उज्जैन:माधवनगर अस्पताल में फिर ऑक्सीजन की समस्या उभरी

By AV NEWS

स्टाफ का एक ही सवाल…किसे ऑक्सीजन दें, कितनी दें और कब तक दें..?

उज्जैन। माधवनगर अस्पताल में कल शाम से आज दोपहर तक का समय सबसे बुरा बीता। ऑक्सीजन की समस्या इतनी गंभीर रही कि डॉक्टर्स और पेरा मेडिकल स्टॉफ को मरीजों को संभालने में समस्या आई। सूत्रों का दावा है कि हालात इतने विकट थे कि किसी को ऑक्सीजन का प्रतिशत बढ़ाते तो किसी को एसपीओटू सामान्य होने पर हटाते। इस उधेड़बुन में गंभीर बीमारी से पीडि़त कुछ मरीजों की मौत भी हो गई। सूत्रों का कहना है कि कल दोपहर बाद से आज सुबह तक करीब 11 मरीजों की मौतें तो भर्ती मरीज ही गिन चुके थे। इनमें आईसीयू में भर्ती 9 मरीज भी शामिल है।

प्रशासन ने ओपीडी को भी खाली करवाकर वार्ड में बदल दिया है। जहां पर्ची कटती है,वहां पर मरीजों की वेटिंगवाली फर्शियों की कुर्सियों पर डॉक्टर्स बैठकर मरीजों की काउंसलिंग कर रहे हैं। परिसर में भी मरीजों को बैठाकर रखा गया है। ओपीडी में स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी मरीज को भर्ती करने से मना नहीं किया जाए।

प्रायवेट मना कर सकते हैं, लेकिन सरकारी मना करेंगे तो मरीज कहां जाएगा? अनौपचारिक निर्देश हैं कि जिसकी एसपीओटू 85 से नीचे आए,अन्य गंभीर बीमारियां हो, उसे प्राथमिकता दी जाए। इधर सूत्र बताते हैं कि आईसीयू में भी पलंग खाली नहीं होने के चलते वार्ड में भी गंभीर बीमार भर्ती है। यहां वे लोग आ रहे हैं जो लक्षण उभरने के चार से पांच दिन इधर उधर भटकते रहे और जब हालत गंभीर हो गई तो यहां भर्ती होने आ गए। इसीलिए मौतों का आंकड़ा निरंतर बढ़ता जा रहा है।

यह हालात है वार्डों के

ओल्ड एवं न्यू आईसीयू के अलावा मेडिकल वार्ड,आर्थो वार्ड, ओल्ड आई वार्ड में पलंग फुल है और 95 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन दी जा रही है। इन हालातों के बीच स्टॉफ उस समय दौड़ लगाता है जब किसी मरीज की ऑक्सीजन कम होने से तबियत बिगड़ती है। फोरन कहा जाता है कि फ्लो बढ़ाओ। इधर फ्लो बढ़ते ही जम्बो सिलेण्डर 15 मिनिट में खत्म हो जाता है। जब मरीज की हालत सुधर जाती है तो सामान्य फ्लो कर दिया जाता है। ऑक्सीजन कांसन्टे्रटर मशीनें तो यहां दान में आ गई है लेकिन एक मशीन एक मरीज की पूर्ति कर पा रही है। इसका सिस्टम है कि एक जैसा फ्लो आता है। यदि दूसरे मरीज को जुगाड़ करके जोड़ा जाए तो उसे कम $फ्लो चाहिए, ऐसा नहीं होता है। यही कारण है कि ये मशीने जितनी है,उतने ही मरीज के काम आ रही है।

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