त्रिवेणी पर बना पुराना ब्रिज तोडऩा शुरू
अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। सिंहस्थ 2028 से पहले बनने वाले उज्जैन-इंदौर सिक्सलेन का काम इन दिनों स्पीड से चल रहा है। वाहन चालकों को आवागमन में परेशानी ना हो इसलिए अलग-अलग हिस्सों में इसका काम किया जा रहा है। इसके तहत कई जगह पर सडक़ के दोनों ओर मिट्टी डालकर उन्हें रोलर की मदद से समतल किया जा चुका है तो कुछ जगह काम चल रहा है। गुरुवार से त्रिवेणी पर बने पुराने ब्रिज को तोडऩा शुरू किया गया। इसका कुछ हिस्सा गिरा दिया गया। इसके लिए कई दिनों पहले से मार्ग बंद कर दिया गया था और पुल से जालियां और पोल हटाए जा रहे थे। काम के चलते वाहनों को डायवर्ट कर निकाला जा रहा है।
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दरअसल, उज्जैन-इंदौर सिक्सलेन का भूमिपूजन 19 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया था। इस योजना के तहत फोरलेन को सिक्सलेन में बदला जा रहा है। 1692 करोड़ रुपए से बनने वाले इस सिक्सलेन का निर्माण महाकाल हाईवे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने शुरू किया है। फोरलेन में अभी 8.5-8.5 मीटर की दो-दो लेन यानी कुल चौड़ाई 17 मीटर है। सिक्सलेन में सडक़ का हिस्सा 12.5-12.5 मीटर चौड़ा यानी कुल 25 मीटर हो जाएगा।
टुकड़ों में चल रहा काम
46.475 किमी का सिक्सलेन इंदौर के अरबिंदो से उज्जैन के हरिफाटक ब्रिज तक बनेगा जिसका निर्माण टुकड़ों में किया जा रहा है। कई जगह पर सडक़ों के दोनों ओर मिट्टी डालने के बाद इसे समतल किया जा चुका है। कई जगह जेसीबी की मदद से खुदाई कर पेड़ों को हटाया जा रहा है। सिंहस्थ 2028 से पहले इसे पूरा किया जाना है।
ट्रैफिक लोड को देख बनाया जा रहा
सिक्सलेन को आगामी 25 सालों की जरूरत को देखते हुए बनाया जा रहा है। फिलहाल इंदौर-उज्जैन फोरलेन पर रोज 25 हजार से ज्यादा वाहनों का बोझ है। एक अनुमान के मुताबिक सिंहस्थ 2028 के दौरान ट्रैफिक लोड हर दिन करीब 60 हजार वाहनों का होगा। हालांकि, इसके बनने के बाद इंदौर रूट से उज्जैन आने वालों का सफर और आसान हो जाएगा।