य समारोह के अंतिम दिन विशाल कुशवाह की यह प्रस्तुति शानदार रही।

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