डायबिटीज के मरीज उज्जैन के आयुर्वेद चिकित्सालय में आ रहे उपचार करवाने

By AV NEWS

कोविड काल के बाद संख्या बढ़ी डायबिटीज के मरीजों की

छोटे बच्चों में जन्मजात और बड़ों में फास्ट फूड बन रहा है कारण

उज्जैन।शहर का आयुर्वेद चिकित्सालय डायबिटीज के सफल उपचार की नई इबारत लिख रहा है। यहां प्रदेश के नहीं, देशभर से डायबिटीज पीड़ीत मरीज आ रहे हैं और एक माह के अंदर एलोपैथी की दवा बंद या कम करने की स्थिति में पहुंच रहे हैं। आयुर्वेद के प्रति डायबिटीज मरीजों का लगाव कोविड काल के बाद से बढ़ा है, जो धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है।

शा. धन्वतंरि आयुर्वेदिक चिकित्सालय के प्रधानाध्यापक डॉ.जे.पी. चोरसिया एवं चिकित्सालय के चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.ओ.पी. व्यास के अनुसार आयुर्वेदिक दवाइयों के माध्यम से डायबिटीज के उपचार के प्रति पिछले तीन वर्षों में जो आंकड़ा बढ़ा है, वह बताता है कि लोग अब डायबिटीज से छुटकारा पाना चाहते हैं, नियंत्रित करना नहीं।

इसीलिए वे आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करके पहले एलोपैथिक दवाई की मात्रा कम करते हैं और बाद में पूरी तरह से दवाई छोड़ देते हैं। आयुर्वेदिक दवाइयां शरीर में स्वमेल इंसुलिन बनाने का काम प्रारंभ कर देती है। यह आश्चर्य की बात नहीं बल्कि हमारी प्राचीन उपचार पद्धति का पुर्नस्थापन है। डॉ. चोरसिया के अनुसार जिला अस्पताल से चिकित्सक डायबिटीज के गंभीर मरीजों को उपचार के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सालय भेज रहे हैं।

यहां रखें सावधानी

आहार: मीठे रस वाले पदार्थों का अधिक मात्रा में और अनियमित सेवन करना, दूध व दूध से बने पदार्थों का अति मात्रा में सेवन करना, दही-मछली का सेवन, गुड़ तथा गुड़ से बने पदार्थों का अधिक सेवन करना हानिकारक है।

विहार: अधिक समय तक आराम से लेटे रहना, व्यायाम ना करना, अधिक समय तक नींद लेना, खाना खाने के तुरंत बाद सोना आदि डायबिटीज करे बढ़ाता है।

फास्ट फूड से बच्चों में डायबिटीज की बीमारी बढ़ रही

डॉ. व्यास के अनुसार मधुमेह के बढ़ी उम्र के मरीजों के अलावा 10 वर्ष से कम और 10 से 15 आयु वर्ष के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों को आनुवांशिक रूप से डायबिटीज प्राप्त हुई है, जो उनके माता-पिता के माध्यम से आई। वहीं 10 से 15 वर्ष आयु के बच्चों में फास्ट फूड के कारण डायबिटीज की बीमारी बढ़ी है। माता-पिता का इस ओर ध्यान ही नहीं है कि वे अपने बच्चों को क्या खिला रहे हैं और इसके क्या नुकसान है?

क्या कहता है आयुर्वेद

डॉ. चोरसिया एवं डॉ. व्यास के अनुसार-डायबिटीज पाचन प्रक्रिया में उत्पन्न विकृति के कारण होने वाली बीमारी है। यह बीमारी किसी भी व्यक्ति को, किसी भी आयु में हो सकती है। भारत में डायबिटीज के करीब 77 मिलियन मरीज हैं। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक भारत में डायबिटीज मरीजों की संख्या 101 मिलियन हो सकती है। विकासशील देशों में शहरीकरण से लोगों की जीवनशैली भी बदल रही है।

एक ही जगह बैठकर अधिक समय तक काम करना, व्यायाम का अभाव, आहार की बदलती आदतें तथा अत्यधिक मानसिक तनाव। इन सब कारणों से मोटापा, कोलेस्ट्रोल तथा ब्लड प्रेशर बढ़ता है। अपर्याप्त इंसुलिन के उत्पादन के कारण टाइप 2 डायबिटीज अक्सर उम्रदराज लोगों में देखा जाती है।

ऐसे जानें आपको डायबिटीज है…. अधिक प्यास लगना, अधिक भूख लगना, अधिक पसीना आना, बार-बार मूत्र त्याग करना, वजन में कमी होना, दुर्बलता-थकान होना, आंखों के सामने धुंधलापन आना, हथेली एवं पैरों के तलवों में जलन आदि मुख्य लक्षण होते हैं।

साल में एक बार शुगर की जांच कराएं: डॉ. गर्ग

उज्जैन।यदि मां अपना दूध बच्चे को जन्म से पिलाए, बच्चे को नाश्ते में कचोरी, समोसे की आदत नहीं डाले एवं मोबाइल से दूर रखें। आउटडोर खेल खेलने पर ज्यादा जोर दें तो आगे चलकर बच्चे को डायबिटीज होने के 30 प्रतिशत कम चांस हैं। इसीलिए वापस पुराने प्रचलन जैसे सम्मिलित परिवार को लाना पड़ेगा।

कार्यरत माता-पिता को बच्चे के लिए अपना आधा समय देना पड़ेगा ताकि आगे चलकर बच्चों को डायबिटीज का अनुपात कम हैं।

उपरोक्त बात हृदयरोग विशेषज्ञ व आर्डीगार्डी मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. विजय गर्ग ने कही। डॉ. गर्ग ने बताया कि डायबिटीज की बीमारी दीमक की तरह होती है। शरीर को तहस-नहस कर देती है। शरीर के हर अंग चाहे दिल, दिमाग, गुर्दे, आंख, फेफड़े, पैरों की नसें इत्यादि को गंभीर रूप से असर डालती है।

इन सबसे बचने के लिए जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति को साल में एक बार अपने रक्त में शुगर की मात्रा की जांच कराएं तथा किसी भी स्थिति में अपने पेट की परिधि को 35 इंच से ज्यादा नहीं होने दें। कम खाएं, धीरे-धीरे खाएं तथा चबा-चबा के खाएं।

आलसी, मैथीदाना, हरी सब्जी सूखे मेवे खाएं। डॉ. गर्ग ने बताया कि वर्तमान में भारत में ५ करोड़ लोग शक्कर की बीमारी से ग्रसित हैं। २३ करोड़ लोगों के दरवाजे पर ये बीमारी दस्तक दे रही हैं।

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