आर्कियोलॉजिस्ट का विक्रमोत्सव-2025 के अंतरराष्ट्रीय इतिहास समागम में प्रजेंटेशन
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में बलुआ पत्थरों से बने 200 मंदिर पत्थरों में दब गए थे, लेकिन आर्कियोलॉजिस्ट पद्मश्री केके मोहम्मद ने डाकुओं की मदद से किस तरह 80 मंदिरों को वापस बना दिया, इसकी गाथा विक्रमोत्सव के अंतर्गत सोमवार से शुरू हुए अंतरराष्ट्रीय इतिहास समागम में आर्कियोलॉजिस्ट मोहम्मद द्वारा एक प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया गया।
मुरैना से 30 किलोमीटर दूर चंबल के बीहड़ में 25 एकड़ में फैला बटेश्वर दुनिया का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां एक जगह किसी जमाने में 200 हिन्दू मंदिर थे। गुर्जर प्रतिहार राजाओं ने इनका निर्माण कराया था, लेकिन समय के प्रवाह में ये खंडहर हो गए थे। आज भी यह रहस्य बना हुआ है कि बीहड़ में एक साथ इतने मंदिर क्यों बनवाए गए थे और ये खंडहर कैसे हो गए। कई अनसुलझी पहेलियों के बीच पुरातत्ववेत्ता मुहम्मद इस सुनसान इलाके में पहुंचे और मंदिरों के अवशेष ढूंढे। धीरे धीरे उन्होंने एक एक कर 80 मंदिरों को वापस खड़ा कर दिया। कालिदास अकादमी के संकुल में उन्होंने बताया किस तरह उन्होंने इन मंदिरों को दोबारा आकार दिया।
डाकू को धूम्रपान करते टोका, फिर बदल गई तस्वीर
बटेश्वर के इन मंदिरों को किसी जमाने में डाकुओं ने अपना डेरा डाल दिया था। इसी कारण यहां लोग जाने से भी डरते थे। पुरातत्वविद मोहम्मद बटेश्वर पहुंचे और एक व्यक्ति को मंदिर पर धूम्रपान करते देखा तो उसे टोका और कहा मंदिर पर बैठकर बीड़ी क्यों पी रहे हो। उनके साथ चल रहे लोगों ने बताया यह व्यक्ति निर्भय सिंह गुर्जर है, जिसके आतंक से लोग डरते हैं। बाद में मोहम्मद ने निर्भय सिंह को इतिहास बताया और डाकुओं की मदद से ही मंदिरों का पुन: निर्माण करने की बात की। धीरे धीरे तस्वीर बदली और 80 मंदिर वापस बन गए। इतिहास समागम के संयोजक पुराविद् डॉ. रमण सोलंकी ने बताया मंदिरों के पुनर्निर्माण की कहानी दिलचस्प रही।