छुट्टी के दिन केडी पैलेस पर उमड़ रही भीड़, गहरे पानी में डूबने से हो सकता है हादसा
रविवार को उमड़ी केडी पैलेस पर भीड़
उज्जैन। बारिश का मौसम शुरू हो गया है। छुट्टी के दिन लोग ऐसे स्थान की तलाश में रहते हैं जहां पर दोस्तों, परिवार के साथ एंजॉय किया जा सके। शहर से करीब 8 किलोमीटर दूर केडी पैलेस ऐसी ही जगह हैं, जहां पर छुट्टी के दिन बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। बहता पानी और झरने आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। कई बार यहां गहरे पानी में हादसें भी हो चुके हैं। सुरक्षा के इंतजाम भी यहां नाकाफी हैं।
बारिश के मौसम में केडी पैलेस (बावन कुंड) का सौंदर्य निखर उठता है। आसपास हरियाली और इनके बीच शिप्रा नदी का पानी झरनों के रूप में बहता रहता है। इसी सौंदर्य का आनंद लेने और पानी में अठखेलियां करने के लिए अवकाश के दिन लोग केडी पैलेस का रुख करते हैं। रविवार को अवकाश के साथ ही ईद का पर्व भी था। इस कारण बड़ी संख्या में लोग यहां पर पहुंचे। कोई झरनों के बीच सेल्फी ले रहा था तो कोई पानी में तैरने की कोशिश कर रहा था। सुबह से शाम तक यहां पर मेला लगा रहा। गहरे पानी में युवा और बच्चे तक पहुंच गए थे। इससे कभी हादस हो सकता था।
खतरों के खिलाड़ी….
हो सकता है पानी में हादसा…
पुलिस की तैनाती की जाना चाहिए
केडी पैलेस पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। यहां पर असामाजिक तत्व भी बड़ी संख्या में आ जाते हैं। कई बार ये युवतियों के साथ छेड़छाड़ करते हैं और रोकने पर झगड़े पर उतारू हो जाते हैं। पुलिस प्रशासन द्वारा कम से कम अवकाश दिन तो यहां पर पुलिस की तैनाती की जाना चाहिए। ताकि यहां आने वाले परिवारजन अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सके।
अमावस्या पर भी आते हैं बड़ी संख्या में लोग
यहां पर अमावस्या पर भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। ऊपरी बाधा वाले लोग यहां बने कुंड में स्नान करते हैं। मान्यता है कि इससे उनकी बाधाएं दूर हो जाती है। यहां पर मंदिर भी बना हुआ है। दूरदराज से लोग पहुंचते हैं। विशेषकर चैत्र और आश्विन मास की अमावस्या पर अधिक लोग
आते हैं।
महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल, मगर उपेक्षा का शिकार
कालियादेह महल को बावन कुंड के रूप में भी जाना जाता है। यह एक ऐतिहासिक स्थल है लेकिन फिलहाल उपेक्षा का शिकार हैं। यह शिप्रा नदी के तट पर स्थित हैं। यहां पर सूर्य मंदिर भी है जो जीर्ण-शीर्ण हो रहा है। बताया जाता है कि मालवा का खिलजी सुल्तान नासिर शाह ने लगभग 1500 ई. में यहां एक भवन का निर्माण करवाया था जो ग्रीष्म ऋतु में शीतलता प्रदान कर सके। यह वास्तुकला के मांडु शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें नदी के पानी को कई हौजों में भरकर 20 फीट ऊंचाई से पतली धाराओं में गिराने का प्रबंध किया गया था। यहां पर बने कुंड को बावन कुंड कहा जाता है।
सेल्फी के चक्कर में हो सकता है हादसा:
रविवार को यहां पर कई युवक-युवतियां ऐसी जगह से सेल्फी ले रहे थे जिससे वे पानी में गिरकर हादसे का शिकार हो सकते थे। मगर उन्हें रोकने वाला कोई नहीं था। वहीं कई लोग गहरे पानी में नहा रहे थे। महिलाएं भी छोटे-छोटे बच्चों को लेकर पहुंच गई। यहां पर पूर्व में भी डूबने से कई मौतें हो चुकी हैं।