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आग से निपटने के इंतजाम नाकाफी….. वर्षों से नहीं बना नया फायर स्ट्रक्चर

अधिक ऊंचाई पर आग बुझाने के संसाधन नहीं

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:हरदा में हुए कांड ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। प्रदेश या देश में जब कोई बड़ा हादसा होता है तभी व्यवस्था की हकीकत सामने आती है। ऐसा ही हाल शहर के फायर ब्रिगेड का है। हरदा हादसे के बाद जब इसकी हकीकत जानी तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। शहर का रेडियस काफी बढ़ चुका है,लेकिन फायर स्ट्रक्चर उस हिसाब से नहीं है।

 

अभी शहर में सिर्फ एक फायर स्टेशन हैं। इसके बाद कोई भी नया फायर स्टेशन तैयार नहीं किया गया, जबकि वर्तमान में शहर की रेडियस १० से १५ किमी तक पहुंच गई है। इस लिहाज से तो कम से कम ४ और फायर स्टेशन की जरूरत है। इतना ही नहीं फायर गाडिय़ों की उम्र भी पूरी होने के साथ उनकी कार्यक्षमता भी कम हो चुकी है। शहर में हर साल 10 से ज्यादा बड़ी और मध्यम-छोटी घटनाएं सैकड़ों घटनाएं होती हैं। शहर के मुख्य बाजारों में बनी ऊंची इमारतों में अग्नि सुरक्षा के इंतजामों को टटोला तो व्यवस्था और जरूरत के बीच बड़ा गेप नजर आया। पाया कि उज्जैन में आग बुझाने के इंतजाम नाकाफी हैं। कई बहुमंजिला इमारतों में आपात स्थिति से निपटने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं हैं। 30 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर आग बुझाने को तो फायर ब्रिग्रेड के पास संसाधन ही नहीं है।

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15 साल से भर्ती नहीं

फायर स्टेशन पर बल की भी कमी है। फायर में निरीक्षक, चालक प्रधान आरक्षक से लेकर आरक्षक फायरमैन की जरूरत है, लेकिन पिछले 15 सालों से भर्ती नहीं हुई है। शासन ने यहां लीड फायरमैन, फायरमैन, ड्राइवर के 150 पद स्वीकृत कर रखे हैं। स्थायी नियुक्ति सिर्फ 15 कर्मचारियों की ही है। शेष 40 कर्मचारी दैनिक वेतन भोगी एवं ठेका प्रणाली पर नियुक्त है। सूत्रों के अनुसार इनमें से कई अनफिट हैं।

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संसाधन की मांग….

निगम का फायर ब्रिगेड अमला सिर्फ 30 फीट ऊंचाई तक लगी आग बुझाने में सक्षम है। इससे अधिक ऊंचाई की बिल्डिंग में आग लगती है तो निगम के पास संसाधन नहीं हैं। 54 फीट ऊंचाई तक की आग बुझाने के लिए टीटीएल की मांग शासन से वर्षों पहले की गई है। इसके लिए कई मर्तबा पत्र भी लिख चुके हैं। बताया है कि 7 करोड़ रुपये की एक गाड़ी है, जिससे शहर की हाईराइज बिल्डिंग में भी आग बुझाई जा सकेगी। क्षेत्रफल के हिसाब से फायर ब्रिगेड के पास पर्याप्त संख्या में आग बुझाने वाली 12 गाडिय़ां तो हैं, मगर इस हिसाब से कर्मचारी नहीं है।

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