काम के पहले फाउंडेशन असेसमेंट के लिए कोर बोर से टेस्टिंग
अक्षरविश्व न्यूज : उज्जैन। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल उज्जैन-इंदौर सिक्स लेन निर्माण की राह पर चल पड़ा है। प्रोजेक्ट के फाउण्डेशन असेसमेंट का कोर-बोर से सर्व प्रारंभ हो गया है। राजस्थान के नागोर कंपनी द्वारा 46 किमी लम्बे प्रस्तावित सिक्स लेन पर निर्माण से पूर्व 100 से अधिक स्थानों पर कोर-बोर सर्वे कर जमीन की हार्डनेस की गहराई का पता लगाया जाएगा।
उज्जैन-इंदौर हाईवे पर ट्रैफिक का दबाव बहुत बढ़ गया है। 2028 में होने वाले सिंहस्थ सहित आने वाले वर्षों में इस रोड के ट्रैफिक लोड के हिसाब से इसे सिक्स लेन बनाने की प्लानिंग की गई है। काम का ठेका दिया जा चुका है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.यादव इस प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग कर रहे है। सिक्स लेन का काम इस वर्ष के अंत तक प्रारंभ होने की उम्मीद है। बहरहाल प्रोजेक्ट निर्माण की कवायद प्रारंभ हो गई है। सिक्स लेन पर फ्लाईओवर और अंडरपास का बनेंगे।
फाउण्डेशन असेसमेंट के लिए जमीन की हार्डनेस की टेस्टिंग हो रही है। कोर बोर से टेस्टिंग करने वाले नागोर राजस्थान के मुन्नाभाई और सलमान खान के अनुसार नलकूप के लिए जिस बोर मशीन का उपयोग होता है,लगभग वैसी ही कम शक्ति की मशीन से बोर पर जमीन के हार्डनेस स्तर की गहराई का पता लगाया जाता है।
इसके लिए बोर की छड़ को हार्ड रॉक आने तक डाला जाता है। जमीन में हार्ड रॉक की मौजूदगी के आधार पर निर्माण के फाउण्डेशन अससेमेंट किया जाता है। 46 किमी सिक्स लेन पर 100 से अधिक स्थानों पर कोर-बोर सर्वे होगा। इसमें हरिफाटक ओवर ब्रिज से लेकर महामृत्युंजय द्वार तक ही 10 जगह कोर-बोर सर्वे होगा।
योजना पर एक नजर
सिक्सलेन में उज्जैन के हरिफाटक ब्रिज से इंदौर के अरबिंदो अस्पताल से उज्जैन के हरिफाटक ब्रिज तक बनेगी सड़क।
सड़क बनाने के लिए प्रदेश सरकार 1619 करोड़ रुपये खर्च करेंगी।
प्रोजेक्ट में जहां वर्तमान फोरलेन को चौड़ा कर सिक्स लेन किया जाना है, वहीं 8 स्थानों पर फ्लायओवर भी बनेंगे। इनमें से अधिकांश प्रमुख बड़े चौराहे हैं जहां यातायात उलझता है और दुर्घटना का अधिक खतरा रहता है। नदी-नालों पर अतिरिक्त ब्रिज होंगे। साथ ही आधा दर्जन अंडरपास रहेंगे।
सिक्स लेन बनने के बाद उज्जैन से इंदौर जाने के लिए 12 मीटर व इंदौर से उज्जैन आने के लिए 12 मीटर चौड़ा रोड मिलेगा। प्रोजेक्ट अंतर्गत दोनो ओर रोड को 12-12 मीटर चौड़ा किया जाना है। बीच में तीन-चार मीटर का डिवाइडर रहेगा। वर्तमान में करीब 7.5-7.5 मीटा चौड़ा रोड उपलब्ध है।
मार्ग पर दुपहिया, कार और भारी वाहनों के लिए अलग-अलग लेन रहेगी। तीन हिस्सों में सड़क का निर्माण किया जाएगा, जिसमें पहला चरण 14 किलोमीटर का रहेगा। बाकी 16-16 किलोमीटर की सड़क बनाई जाएगी।
अधिकारियों के मुताबिक पूरे मार्ग पर किसी भी प्रकार का कोई बाधा नहीं है। न ही जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया करनी होगी। इससे काफी समय बचेगा। सड़क बनाने की समयसीमा मार्च-2028 रखी गई है।
मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) ने प्रोजेक्ट में ठेका उदयपुर की एक कंपनी को दिया है। अधिकारियों के मुताबिक दिसंबर तक निर्माण पूरी क्षमता के साथ चरणबद्ध प्रारंभ हो जाएगा।
एकमात्र टोल बारोली पर रहेगा। टोल प्लाजा सर्वसुविधायुक्त होगा, जहां कुछ दुकानें निकाली जाएंगी। भोजन की सुविधा भी रहेगी। नए प्रावधानों के अनुसार टोल की वसूली एमपीआरडीसी द्वारा की जाएगी।