मसला…त्रुटिपूर्ण मतदाता सूची, पर्चियों का नहीं पहुंचना, सूची में नाम नहीं आने का….
इंदौर-3 के विधायक ने दिखाए तीखे तेवर और इधर उज्जैन भाजपा अध्यक्ष जोशी बोले.. देखते हैं मामला प्रदेशभर का है
उज्जैन।7 साल बाद हुए नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में मतदान हो चुका है।अगला मतदान अब 13 जुलाई को होना है। पहले चरण की वोटिंग में वोटर लिस्ट से नाम गायब होने, मतदान केंद्र बदलने और मतदाता पर्ची नहीं बांटे जाने पर जमकर बवाल हुआ। वोटर भटकते रहे। बीएलओं (बूथ लेवल ऑफिसर) लापता थे।
वोटर की समस्या दूर करने के लिए बनाए गए सभी नेटवर्क सिस्टम फेल रहे। इस वजह से मतदान कम हुआ। प्रदेश भाजपा ने इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग को दोषी बताया।
इसकी पड़ताल की, तो सामने आया कि बीएलओ ने पर्चियां बांटी ही नहीं। यही नहीं, वोटर लिस्ट में बड़ी संख्या में नाम भी नहीं थे।इस चुनाव में प्रशासनिक चूक के अलावा राजनीतिक दलों की लापरवाही भी उजागर हो गई।
एक ओर जहां इंदौर विधानसभा-3 से भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय ने कम वोटिंग को लेकर इलेक्शन कमीशन को पत्र लिखा है। वहीं दूसरी ओर उज्जैन के नगर अध्यक्ष एक तरह से निष्क्रिय बने हुए है और अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा भी अभी तक कोई शिकायत चुनाव आयोग को नहीं की गई है।
हड़बड़ी में मतदाता सूची
निगम चुनाव में शहर के 10-14 हजार मतदाता वोट नहीं डाल पाए। इसकी सबसे बड़ी वजह हड़बड़ी में जारी की गई मतदाता सूची है। निगम की सूची 10 वर्ष से अपडेट ही नहीं की गई थी। ऐनवक्त पर चुनाव घोषित हुए। बीएलओ ने बिना सत्यापन ही सूची अपडेट घोषित कर दी। उसी का खामियाजा मतदाताओं को भुगतना पड़ा।
आयोग के आदेशानुसार 10 मई तक अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन करना था। इसके लिए 54 वार्ड में नामों का सत्यापन होना था। सत्यापन 15 अप्रैल के बाद शुरू हुआ और 6 दिन बाद रोकना पड़ा, क्योंकि 25 अप्रैल तक सूची अपडेट कर मई के पहले सप्ताह में अवलोकानार्थ रखना थी। 10 अप्रैल को प्रारंभिक सूची पार्टियों को सौंप कर दावे-आपत्ति मंगाए थे। मतदाताओं के लिए भी सूची रखी थी। आपत्ति आती तो सुधार हो जाता।
आकाश विजयवर्गीय ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में यह कहा
इंदौर में इस बार कम हुई वोटिंग को लेकर भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय ने तीखे तेवर अपनाते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखा है।
कम हुई वोटिंग को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। विजयवर्गीय ने लिखा कि इंदौर विधानसभा 3 सहित शहर के विभिन्न वार्डों के चुनाव में त्रुटिपूर्ण मतदाता सूची, मतदाता पर्चियों का मतदाता तक नहीं पहुंचना, मतदाता सूची में नाम नहीं आना तथा एक ही परिवार के सदस्यों के नाम अलग-अलग मतदान केंद्रों में होने से मतदाता को काफी असुविधा हुई।
हजारों मतदाता मतदान के अधिकार से वंचित रह गए। इसकी गंभीरता से जांच की जाना चाहिए। गौरतलब है मतदान के दिन कई वार्डों के लोगों ने शिकायतें की थी कि उनका नाम मतदाता सूची में नहीं है।
यह कहना है उज्जैन के नेताओं का
भाजपा नगर अध्यक्ष विवेक जोशी का कहना है कि गड़बड़ी तो हुई है। ऐसा तो प्रदेशभर में हुआ है। सभी जगह नाम गायब होने, केंद्र बदलने और मतदाता पर्ची का वितरण नहीं होने के मामले सामने आए है। प्रदेशभर का मामला है जैसा प्रदेश संगठन के निर्देश होंगे वैसा किया जाएगा।
उज्जैन उत्तर के विधायक पारस जैन का कहना है कि वोटर लिस्ट से नाम गायब होने, मतदान केंद्र बदलने और मतदाता पर्ची नहीं बांटे जाने के मामले सामने आए थे। इसे लेकर जिला निर्वाचन अधिकारी-कलेक्टर बात की है। भाजपा प्रदेश नगरीय निकाय चुनाव संचालन समिति के संयोजक उमाशंकर गुप्ता को अवगत कराया है।
सांसद अनिल फिरोजिया ने बताया कि मतदान के दिन ही कलेक्टर के समक्ष आपत्ति दर्ज करा चुके है। इस मामले को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को भी अवगत कराया है।
इस संबंध में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव से चर्चा नहीं हो सकी। उनके निज सहायक ने बताया कि वे दिल्ली में है।
यह हुआ मतदान के दौरान
अंकपात मार्ग स्थित मीणा समाज की धर्मशाला में स्थित मतदान केंद्र पर दुर्गा कॉलोनी निवासी महेश सोनगरा ने वोट दिया,लेकिन उनकी माताजी ग्यारसीबाई का वोटर लिस्ट में ही नाम नहीं है। इस वजह से उन्हें मतदान से वंचित होना पड़ा।
वार्ड 48 के अंतर्गत मॉडल स्कूल के सेंटर पर मतदाता का नाम नहीं मिला।, लोगों के घर पर मतदान पर्ची ही नहीं पहुंची।वोटर आईडी कार्ड है और आधार कार्ड होने के बाद भी लोगों को मतदान नहीं करने दिया गया। मतदान पर्ची नहीं होने पर मतदान से वंचित हो गए।
निकाय चुनाव की वोटर लिस्ट से नाम गायब होने की शिकायत कई वार्डो से मिली है।
खास बात यह है कि मतदाता सूची में एक परिवार के आठ सदस्य है तो चार के नाम दर्ज है और चार सदस्यों के नाम गायब थे।
वार्ड 24 निजातपुरा की मतदाता सूची में एक नाम उस मतदाता का था,जो इस दुनिया में नहीं है।
कई मतदाता और उनके परिवार का नाम वर्षो से मतदाता सूची में दर्ज थे। मतदान केंद्र पर पहुंचे तो सूची से परिवार के नाम ही गायब थे।