टिकट कटने की बाद हर दिन सामने आ रही नई बात….
पहले पारस जी के दर्द ने परेशान किया, अब बयानों ने चिंता में डाला
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:विधायक पारस जैन ने भाजपा की बहुप्रतीक्षित सूची आने के बाद जो आभार पत्र सोशल मीडिया पर सार्वजनिक किया है उसकी गूंज दूर-दूर तक पहुंची है। प्रतिध्वनि में सहानुभूति के शब्द भी बयां किए जा रहे थे। पहले पारस जैन के दर्द ने सभी को परेशान कर दिया था, अब है कि उनके बयानों ने पार्टी के रणनीतिकारों को चिंता में डाल दिया है। हालांकि पारस जी ने अभी तक खुलकर कुछ नहीं कहा है, लेकिन शब्दों के जाल में बुने उनके एक-एक शब्द अप्रत्यक्ष तौर पर काफी कुछ बयां कर रहे हंै। पारस जी ने अभी तक जो कहा है,उस पर पार्टी की ओर से कोई बड़ी या छोटी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन पार्टी के भीतर विचलन जरूर है।
चर्चा चल पड़ी है कि पारस जी का यह दर्द और उनके लगातार आ रहे बयान कहीं पार्टी का संकट ना बढ़ा दें। कहा जा रहा है कि पारस जी से बड़े नेता अब बातचीत करने के साथ मुलाकात भी करने वाले हंै। इससे क्या लाभ और हानि है पता नहीं पर यहां एक कहावत प्रासंगिक है कि ‘कमान से निकला तीर और जुब़ा से निकले शब्द लौटकर नहीं आते हैं।Ó उज्जैन उत्तर से टिकट नहीं मिलने के बाद पारस जैन को दर्द छलक आया था। उन्होंने अपनी आभार पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर किया था। अब पारस जैन के नित्य-प्रतिदिन मीडिया में आने वाले बयानों ने पार्टी की चिंता को बढ़ा दिया है। टिकट नहीं मिलने के बाद से पारस जैन अब घर पर आराम कर रहे हैं। लेकिन, वे उम्मीद लगाए बैठे हैं कि आज भी उनसे आकर संगठन का कोई पदाधिकारी बात करें तो फिर से चुनाव लडऩे के लिए तैयार हैं।
अब तक आए बयानों पर नजर
अगर दिल्ली में बैठे लोगों ने किसी की बात पर भरोसा कर मेरा टिकट काट दिया तो यही कहा जा सकता है कि इससे उनकी सोच-मंथनऔर रणनीति के दायरे का अनुमान लगाया जा सकता है।
पारस जैन भाजपा कार्यालय पर आयोजित दशहरा मिलन समारोह से दूर रहें। पार्टी के नेताओं ने उन्हें फोन भी किया,उसके बावजूद भी वे कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। पार्टी कार्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में नही जाने पर जैन का कहना था दशहरे को हमेशा ही मैं घर पर कार्यकर्ताओं से मिलता हूं। दशहरे को भी घर पर था और कार्यकर्ता लगातार मुझसे मिलने आ रहे थे। कार्यकर्ताओं को छोड़कर मैं पार्टी कार्यालय चला जाता तो मुझसे मिलने आने वाले लोगों को ठेस पहुंचती।
दशहरा मिलन समारोह के लिए भाजपा कार्यालय से निमंत्रण के संबंध में जैन ने कहा कि मुझे वहां से कोई फोन नहीं आया बस व्हाट्सएप पर जो मैसेज सभी को पहुंचता है वही मुझे प्राप्त हुआ था।
विधानसभा चुनाव में आगे की रणनीति पर पारस जैन का कहना है कि मेरी कोई रणनीति नहीं है। मेरी टिकट जिन लोगों ने भी काटी है, वे ही मेरा टिकट काटने और नाराजगी का कारण बता सकते हैं। उन लोगों को मुझे बुलाकर बात करना चाहिए, जिन्हें लग रहा है कि उनसे कोई गलती हुई है।
पारस जैन ने कहा कि भाजपा मेरी मां है। इस पार्टी में रहकर 6 बार विधायक और 12 साल मंत्री रहा। अगर कोई मेरी नाराजगी दूर करने के लिए मेरे घर आना चाहता है तो उसे यहां आने की कोई जरूरत नहीं है। मैं भाजपा का छोटा सा कार्यकर्ता हूं अगर भोपाल या दिल्ली के कोई भी वरिष्ठ कार्यकर्ता मुझे बुलाते हैं तो मैं उनसे मिलने जरूर जाऊंगा और अपनी बात कहूंगा।
उज्जैन उत्तर से भाजपा के प्रत्याशी अनिल जैन को आशीर्वाद देने की बात पर पारस जैन का कहना है कि अनिल जैन कालुहेड़ा पर मेरा 6 माह से आशीर्वाद है। वह होर्डिंग लगाता था तो मेरा फोटो छोटा और खुद का फ़ोटो बड़ा लगाता था। कोई राजनीति में कितना ही रुपया खर्च करें,उससे क्या होता है। साउथ के चुनाव में एक-एक नेता करोड़ों रुपए खर्च करते है। मैं तो 5 से 7 लाख रुपए खर्च कर न केवल चुनाव लड़ा, बल्कि चुनाव जीता भी।
टिकट डिक्लियर होने के बाद मैंने संगठन में किसी से बात नहीं की। मैंने जो लेटर लिखा है, वो सार्वजनिक रूप से लिखा था। मेरा ये कहना था कि मुझसे एक बार पूछा लेते। अगर वो कहते किसी और का टिकट करना है तो मुझे कोई कोई दिक्कत नहीं थी। उम्मीदवारों के नामों की चर्चा और टिकट तय करने की प्रक्रिया के काफी पहले से पहले मेरी ऊपर लोगों से बात हो रही थी। सभी ने कहा था कि आपका ही टिकट हो रहा है। टिकट के लिए मैं कभी चिंतित नहीं रहा, कम से कम एक बार वरिष्ठ होने के नाते मुझसे पूछा लिया होता तो अच्छा होता है।