ललित ज्वेल. उज्जैन:मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा में महत्वकांक्षा की लड़ाई बड़े नेताओं के बीच परदे के पिछे आज भी चल रही है। भाजपा द्वारा घोषित अंतिम दो सीटों के नामों को लेकर यदि परदे के पिछे की कहानी देखें तो प_ावाद जमकर हावी दिखा। भाजपा की यही एंटीइनकंबेंसी कांग्रेस की जीत का आधार बन रही है। कांग्रेस की नजर ओबीसी,आदिवासी एवं दलित मतदाताओं पर है। जहां से जीत ही सरकार बनाने का आधार है।
मध्यप्रदेश में यदि कांग्रेसनीत सरकार बनती है तो इसके पिछे जनता और भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी तथा भाजपा के बागी प्रत्याशी, प्रदेश के बड़े नेताओं की आपसी खीचतान ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। प्रदेशभर से जो फिडबेक भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व तक जा रहा है,उसमें सबसे बड़ा मुद्दा भाजपा कार्यकर्ताओं की उदासिनता है। जबकि कांग्रेस को लेकर जा रहे फिडबेक में स्पष्ट रूप से कहा जा रहा है कि गुटों में बंटी कांग्रेस के कार्यकर्ता इस बार करो या मरो की तर्ज पर एकजुट हो गए हैं।
कांग्रेस के बड़े नेताओं का कहना है कि यदि इस बार सरकार नहीं बनी तो फिर से 10 साल तक देखना होगा रास्ता। यही बात कार्यकर्ताओं में उत्साह भर रही है। यहां तक कि पुरानी पीढ़ी के कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता भी घर से निकलकर मैदान प$कड़ रहे हैं। भाजपा का मानना है कि बागी प्रत्याशियों को मनाने का अभी समय शेष है, सफलता मिल जाएगी लेकिन कार्यकर्ताओं की उदासिनता दूर करने के प्रयास अधूरे न रह जाएं।
इसके लिए प्रत्याशियों को भी कहा जा रहा है कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से स्वयं मिलें और विवादों को समाप्त करवाएं। ऐसा नहीं किया तो सत्ता विरोधी लहर बन जाएगी और प्रत्याशी अपनी सीटों को नहीं बचा पाएंगे। केंद्रीय नेतृत्व के पास फिडबेक है कि विधायकों एवं मंत्रियों ने भाजपा के परंपरागत मतदाताओं तथा कार्यकर्ताओं की जमकर उपेक्षा की,इसीलिए अब जनसंपर्क में भी कार्यक्र्ताओं का टोटा पड़ा हुआ है।
भाजपा के लिए मालवा भी है चिंता का विषय
भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व को इस समय महाकौशल, ग्वालियर-चंबल,निमाड़ और मालवा बेल्ट की चिंता सबसे अधिक है। इन क्षेत्रों में कुल 140 सीटें आती है। इन सीटों पर भाजपा के विधायकों/मंत्रियों के प्रति नाराजगी कांग्रेस को अभी से बढ़त दिलवा रही है। सूत्रों का दवा है कि छिंदवाड़ा प्रवास के दौरान जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महाकौशल की 38 सीटों की समीक्षा की तो भौचक रह गए। सभी सीटों पर नकारात्मक फिडबेक आया। रविवार रात्रि में उज्जैन संभाग की 29 सीटों को लेकर की गई समीक्षा में भी स्थिति नकारात्मक ही दिखी। अमित शाह ने अपनी ओर से चेतावनी भी दे दी कि यदि कार्यकर्ताओं को नहीं जगाया तो बाजी हाथ से निकल जाएगी।