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उज्जैन में जल संकट, हमारे लालच का परिणाम

माधव कॉलेज में ‘जलवायु संरक्षण एवं प्रबंधन’ पर कार्यशाला में प्राचार्य ने कहा

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस शासकीय माधव महाविद्यालय के भूगोल विभाग एवं आईक्यूएएस के संयुक्त तत्वावधान में ‘जलवायु संरक्षण एवं प्रबंधन’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

मां सरस्वती व सविंधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर माल्यार्पण किया गया। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य प्रो. कल्पना वीरेंद्र सिंह कहा ब्राह्मांड में रहने लायक जगह केवल पृथ्वी है। आज धरती का जल स्तर बहुत नीचे आ गया है। देश के कई नगरों के साथ ही उज्जैन में भी गर्मी के मौसम में जल संकट पैदा हो जाता है। यह हमारे लालच का ही परिणाम है कि हमारे जल स्रोत सूख रहे हैं। कार्यशाला के विषय विशेषज्ञ डॉ. जेएल बरमैया पूर्व प्राचार्य एवं प्राध्यापक (भूगोल) ने बताया कि जलवायु में जो परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं, उसके लिए मनुष्य जिम्मेदार है। हम प्रकृति से छेडछाड़ कर रहे हैं। हम अंधाधुंध पेड़ काट रहे हैं।

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भूगोलविद डॉ. आर.के. श्रीवास्तव प्राचार्य एवं प्राध्यापक (भूगोल) शासकीय महाविद्यालय पिपलिया मंडी ने कहा भूगोल एक मानव केंद्रित विषय है। इसने इस समस्या का समाधान प्रस्तुत किया है। जलवायु परिवर्तन एक बोझ जैसा है। औद्योगिक अपशिष्ट के निष्कासन का प्रबंधन करना आवश्यक है। कृषि, वानिकी और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में पेड़ लगा कर सीवर का प्रबंधन करना पड़ेगा। जोधपुर से आए भू वैज्ञानिक गणपत नारायण सिनावदिया ने कहा कि आज ग्लेशियर पिघल रहे हैं और भी कई परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं।

भारतीय ज्ञान परंपरा से जलवायु परिवर्तन का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। संचालन डॉ. जफर महमूद ने किया। अतिथि स्वागत आयोजन सचिव डॉ. मोहन निमोले ने किया। आभार कार्यक्रम संयोजक भूगोल विभागाध्यक्ष डॉ. रवि मिश्र ने माना। सरस्वती वंदना प्रो. नलिनी तिलकर ने प्रस्तुत की। डॉ. एलएस गोरास्य, डॉ. बीएस अखंड, डॉ. दिनेश जोशी, डॉ. रफीक नागौरी, डॉ. नीरज सारवान, डॉ. संगीता वत्स, प्रो. राइसिंह सोलंकी, प्रो मनोज सिसौदिया, डॉ. पुरुषोत्तम सिंह, डॉ. फरजाना खान आदि ने कार्यशाला में सहभागिता की।

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