अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। पुलिस द्वारा अलग-अलग प्रकार के अपराधों में वाहनों को जब्त व बरामद किया जाता है। कोर्ट में प्रकरण विचाराधीन रहने, वाहन मालिकों द्वारा जब्त वाहन को नहीं छुड़ाने, अन्य विभागों से संबंधित प्रकरण में जब्त वाहनों का वर्षों तक निराकरण नहीं होता। ऐसे वाहन पुलिसकर्मियों के लिए सिरदर्द होते हैं और थानों के खुले परिसर में पड़े रहने से इनकी हालत खटारा हो जाती है। अब पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने सभी थाना प्रभारियों को ऐसे वाहनों की लिस्टिंग करने और उनका निराकरण कर नीलामी की कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
ऐसे जब्त व बरामद होते हैं वाहन
पुलिस द्वारा अलग-अलग तरह के अपराधों जैसे मादक पदार्थ तस्करी के उपयोग में जब्त वाहन, दुर्घटना संबंधी अपराध में जब्त वाहन, चोरी संबंधी अपराध में जब्त वाहन, आम्र्स एक्ट सहित अन्य अपराधों में जब्त वाहनों को अलग-अलग धाराओं में अपने कब्जे में लेने के बाद कोर्ट में चालान प्रस्तुत किया जाता है। शराब सहित अन्य मादक पदार्थ की तस्करी में जब्त वाहन की जानकारी आबकारी विभाग को, चोरी के मामले में जब्त वाहन की जानकारी बीमा कंपनी को देना होती है। इसके अलावा वाहनों के असली मालिक, उनके पते आदि की जानकारी के लिए पुलिस को आरटीओ से जानकारी लेना होती है। इतनी प्रक्रियाओं के कारण पुलिस द्वारा जब्त किए जाने वाले अधिकांश वाहनों का वर्षों तक निराकरण नहीं हो पाता। खास बात यह कि ऐसे वाहनों की जानकारी हेडमोहर्रिर द्वारा मैन्युअल रखी जाती है इन्हें कम्प्यूटराइज्ड नहीं किया जाता।
इसलिए हो जाते हैं खटारा
थानों में जब्त मोपेड से लेकर बाइक, स्कूटर, ऑटो, मैजिक, कार, ट्रक, ट्राला, डम्पर, ट्रेक्टर आदि सभी प्रकार के वाहनों को थाना परिसर के खुले क्षेत्र में रख दिया जाता है। शहर के कुछ थाने जैसे कोतवाली, खाराकुआं, पंवासा आदि के परिसर में स्थान नहीं होने की स्थिति में जब्त वाहनों को दूसरे थानों के परिसर में खड़ा करना पड़ता है। वर्षों तक खुले में पड़े रहने के कारण उक्त वाहन खटारा हो जाते हैं।
निराकरण में यह आती है समस्या
पुलिस अफसरों ने बताया कि जिस अपराध में वाहन जब्त होता है उससे संबंधित तक सूचना व जानकारी पहुंचाने के साथ ही अलग-अलग अपराधों से संबंधित विभाग को जानकारी पहुंचाई जाती है, लेकिन दूसरे विभाग वाहनों के संबंध में गंभीरता नहीं दिखाते। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति की बाइक चोरी होती है तो वह एफआईआर दर्ज कराने के बाद बीमा कंपनी से क्लेम ले लेता है। ऐसे में यदि पुलिस उसी चोरी के वाहन को बरामद कर लेती है तो इसकी जानकारी वाहन मालिक व बीमा कंपनी को देना होती है। चूंकि वाहन मालिक पहले से क्लेम ले चुका होता है इस कारण उसे जब्त वाहन से कोई सरोकार नहीं होता वहीं दूसरी ओर बीमा कंपनी के कर्मचारी ऐसे वाहन को अपने पास रखने की जगह नहीं होने का बहाना बनाकर वाहनों को थाना परिसर में ही खड़ा रहने देते हैं।
है शहर के थानों में जब्त वाहनों की स्थिति
शहर के लगभग सभी थानों में अलग-अलग अपराधों में जब्त दो पहिया वाहन परिसर में खड़े हैं जिनमें यदि दो पहिया वाहनों की बात करें तो नीलगंगा थाने में 250, चिमनगंज थाने में 100, महाकाल थाने में 20, माधव नगर थाने में 90, देवासगेट थाने में 22 वाहन रखे हैं। इनके अलावा कार, ऑटो, मैजिक, ट्रक, ट्राला, बस की संख्या अलग है।
पीओएस मशीन से निकाल रहे जानकारी
पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा द्वारा सभी थानों के प्रभारियों को लंबे समय से परिसर में खड़े वाहनों की गणना और उनके निराकरण के निर्देश दिए गए हैं। अब पुलिसकर्मियों द्वारा पीओएस मशीन के माध्यम से वाहनों के नंबर, चेचिस नंबर आदि ऑनलाइन फीड कर वाहन मालिक के नाम, पते, मोबाइल नंबर निकाल रहे हैं। उन्हें वाहनों के निराकरण के संबंध में सूचना भी दी जा रही है। कुछ थानों के प्रभारियों ने जब्त वाहनों के संबंध में आबकारी, आरटीओ, बीमा कंपनी व आरटीओ को पत्र भी लिखे हैं।
थाना परिसर में खड़े वाहनों की नीलामी होगी
पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने बताया कि वर्षों से थाना परिसर में खड़े वाहनों की गणना, उनके निराकरण, लिस्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे वाहन जिनका कोर्ट से निराकरण हो चुका है, कोई व्यक्ति क्लेम नहीं कर रहा है उनकी नीलामी कराई जाएगी।