कब है मोक्षदा एकादशी? जानें पूजन विधि और महत्व

By AV NEWS

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। ये तिथि महीने के दोनों पक्षों में आती है। इस तरह साल में कुल 24 एकादशी आती है। हर एकादशी का अपना एक अलग नाम और महत्व रहता है। इसी क्रम में अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। इस बार मोक्षदा एकादशी को लेकर ज्योतिषियों में मतभेद है। अधिकांश ज्योतिषियों का कहना है कि इस बार मोक्षदा एकादशी 3 दिसंबर को रहेगी, जबकि कुछ का मानना है ये व्रत 4 दिसंबर को किया जाएगा।

अपने नाम अनुरूप ये एकादशी मोक्ष का क्षय करने वाली मानी जाती है. मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होकर बैंकुंठ लोक को जाता है.

महाभारत के युद्ध के समय जब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था उस दिन मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी थी इसलिए इस दिन गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी संयुक्त होने से इस व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है.

इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत बहुत शुभ योग में रखा जाएगा. कहते हैं एकादशी पर किया दान हजारों पुण्य के समान फल प्राप्त करने वाला माना जाता है. आइए जानते मोक्षदा एकादशी के शुभ योग और दान का महत्व.

मोक्षदा एकादशी का महत्व

जो भी व्यक्ति मोक्षदा एकादशी का व्रत और विष्णु पूजा करता है, उसके सभी पाप मिट जाते हैं. वह पाप रहित होकर मोक्ष का प्राप्त होता है. भगवान विष्णु की कृपा से उसे जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. इस तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने संसार को गीता का उपदेश दिया था, इसलिए मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है

पूजा विधि

एकादशी व्रत से एक दिन पहले दशमी तिथि को दोपहर में सिर्फ एक बार ही भोजन करना चाहिए. एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें. व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें. उन्हें धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें. इसके बाद रात में भी पूजन और जागरण करें. अगले दिन द्वादशी के दिन पूजा करें और उसके बाद जरूरतमंद व्यक्तियों को भोजन और दान दक्षिणा दें या किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और उसके बाद ही भोजन करके अपना व्रत पूरा करें.

केले के पेड़ की पूजा करें

एकादशी पर केले के वृक्ष की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। केले के वृक्ष गुरु ग्रह से संबंधित है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह अशुभ स्थिति में हो तो विवाह में बाधाएं आती हैं, ऐसे लोगों को एकादशी पर केले के वृक्ष की पूजा जरूर करनी चाहिए और हल्दी मिश्रित जल चढ़ाना चाहिए। इससे इनके विवाह के योग बन सकते हैं।

भगवान विष्णु का अभिषेक करें

एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु का अभिषेक केसर मिश्रित दूध से करना चाहिए। दूध गाय का हो तो उत्तम रहता है। भगवान को अभिषेक करते समय ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप भी करते रहें। अगर आप धन लाभ की इच्छा रखते हैं तो भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्मी का अभिषेक भी करें।

मंत्रों का जाप करें

मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना बहुत ही शुभ माना जाता है और इससे कई तरह की परेशानियां भी अपने आप ही दूर हो जाती हैं। मंत्र जाप के पहले भगवान विष्णु की पूजा भी जरूर करनी चाहिए। जाप के लिए तुलसी की माला उपयुक्त रहती है। ये हैं मंत्र-

  • ऊं नमो भगवते वासुदेवाय
  • ऊं विष्णवे नम:
  • ऊं हूं विष्णवे नम:
  • ऊं नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

मोक्षदा एकादशी पर करें इन चीजों का दान:

गर्म कपड़े

दिसंबर में ठंडी चरम पर होती हैं. ऐसे में एकादशी पर जरूरमंदों को गर्म कपड़े या कंबल का दान करें. ये जीवन में सौभाग्य लाता है और व्यक्ति दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता है.

अनाज

मोक्षदा एकादशी पर गरीबों को अनाज का दान करने से समृद्धि में वृद्धि होती है. गेंहू, गुड़, दाल, चावल, तिल, शक्कर का दान करने से अन्न का अभाव नहीं होता. वहीं मोक्षदा एकादशी इस बार शनिवरा के दिन है ऐसे में सरसों का तेल का दान करने से शनि देव को प्रसन्न किया जा सकता है. एक लोहे के बरतन में सरसों का तेल और 1 रुपए का सिक्का डालें. फिर तेल में अपना चेहरा देखकर किसी गरीब को दान कर दें या पीपल के पेड़ के नीचे रख दें. इससे रुके हुए कार्य पूरे हो जाएंगे.

विद्या दान

शास्त्रों में विद्या का दान श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि ये एक ऐसा दान है जो बांटने से ओर अधिक बढ़ता ही है. एकादशी के दिन किसी जरुरतमंद बच्चों को शिक्षा से संबंधित वस्तुएं दान करने से समाज का कल्याण होता है. इस दिन किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई का जिम्मा उठाने का संकल्प लेने से मां लक्ष्मी और देवी सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

धातु, दवा

धातु का दान जैसे लोहे का दान शनिवार को करना अति शुभ फलदायी होता है, इससे आने वाले विपत्ति टल जाती है. वहीं एकादशी पर किसी बीमार असहाय व्यक्ति को स्वास्थ संबंधी मदद करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य प्राप्त होता है.

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