इंदौर नगर निगम (आईएमसी) ने पर्यावरण के अनुकूल शहर में सड़कों की बहाली के लिए एक नई तकनीक अपनाई है। इस नवोन्मेषी तकनीक के तहत पूरे पीएमिक्स मटेरियल में पानी मिलाकर रेस्टोरेशन वाली जगह पर डाला जाता है। इससे सड़क 2 से 4 घंटे के अंदर उपयोग के लिए तैयार हो जाती है। मधु मिलन चौराहे पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव की मौजूदगी में ईको फ्रेंडली सिस्टम से गड्ढे भरने का ट्रायल किया गया।
भार्गव ने कहा “इस सिस्टम की खासियत यह है कि इसमें इस्तेमाल होने वाला सीमेंट विशेष रसायन का होता है जो दो घंटे में सूख जाता है। इसके कारण सड़क के हिस्से का उपयोग दो घंटे के भीतर किया जा सकता है”
इस तकनीक के जरिए सबसे पहले गड्ढे का उखड़ा हुआ मटेरियल बाहर निकाला जाता है, उसके बाद कंकड़-पत्थर भी हटा दिए जाते हैं और गड्ढे को साफ कर लिया जाता है।
गड्ढे भरने के लिए कंपनी द्वारा तैयार सामग्री का उपयोग किया जाता है। इसके लिए 25 किलो सामग्री में 2.5 लीटर तरल पदार्थ मिलाकर सामग्री तैयार की जाती है। इसमें डामर का प्रयोग नहीं किया गया है। खास बात यह है कि इसमें इको-फ्रेंडली सीमेंट (पॉलीमर ताकत के साथ) मिलाया जाता है।
गड्ढे में सामग्री भरकर मजदूरों द्वारा समतल (प्लास्टर) कर दिया जाता है। इस सीमेंट की खासियत यह है कि यह दो घंटे में सूख जाता है और इसे गीला करने की जरूरत नहीं पड़ती। इसके बाद सड़क के हिस्से का उपयोग यातायात के लिए किया जा सकेगा। नई तकनीक से हो रहे सड़क जीर्णोद्धार कार्य का अवलोकन करते हुए भार्गव ने नेचुरल सीमा प्राइवेट लिमिटेड को कार्य में गुणवत्ता बनाए रखने के निर्देश दिए।